गौतम वेदपाणि, भागलपुर. सबौर खानकित्ता निवासी स्वर्ण संध्या भारती ने सबौर स्थित बिहार कृषि विश्वविद्यालय से प्रशिक्षण लेकर मशरूम का उत्पादन शुरू किया. घर के बढ़ते खर्च को संतुलित करने के लिए भारती ने मशरूम उत्पादन के लिए कड़ी मेहनत की. स्वर्ण संध्या की मेहनत रंग लायी.
इस समय वह हर माह 10 क्विंटल ओयस्टर मशरूम का उत्पादन कर इसकी बिक्री करती हैं. भारती ने बताया कि बीएयू द्वारा आयोजित किसान मेले में भी इस वर्ष अचार उत्पादन के लिए प्रथम पुरस्कार मिला. उनके बच्चे इस समय अच्छी पढ़ाई कर रहे हैं. भारती 5000 से ज्यादा महिलाओं एवं पुरुषों को विभिन्न प्रकार का प्रशिक्षण देकर स्वरोजगार के लिए प्रेरित कर रही है. बीएयू के किसान मेले में उन्हें महिला किसान सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है.
महिला उद्यमी स्वर्ण संध्या ने बताया कि सरकार की तरफ से महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए कई योजनाएं चल रही हैं. बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए सरकार सस्ता लोन दे रही है. बेसहारा व गरीब महिलाओं को अपने पंचायत व प्रखंड मुख्यालय पहुंच कर अधिकारियों के सामने अपनी बात रखनी चाहिए. प्रयास करने के बाद कोई न कोई रास्ता निकल ही आता है.
अपने पैरों पर खड़ी महिला उद्यमी स्वर्ण संध्या ने अचार, मशरूम समेत अन्य सामान के उत्पादन से गांव व समाज की दूसरी महिलाओं को जोड़ा और उन्हें स्वरोजगार भी दिया. उन्होंने बताया कि जब तक उन्होंने अपना काम शुरू नहीं किया था, तब तक घर की आर्थिक स्थिति काफी बदहाल थी. लेकिन अपनी मेहनत की बदौलत समृद्धि आयी.
महिला उद्यमी स्वर्ण संध्या ने बताया कि मशरूम समेत अन्य घरेलू सामान के उत्पादन में वह जीतोड़ मेहनत कर रही है. लेकिन बाजार के अभाव में उन्हें उचित दाम नहीं मिल रहा. उत्पादन को कम कीमत पर बेचना उनकी विवशता बन गयी है. हम जैसी महिलाओं द्वारा बनाये सामान को बाजार में उचित मूल्य मिले व बिक्री बढ़े इसके लिए सरकार को सहयोग करना चाहिए.
Posted by Ashish Jha