बिहार में फोन रखनेवालों की संख्या घटी, 47 फीसदी लोगों के पास नहीं है मोबाइल, जानें क्या है राष्ट्रीय औसत
बिहार में यह राष्ट्रीय औसत से बहुत नीचे 52.62% है, जबकि पिछले वर्ष यह आंकड़ा 60% था.
सुबोध कुमार नंदन, पटना : लोगों के पास मोबाइल (दूरसंचार घनत्व) के मामले में बिहार देश में सबसे निचले पायदान पर है. सूबे में करीब 47% आबादी के पास मोबाइल नहीं है. पिछले सप्ताह भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राइ) की ओर से अगस्त के जारी आंकड़ों के अनुसार दूरसंचार घनत्व (प्रति 100 आबादी पर फोन की संख्या) के मामले में दिल्ली पूरे देश में टॉप पर है, जहांं दूरसंचार घनत्व 272.09% पर पहुंच गया है.
वहीं, बिहार में यह राष्ट्रीय औसत से बहुत नीचे 52.62% है, जबकि पिछले वर्ष यह आंकड़ा 60% था. इनमें 46% ग्रामीण और 149% शहरी लोग मोबाइल का प्रयोग कर रहे थे. लेकिन इस वर्ष अगस्त के आंकड़ों के अनुसार सौ में आठ लोगों ने मोबाइल का प्रयोग करना बंद कर दिया.
मिली जानकारी के अनुसार विगत वर्षों के दौरान बिहार और अन्य राज्यों में इस क्षेत्र में अच्छी बढ़ोतरी दर्ज की गयी थी और दूरसंचार घनत्व तेजी से बढ़ता गया, लेकिन वर्ष 2019 में बिहार का रुझान पलट गया.
वर्ष 2019 में ग्रामीण दूरसंचार घनत्व के लिहाज से 46 कनेक्शन के साथ बिहार का देश के प्रमुख राज्यों के बीच नीचे से दूसरे स्थान और शहरी दूरभाष घनत्व के लिहाज से 149 कनेक्शन के साथ आठवें स्थान पर आ गया.
सूबे में लोगों के पास मोबाइल की उपलब्धता में कमी दर्ज की गयीअगर पिछले पांच साल के आंकड़ाें पर गौर करें, तो 2018 में बिहार में सौ में से 63 लोगों के पास मोबाइल था. इनमें 44 ग्रामीण और 221 शहरी लोगों के पास मोबाइल था. लेकिन, बाद में सूबे में लोगों के पास मोबाइल की उपलब्धता में कमी दर्ज की गयी है. दूरसंचार घनत्व के मामले में उत्तर प्रदेश बिहार के बाद नीचे से दूसरे स्थान (66.93 फीसदी) पर है.
यह आंकड़ा टेलीफोन सेवा प्रदाताओं के द्वारा उपलब्ध कराये गये उपभोक्ताओं की संख्या के आंकड़ों तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की तकनीकी समूह की भारत और राज्यों के लिए जनसंख्या 2011-2036 के अनुमानों की रिपोर्ट के आंकड़ों के आधार पर है.
वहीं, मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (एमएनपी) के मामले में बिहार जुलाई की तुलना में अगस्त में बढ़ोतरी हुई है. जुलाई में एमएनपी 212.9 लाख था, जो अगस्त में बढ़कर 218.2 लाख हो गया.
राष्ट्रीय स्तर पर क्या है स्थितिदूरसंचार घनत्व में देश के कई राज्य राष्ट्रीय औसत 86.23 फीसदी से बहुत आगे हैं. दिल्ली के 272.09 फीसदी के बाद हिमाचल प्रदेश (149.63 फीसदी), केरल 128.93 फीसदी, पंजाब 125.34 फीसदी, महाराष्ट्र 105.94 फीसदी, तमिलनाडु 104.60 फीसदी, कर्नाटक 103.59 फीसदी के साथ सौ फीसदी दूरसंचार घनत्व से ऊपर हैं.
इसके अलावा आंध्र प्रदेश 97.38 फीसदी, गुजरात 96.64 फीसदी, हरियाणा 94.60 फीसदी और जम्मू-कश्मीर 86.43 फीसदी के साथ राष्ट्रीय औसत से आगे हैं. वहीं बिहार और यूपी के अलावा मध्यप्रदेश 67.07 फीसदी, असम 68.12 फीसदी, ओड़िशा 76.18 फीसदी और पश्चिम बंगाल 82.43 फीसदी के साथ राष्ट्रीय औसत से पीछे हैं.
Posted by Ashish Jha