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159 साल का हुआ बिहार का सबसे पुराना कॉलेज, जानिये कैसा रहा है पटना कॉलेज का इतिहास

पटना कॉलेज का 159वां स्थापना दिवस शनिवार को कॉलेज के सेमिनार हॉल में होगा. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी होंगे. वहीं विशिष्ट अतिथि पूर्व कुलपति प्रो रास बिहारी सिंह होंगे.

By Prabhat Khabar News Desk | January 9, 2021 9:49 AM

पटना. पटना कॉलेज का 159वां स्थापना दिवस शनिवार को कॉलेज के सेमिनार हॉल में होगा. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी होंगे. वहीं विशिष्ट अतिथि पूर्व कुलपति प्रो रास बिहारी सिंह होंगे.

कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो गिरीश कुमार चौधरी करेंगे. सभी अतिथि संयुक्त रूप से पहले कॉलेज का ध्वज फहरायेंगे और इसके बाद कार्यक्रम की शुरुआत होगी.

कार्यक्रम सुबह दस से बारह बजे के बीच होगा. इस मौके पर कॉलेज के शिक्षक प्रो शिवसागर की पुस्तक पटना कॉलेज एक परिचय का लोकार्पण भी किया जायेगा.

कॉलेज का है स्वर्णिम इतिहास

पटना कॉलेज का इतिहास बहुत स्वर्णिम रहा है. राज्य का यह पहला कॉलेज है, मतलब यह सबसे पुराना है. यह पटना यूनिवर्सिटी का कॉलेज हैं लेकिन इसका इतिहास पीयू से भी पुराना है.

पीयू के 103 वर्ष हुए हैं. वहीं यह अपना 159वां स्थापना दिवस मना रहा है. यह पीयू की स्थापना के कई वर्ष बाद 1952 में पीयू का अंगीभूत कॉलेज बना. इसकी स्थापना 9 जनवरी 1863 को हुई थी. पटना कॉलेज एक समय में इस्ट के ऑक्सफोर्ड के नाम से जाना जाता था.

1952 में शुरू हुई पीजी की पढ़ाई

1952 तक पटना कॉलेज बिहार में स्नातकोत्तर (कला) शिक्षण की एकमात्र संस्था के रूप में प्रतिष्ठित रहा. पटना विवि का अंगीभूत महाविद्यालय बनने के बाद केवल स्नातक शिक्षण के लिए ही उत्तरदायी रहा. स्नातकोत्तर शिक्षण का भार विवि ने स्वयं ले लिया.

बिहार विधान परिषद की पहली बैठक यहीं हुई

बिहार विधान परिषद की पहली बैठक इसी कॉलेज के सेमिनार हॉल में हुई थी. वर्ष 2012 में विधान परिषद का एक विशेष सत्र उस पहली बैठक की 100वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में यहीं आयोजित किया गया.

2000 छात्रों पर मात्र 18 शिक्षक

वर्तमान में पटना कॉलेज में सिर्फ 18 नियमित शिक्षक हैं. वोकेशनल कोर्स मिला कर करीब 2000 छात्र यहां पढ़ते हैं. वर्तमान में यहां शिक्षकों के कुल 61 स्वीकृत पद हैं. वहीं, पूरे कॉलेज में सिर्फ एक लाइब्रेरियन हैं और एक भी लैब टेक्नीशियन नहीं है. कॉलेज को सिर्फ चार गेस्ट फैकल्टी मिले हैं.

Posted by Ashish Jha

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