सुप्रीम कोर्ट में लंबित है करीब 350 नदी घाटों की बंदोबस्ती का मामला, बिहार के केवल 13 जिलों में ही हो रहा है बालू का वैध खनन
विभाग के इस निर्णय पर 25 में से केवल 14 जिलाें के पुराने बंदोबस्तधारियों ने राजस्व में 50 फीसदी बढ़ोतरी स्वीकार कर बालू खनन का निर्णय लिया.
पटना . राज्य के 38 में से 25 जिलों में नदी घाटों की बंदोबस्ती कर बालू खनन किया जाता था. जनवरी 2021 से केवल 13 जिलों में ही बालू का वैध खनन हो रहा है. हालांकि, इस कारण बालू संकट जैसी किसी भी स्थिति से खान एवं भूतत्व विभाग ने इन्कार किया है.
वहीं, विभाग फिलहाल बंदोबस्ती संबंधी प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहा है. इस इंतजार में ही 25 जिलों में करीब 350 नदी घाटों की नयी बंदोबस्ती को लेकर पर्यावरणीय स्वीकृति भी लटकी हुई है. हालांकि, इससे राजस्व का नुकसान नहीं हुआ है.
2020-21 के लिए जनवरी 2021 तक 960 करोड़ रुपये का लक्ष्य था.वसूली 1014.33 करोड़ रुपये की हुई है. सूत्रों का कहना है कि खान एवं भूतत्व विभाग ने 2015 से 2019 तक के लिए 25 जिलाें के बालू घाटों की बंदोबस्ती की थी.
2019 के दिसंबर तक नयी बंदोबस्ती की प्रक्रिया पूरी नहीं होने पर पुराने बंदोबस्तधारियों को ही राजस्व में 50 फीसदी बढ़ोतरी के साथ 31 दिसंबर, 2020 तक बालू का खनन करने की अनुमति दी गयी थी.
विभाग के इस निर्णय पर 25 में से केवल 14 जिलाें के पुराने बंदोबस्तधारियों ने राजस्व में 50 फीसदी बढ़ोतरी स्वीकार कर बालू खनन का निर्णय लिया. इनमें पटना, भोजपुर, सारण, नवादा, अरवल, बांका, बेतिया, मधेपुरा, किशनगंज, रोहतास, औरंगाबाद, गया, वैशाली और बक्सर जिले शामिल थे.
विभागीय सूत्रों के अनुसार बालू खनन के लिए नदी घाटों की बंदोबस्ती प्रक्रिया को लेकर एनजीटी और फिर सुप्रीम कोर्ट में मामला जाने के कारण नयी बंदोबस्ती नहीं हो सकी. इस वजह से विभाग ने एक जनवरी, 2021 से पिछले राजस्व पर 50 फीसदी बढ़ोतरी के साथ पुराने बंदोबस्तधारियों को बालू खनन की अनुमति दे दी.
विभाग के इस निर्णय के आधार पर गया जिले के बंदोबस्तधारियों ने बालू खनन करने से इन्कार कर दिया. इस कारण फिलहाल 13 जिलों में पुराने बंदोबस्तधारी ही बालू का खनन कर रहे हैं. इनमें पटना, भोजपुर, सारण, नवादा, अरवल, बांका, बेतिया, मधेपुरा, किशनगंज, रोहतास, औरंगाबाद, वैशाली और बक्सर शामिल हैं.
Posted by Ashish Jha