त्योहारों में लाखों की बिक गयीं मिठाइयां पर अब तक नहीं आयी जांच रिपोर्ट, शादी-विवाह के मौसम में रहे सावधान
Bihar News बक्सर के प्रतिनियुक्त फूड सेफ्टी ऑफिसर अनिल कुमार तीन जिलों के प्रभार में हैं. रोहतास, कैमूर और बक्सर. ऐसे वे बक्सर में कभी-कभार ही आ पाते हैं.
बक्सर में दशहरा, दीपावली और छठपूजा में जिले में लाखों रुपये की मिठाइयां बिक गयीं. लेकिन, मिठाइयों की गुणवत्ता क्या थी, इसकी पूरी तरह जांच भी नहीं हो पायी. दीपावली और छठ पूजा में कुछ दुकानों में छापेमारी कर मिठाइयों का सैंपल लिया गया पर उसकी भी जांच रिपोर्ट अब तक नहीं आ पायी. ऐसे में कहा जा सकता है कि जिले में फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट केवल कोरम पूरा कर रहा है. इस कारण यहां के लोगों को मिठाइयों की बिना गुणवत्ता जांच किये ही सप्लाइ हो रही है.
विभागीय सूत्र बताते हैं कि 30 अक्तूबर को बक्सर की जिन दुकानों से दुकानों से जांच के लिए मिठाइयों का सैंपल लिया गया है, उसकी जांच रिपोर्ट वह अब तक नहीं आयी है. 15 दिनों के बाद भी जांच रिपोर्ट अब तक पेंडिंग है. वहीं पांच नवंबर को भी शहर की नौ दुकानों पर छापा मारा गया था. इसकी भी रिपोर्ट नहीं आ पायी है. बक्सर के प्रतिनियुक्त फूड सेफ्टी ऑफिसर अनिल कुमार तीन जिलों के प्रभार में हैं. रोहतास, कैमूर और बक्सर. ऐसे वे बक्सर में कभी-कभार ही आ पाते हैं. गत दिनों जांच के लिए आये अधिकारी अनिल कुमार ने बताया कि यहां से सैंपल इकट्ठा कर पटना लैब में भेजा जाता है, जिसकी रिपोर्ट एक माह में आ पाती है.
पटना से आता है मिलावटी खोआ
जिले में मिलावटी खोआ पटना समेत आसपास के जिलों से आता है. मिलावटी खोआ का बाजार भी प्रतिदिन तकरीबन एक लाख रुपये का होता है. रामरेखा घाट जाने वाली रोड में अधिकतर दुकानों पर मिलावटी खोआ खुलेआम बिकता है. वर्ष 2020 में करीब 15 सैंपल लिया गया है. इनमें से पांच लीगल सैंपल थे, जिनमें गड़बड़ी पायी गयी थी. ऐसे में शहर के पांच दुकानदारों पर कार्रवाई की गयी थी. इस कार्रवाई में इनके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गयी थी और मामला अब भी कोर्ट में चल रहा है.
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लीगल और सर्विलांस पर होती है जांच
लीगल सैंपल लेने के 14 दिन के भीतर रिपोर्ट देने का प्रावधान है. यह लैब से जांच की जाती है. वहीं सर्विलांस सैंपल सिर्फ निगरानी के लिए होते हैं. इसकी जांच पदाधिकारी स्वयं अपने स्तर से भी कर सकते हैं. इस कारण खाद्य अधिकारी खाद्य पदार्थ का लीगल सैंपल लेने से पहले सर्विलांस पर सैंपल लेते हैं. ज्यादातर सर्विलांस सैंपल ही लिया जाता है. जांच में सैंपल फेल होने पर निर्माता और व्यापारी को इंप्रूवमेंट नोटिस दिया जाता है. फिर इसके बाद केस दर्ज करने का प्रावधान है. खाद्य सुरक्षा कानून में सैंपल फेल या मिथ्या छाप पाये जाने पर कंपनी पर सीधे तौर पर कार्रवाई का प्रावधान है.
Posted by: Radheshyam Kushwaha