पटना. पटना हाइकोर्ट में कोरोना को लेकर दायर जनहित याचिकाओं पर मंगलवार को सुनवाई के दौरान पीएमसीएच प्रशासन ने स्वीकार किया कि पीएमसीएच में ऑक्सीजन आपूर्ति में घपले की आशंका जताने वाली कोर्ट मित्र की रिपोर्ट सही है. मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाले खंडपीठ को कोर्ट मित्र ने जो अपनी रिपोर्ट दी थी, उसमें उसने पीएमसीएच में ऑक्सीजन सिलिंडर के घपले की आशंका जतायी थी.
पीएमसीएच प्रशासन की तरफ से वरीय अधिवक्ता पीके शाही ने कोर्ट को बताया कि कोर्ट मित्र अधिवक्ता मृगांक मौली की रिपोर्ट में ऑक्सीजन आपूर्ति से संबंधित जो आंकड़े दिये गये थे, वे गलत नहीं थे और न ही इस पर कोई विवाद है. उस रिपोर्ट के आलोक में कार्रवाई की गयी है और ऑक्सीजन आपूर्ति प्रणाली में जहां-जहां जो खामियां थीं, उन्हें सुधार लिया गया है.
पीएमसीएच यह अंडरटेकिंग दे कि आगे से ऑक्सीजन आपूर्ति में कोई कुप्रबंधन नहीं होगा : वरीय अधिवक्ता पीके शाही को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि पीएमसीएच प्रशासन ने जो स्वीकारोक्ति की है, वह मौखिक नहीं, शपथपत्र पर होनी चाहिए. साथ ही पीएमसीएच प्रशासन यह भी अंडरटेकिंग दे कि आगे से अस्पताल में ऑक्सीजन आपूर्ति में न तो कोई कुप्रबंधन होगा और न ही मरीजों को इसकी कोई किल्लत होगी.
कोर्ट को पीएमसीएच अधीक्षक की तरफ से यह भी जानकारी दी गयी कि इस महीने के अंत तक वहां ऑक्सीजन प्लांट काम करना शुरू कर देगा. कोर्ट ने पीएमसीएच से यह पूछा कि हरेक वार्ड में बेड की क्षमताओं के अनुसार रोजाना कितने ऑक्सीजन की जरूरत है और उसे कैसे पूरा किया जायेगा, इसका भी जिक्र शपथपत्र में किया जाये.
पटना हाइकोर्ट ने कहा कि पीएमसीएच में जो भी गड़बड़ियां हुई हैं, उस संबंध में वह अभी कोई आदेश तो पारित नहीं कर रहा है, लेकिन पीएमसीएच प्रशासन जब इन सभी मामलों को लेकर शपथपत्र दायर करेगा, तो उन तथ्यों की जांच के लिए एक कमेटी का गठन कोर्ट कर सकता है.
कोर्ट मित्र अधिवक्ता मृगांक मौली ने सरकार द्वारा दी गयी सभी रिपोर्ट को पढ़ने के बाद कहा कि पीएमसीएच में ऑक्सीजन की कालाबाजारी समेत कोरोना मामलों को लेकर सरकार द्वारा किये जा रहे कामों और उस संबंध में सरकार द्वारा कोर्ट में दिये जा रहे शपथपत्र की जांच के लिए एक स्वतंत्र एजेंसी के गठन की आवश्यकता है.
उन्होंने कोर्ट से कहा कि जिस किसी भी कमेटी या एजेंसी का गठन किया जाये, उसमें बिहार के किसी भी पदाधिकारी, टेक्निकल स्टाफ या डॉक्टर को नहीं रख कर केंद्र सरकार से जुड़े हुए टेक्निकल स्टाफ, डॉक्टर या पदाधिकारी को रख कर ही जांच करायी जाये. उन्होंने कोर्ट को कहा कि इन सभी मामलों की जांच अति आवश्यक है.
मालूम हो कि शिवानी कौशिक व अन्य द्वारा दायर जनहित याचिकाओं में हाइकोर्ट प्रशासन ने मृगांक मौली को कोर्ट मित्र बनाया है. हाइकोर्ट के आग्रह पर कोर्ट मित्र ने पीएमसीएच का निरीक्षण कर एक विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी थी. इस रिपोर्ट में उन्होंने पीएमसीएच में ऑक्सीजन आपूर्ति में घपले की आशंका जतायी थी.
निरीक्षण के दौरान कोर्ट मित्र ने पाया था कि एक दिन में भर्ती हुए मरीजों को डॉक्टर के मानदंड के अनुसार जहां 150 ऑक्सीजन सिलिंडर की जरूरत थी, वहां 348 सिलिंडर खपा दिये गये थे. प्रसूति वार्ड में एडमिट तीन महिलाओं पर 32 आॅक्सीजन सिलिंडरों की खपत दिखायी गयी थी. कोर्ट मित्र की रिपोर्ट पर अगली सुनवाई गुरुवार को होगी. वहीं, बक्सर में जलती लाशों पर सरकार के जवाब के लिए अगली सुनवाई 19 मई को होगी.
Posted by Ashish Jha