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निजी अस्पतालों की चल रही मनमानी, 24 घंटे में 62 हजार का बिल, दबाव पड़ा तो 19 हजार में किया डिस्चार्ज

निजी अस्पतालों में इन दिनों कोरोना मरीजों से इलाज के नाम पर मनमानी राशि वसूली जा रही है. अस्पतालोें में मरीजों की भर्ती तो की जा रही है, लेकिन इलाज का बिल देख कर ही परिजनों के होश फाख्ता हो रहे हैं.

मुजफ्फरपुर. निजी अस्पतालों में इन दिनों कोरोना मरीजों से इलाज के नाम पर मनमानी राशि वसूली जा रही है. अस्पतालोें में मरीजों की भर्ती तो की जा रही है, लेकिन इलाज का बिल देख कर ही परिजनों के होश फाख्ता हो रहे हैं. शुक्रवार की दोपहर शहर के एक निजी अस्पताल में एक कोरोना मरीज को भर्ती किया गया था. अस्पताल की व्यवस्था से संतुष्ट नहीं होने के बाद शनिवार को मरीज के परिजन ने अस्पताल प्रबंधक से डिस्चार्ज करने को कहा.

प्रबंधक ने 24 घंटे के इलाज के नाम पर 62 हजार का बिल पकड़ा दिया. जिसमें 14 हजार की दवाएं, 12 हजार की जांच, 18 हजार का कमरा, डॉक्टर की फीस 2000, फिजियोथेरापी 1500 और प्रति घंटे ऑक्सीजन का दर 200 रुपये सहित अन्य खर्चे भी जोड़े गये थे.

परिजन ने जब दवाएं और जांच के विवरण के साथ 18 हजार के कमरे पर आपत्ति जताई और 24 घंटे ऑक्सीजन देने की वीडियो फुटेज की मांग की तो अस्पताल प्रबंधक ने कहा, ये सारी चीजें नहीं दे सकते, बिल तो आपको देना ही होगा.

इसकी जानकारी पर परिजन के मौसेरे भाई और शहर के जाने-माने साहित्यकार डॉ संजय पंकज अस्पताल में पहुंचे. वे जब स्वास्थ्य सचिव सहित शहर के अन्य वरीय अधिकारियों को फोन लगाने लगे तो प्रबंधक ने कहा कि बात बढ़ाने से क्या फायदा. नौ हजार आपने पहले दिया है. 10 हजार और दे दीजिए. इसके बाद 19 हजार लेकर मरीज को डिस्चार्ज किया गया.

ग्लोकल अस्पताल के बाहर से ले गये थे बिचौलिये

मरीज को लेकर उनके बड़े भाई सबसे पहले उन्हें लेकर ग्लोकल अस्पताल पहुंचे. लेकिन ऑक्सीजन लेवल कम होने के कारण यहां भर्ती नहीं लिया गया. अस्पताल के बाहर ही एक बिचौलिए एंबुलेंस चालक ने उन्हें पकड़ लिया और कहा कि सरकारी में कहा जाइएगा, प्राइवेट में चलिए, सबसे सस्ता इलाज हो जाएगा.

प्राइवेट में भर्ती होंगे तो ये जल्दी स्वस्थ भी हो जाएंगे. मरीज के भाई ने बताया कि एंबुलेंस चालक के बहकावे में आकर प्राइवेट अस्पताल में भर्ती करा दिया था. यह तो अच्छा हुआ कि एक दिन में ही वहां से निकल गये अगर दो-तीन वहां रुक जाते तो चार-पांच लाख का बिल बना देता.

मरीज के परिजन को नहीं मिली बिल की जानकारी

शहर में कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज कर रही निजी अस्पतालों में धावा दल की जांच जारी है. रविवार को ब्रह्मपुरा स्थित अशोका हॉस्पिटल और वैशाली कोविड केयर में धावा दल ने जांच की. डीआरडीए के निदेशक चंदन चौहान और नगर डीएसपी रामनरेश पासवान के नेतृत्व टीम अशोका अस्पताल पहुंची.

वहां पर हॉस्पिटल के रजिस्टर की जांच के दौरान अस्पताल प्रबंधन द्वारा मरीज के परिजनों से लिये जा रहे राशि का सही से जिक्र नहीं मिला. बेड, ऑक्सीजन व दवा का कितना चार्ज लिया जा रहा है, इसके बारे में कोई रजिस्टर में लेखा- जोखा नहीं मिला. अस्पताल के स्टाफ द्वारा भी मरीज के सही हालात की परिजनों को जानकारी दी जा रही हैं.

पीपीई किट पहनकर दोनों अधिकारियों ने कोविड वार्ड का निरीक्षण किया.मरीज के परिजन बिना ग्लब्स और डबल मास्क लगाये ही वार्ड में घुस जा रहे थे. कैंपस में बायो कचरा का अंबार लगा हुआ था. जिसे जल्द से जल्द हटाने का निर्देश अस्पताल प्रबंधन को दिया गया है. धावा दल इसके बाद वैशाली कोविड केयर में जांच को पहुंची.

यहां अस्पताल प्रशासन के इंतजाम से धावा दल के अधिकारी संतुष्ट दिखे. मरीज के परिजनों को अस्पताल प्रबंधन द्वारा किस मद में कितना रुपया लिया जा रहा है. इसकी मरीज के परिजनों को सही जानकारी दी जा रही थी. डीआरडीए के निदेशक ने कहा कि दोनों हॉस्पिटल की जांच रिपोर्ट सोमवार को जिलाधिकारी को भेज दी जायेगी.

Posted by Ashish Jha

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