लोकनायक के गांव के तिरंगे का राष्ट्र करेगा वंदन, सिताबदियारा में वर्ष के अंत तक यहां बनने लगेगा तिरंगा
लोकनायक जयप्रकाश नारायण के पैतृक गांव लाला टोला सिताबदियारा में झंडा निर्माण केंद्र का संचालन शुरू होगा. इस साल के अंत तक यहां तिरंगे का निर्माण कार्य शुरू हो जायेगा. यहां बने झंडे पूरे देश में भेजे जायेंगे. वहीं, केंद्र सरकार भी सीधे तौर पर इसी केंद्र में बने झंडे को खरीदेगी.
प्रभात किरण हिमांशु, छपरा. लोकनायक जयप्रकाश नारायण के पैतृक गांव लाला टोला सिताबदियारा में झंडा निर्माण केंद्र का संचालन शुरू होगा. इस साल के अंत तक यहां तिरंगे का निर्माण कार्य शुरू हो जायेगा. यहां बने झंडे पूरे देश में भेजे जायेंगे. वहीं, केंद्र सरकार भी सीधे तौर पर इसी केंद्र में बने झंडे को खरीदेगी.
केंद्र सरकार ने लोकनायक के गांव को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के उद्देश्य से 11 अक्तूबर, 2016 को सात महत्वपूर्ण योजनाओं का शुभारंभ किया था, जिनमें जयप्रकाश नारायण के पैतृक घर को वर्चुअल म्यूजियम बनाने के साथ ही 30 एकड़ में चित्र संग्रहालय, राष्ट्रीय झंडा निर्माण केंद्र, पंचायती राज शोध संस्थान, राष्ट्रीय खादी ग्रामोद्योग सेंटर व अध्ययन केंद्र का निर्माण प्रमुख था. राष्ट्रीय झंडा निर्माण केंद्र शुरू होते ही सारण की पहचान भारत समेत पूरे विश्व में पुनर्स्थापित होगी. वहीं, क्षेत्र के लोगों को रोजगार के भी अवसर मिलेंगे.
महिलाओं का संवर्धन है मुख्य उद्देश्य
जेपी ट्रस्ट की ओर से संचालित इस राष्ट्रीय झंडा निर्माण केंद्र का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को समाज की मुख्यधारा से जोड़कर उनका संवर्धन करना है. यह केंद्र महिलाओं की आजीविका का केंद्र बनेगा. ट्रस्ट के सचिव आलोक कुमार सिंह बताते हैं कि यहां से कुल 86 यूनिट का संचालन होगा.
ग्रामीण महिलाओं को अलग-अलग यूनिट अलॉट किया जायेगा, जहां वे झंडा बनायेंगी. अभी झंडा निर्माण केंद्र का व्यावसायिक प्रोजेक्ट बनाना है, जिसके बाद यहां महिलाओं द्वारा निर्मित झंडों की पूरे देश में सप्लाइ होगी. महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सीधे तौर पर राष्ट्रीय झंडा निर्माण केंद्र समेत सिताबदियारा में संचालित होने वाले लगभग सभी प्रोजेक्टों की मॉनीटरिंग करेंगे.
दो से ढाई लाख तक के झंडे होंगे उपलब्ध
यहां बना झंडा कोई भी खरीद सकता है. हालांकि, अधिकतर झंडे केंद्र सरकार ही रियायत के तौर पर खरीदेगी. खेल, समारोह व अन्य महत्वपूर्ण इवेंट के लिए सरकार के सभी विभागों में यहीं से झंडे जायेंगे. कम लागत के झंडों के साथ सिलिकॉन के दो से ढाई लाख तक के झंडे यहां बनेंगे.
देश का दूसरा है राष्ट्रीय झंडा निर्माण केंद्र
इस समय कर्नाटक में एक राष्ट्रीय झंडा निर्माण केंद्र है. हालांकि, वहां की स्थिति उतनी बेहतर नहीं है. ऐसे में सिताबदियारा में शुरू हो रहा दूसरा राष्ट्रीय झंडा निर्माण केंद्र कई मायनों में अहम होगा.
Posted by Ashish Jha