राजपुर. प्रखंड के सभी 19 पंचायतों में गांव का विकास करने के लिए पंचायती राज व्यवस्था का गठन किया गया है. इसके लिए त्रिस्तरीय पंचायतीराज व्यवस्था के तहत सभी पंचायतों के लिए मुखिया, वार्ड सदस्य, बीडीसी, जिला परिषद एवं न्याय के लिए सरपंच, पंच का चुनाव किया गया है. पंचायत के विकास कार्यों का संचालन मुखिया एवं वार्ड सदस्यों के देखरेख में की जाती है. इस योजना को प्रारूप देने के लिए कार्यकारिणी समिति की बैठक के साथ आम सभा बुलाकर योजनाओं का चयन कर काम किया जाता है. इसी प्रक्रिया के तहत पिछले आठ महीने पूर्व सभी पंचायतों में ग्रामसभा कर करोड़ों की योजनाओं पर मुहर लगाई गयी. जिसमें पक्की नाली गली, नल जल योजना, स्ट्रीट लाइट, शव दाह, ग्रामीण पार्क सहित कई योजनाओं का चयन किया गया. इन योजनाओं के चयन के बाद भी पंचायतों में विकास की गति धीमी दिख रही है. किसी भी पंचायत में विकास की रूपरेखा तैयार नहीं की गयी. मानसून आते ही इन सभी योजनाओं पर विराम लग जाएगा. ऐसे में इस बार महज 25 प्रतिशत ही योजनाओं का काम को पाया है. विभाग के तरफ से मिली जानकारी के अनुसार पंचायतों में नई सरकार बनने के बाद मुखिया एवं वार्ड सदस्य के बीच सही तालमेल नहीं होने से योजनाओं को गति नहीं मिल रही है. पंचायतीराज व्यवस्था में वार्ड सदस्य को भी काम कराने का अधिकार मिला है. ऐसे में कुछ मुखिया अपने बलबूते ही काम कराने की फिराक में है.उन पंचायतो में वार्ड सदस्य विरोध जता रहे हैं. साथ ही पंचायतों में चलने वाली योजनाओं में पंचायत सचिव, पीआरएस ,आवास सहायक, विकास मित्र के अलावा कई अन्य पंचायत कर्मी है. जिनका सहयोग भी नहीं मिल रहा है.वार्ड सदस्यों का कहना है कि पिछली सरकार में ही कुछ जगहों पर काम कराने के बाद उसकी राशि का भुगतान नहीं किया गया है. फिलहाल मनरेगा योजना से कई जगहों पर तालाबों की खुदाई, जीर्णोद्धार ,बाहा की सफाई का काम हुआ है.अगर यही हाल रहा तो अगले तीन सालों में विकास के मामले में पंचायतीराज व्यवस्था दलाली के चक्कर में फिसड्डी साबित हो सकता है. मनरेगा योजना में भी इस बार मजदूरों को सौ दिन का रोजगार नहीं मिला. ऐसे में अधिकतर मजदूर रोजी रोटी की तलाश में दूसरे राज्यों में पलायन कर गए हैं.सरकार ने जिस मकसद से मनरेगा योजना को लागू किया था. वह फिलहाल धरातल पर नहीं दिख रहा है. सरकार के फरमान के बाद अधिकारी भले ही जांच कर रहे हैं. लेकिन इस जांच में कोई ठोस परिणाम नहीं मिल रहा है.
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