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लोकसभा में उठा थावे दुर्गा मंदिर को स्वदेश दर्शन योजना में शामिल करने का मुद्दा, सांसद बोले- मिलेगी नयी पहचान

Bihar News सांसद ने इस मुद्दे से सदन को अवगत कराया. केंद्रीय पर्यटन मंत्री किशन रेड्डी को संबोधित करते हुए स्पीकर के सामने ये प्रस्ताव रखा. स्पीकर ने लोक महत्व के अविलंबनीय मुद्दा को सुनने के बाद आश्वासन दिलाया है.

गोपालगंज. बिहार के ऐतिहासिक थावे दुर्गा मंदिर को केंद्र सरकार की ‘स्वदेश दर्शन’ योजना में शामिल करने की पहल शुरू हो गयी है. गोपालगंज के सांसद सह जदयू के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष डॉ आलोक कुमार सुमन ने लोकसभा के शून्यकाल सत्र में ‘थावे पर्यटक स्थल’ को स्वदेश दर्शन योजना में शामिल करने की मांग की है. सांसद ने इस मुद्दे से सदन को अवगत कराया. केंद्रीय पर्यटन मंत्री किशन रेड्डी को संबोधित करते हुए स्पीकर के सामने ये प्रस्ताव रखा. स्पीकर ने लोक महत्व के अविलंबनीय मुद्दा को सुनने के बाद आश्वासन दिलाया है. सांसद की इस पहल से जिलेवासियों में खुशी है.

क्या है स्वदेश दर्शन योजना

सांसद डॉ आलोक कुमार सुमन ने बताया कि ‘स्वदेश दर्शन’ योजना केंद्र सरकार की अति महत्वकांक्षी योजना है. ग्रामीण इलाकों में टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गया है. उन्होंने कहा कि इस योजना में गोपालगंज के ऐतिहासिक थावे दुर्गा मंदिर को भी शामिल किये जाने से पर्यटन के लिहाज से गोपालगंज को एक नयी पहचान मिलेगी.

जानिये, क्यों पड़ी जरूरत

थावे दुर्गा मंदिर ऐतिहासिक पीठ है. यहां लाखों श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं. प्राचीन दुर्गा मंदिर देवी भक्तों की श्रद्धा का बड़ा केंद्र है. गोपालगंज जिला मुख्यालय से छह किलोमीटर दूर सिवान-गोपालगंज मुख्य मार्ग पर स्थित मां दुर्गा के इस मंदिर में सिर झुकाने के लिए बिहार के साथ उत्‍तर प्रदेश और नेपाल के लोग भी आते हैं. यहां पूजा अर्चना करने से भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है. यह मंदिर बिहार पर्यटन के नक्शे पर है. अब केंद्र सरकार ‘स्वदेश दर्शन’ योजना में शामिल करती है तो इस इलाके में समग्र विकास होने की संभावनाएं बढ़ेंगी और विदेशी पर्यटकों का केंद्र बनेगा. इस लिहाज से इसे विकासित करने की जरूरत है.

चेरो वंश से जुड़ा है मंदिर का इतिहास

ऐतिहासिक पीठ का इतिहास भक्त रहषू स्वामी और चेरो वंश के राजा की कहानी से जुड़ी हुई है. 1714 के पूर्व यहां चेरो वंश के राजा मनन सेन का साम्राज्य हुआ करता था. ऐसा माना जाता है कि इस क्रूर राजा के दबाव डालने पर भक्त रहषू स्वामी की पुकार पर मां भवानी कामरुप कामाख्या से चलकर थावे पहुंची. उनके थावे पहुंचने के साथ ही राजा मनन सिंह का महल खंडहर में तब्दील हो गया. भक्त रहषू के सिर से मां ने अपना कंगन युक्त हाथ प्रकट कर राजा को दर्शन दिया. देवी के दर्शन के साथ ही राजा मनन सेन का भी प्राणांत हो गया. इस घटना की चर्चा पर स्थानीय लोगों ने वहां देवी की पूजा शुरू कर दी. तब से यह स्थान जाग्रत पीठ के रूप में मान्य है.

स्वदेश दर्शन योजना के तहत होने वाले काम पर एक नजर

  • थावे मंदिर योजना में शामिल होने पर पर्यटन केंद्र में आधारभूत संरचना का विकास होगा.

  • थीम के अनुसार ही पर्यटन केंद्रों की साज-सज्जा की जायेगी, पर्यटकों को सुविधाएं मिलेगी.

  • थावे पर्यटक स्थल को स्थानीय कला, संस्कृति, हस्तशिल्प, भोजन आदि को बढ़ावा मिलेगा.

  • थावे मंदिर के आसपास के लोगों को रोजगार से जोड़ा जायेगा, उन्‍हें जागरूक किया जायेगा.

  • थावे में स्वदेश दर्शन योजना के अंतर्गत थीम आधारित पर्यटन परिपथों का विकास होगा.

  • पर्यटकों की सहायता के लिए 24 घंटे टोल फ्री बहुभाषी हेल्पलाइन सेवा की सुविधाएं मिलेंगी.

  • घरेलू व विदेशी बाजारों में पर्यटन स्थल के रूप में ऐतिहासिक दुर्गा मंदिर की पहचान बनेगी.

  • विदेशी नागरिकों के लिए 5 उप-श्रेणियों अर्थात ई-पर्यटक वीजा, ई-मेडिकल वीजा, ई-मेडिकल अटेंडेंट वीजा की सुविधा प्रदान होगी.

Posted by: Radheshyam Kushwaha

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