Bihar News: मंत्रिमंडल ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के आधार पर 2019 के बालू के बंदोबस्तधारियों से प्राप्त जमानत राशि वापस करने का फैसला किया है. बालू ठेका देने के एवज में कुल लागत का 10 फीसदी जमानत राशि के रूप में ली गयी थी. यह पैसा बंदोबस्तधारियों को वापस कर दिया जाएगा. इसके लिए मंत्रिमंडल ने 267.83 करोड़ रुपये की स्वीकृति दे दी है. इसके अलावा खनन निगम के माध्यम से बालू खनन करने की अनुमति भी प्रदान कर दी है.
कैबिनेट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में राज्य के आठ जिलों में बिहार राज्य खनन नगम लिमिटेड द्वारा एक जनवरी से बालू खनन करने का आदेश जारी किया है. फिरहाल इन जिलों में बंदोबस्तधारियों द्वारा 21 दिसंबर 2021 तक बालू खनन की अनुमति है. इनमें शामिल जिले नवादा, अरवल, बांका, बेतिया, मधेपुरा, किशनगंज, वैशाली और बक्सर हैं. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में कैबिनेट के दूसरे निर्णय के अनुसार 2019 में की गयी बालू घाटों की बंदोबस्ती को निरस्त करते हुए बंदोबंस्तधारियों से लिये गये 10 प्रतिशत राशि को वापस करने का निर्णय लिया है.
इन सभी बालू घाटों की पर्यावरणीय स्वीकृति नहीं मिली थी और अभी बालू खनन शुरू नहीं हुआ था. एसी हालत में इन घाटों के बंदोबस्त धारक अपना पैसा राज्य सरकार से वापस मांग रहे थे. सरकार ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद निर्णय लिया जायेगा. सुप्रीम कोर्ट ने सभी जिलों के बालू घाटों का जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट छह सप्ताह में तैयार करने का आदेश दिया है. जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट के आधार पर ही सभी बालू घाटों की फिर से बंदोबस्ती होगी. इनमें शामिल जिले पटना, सारण, गया, जमुई, भोजपुर, औरंगाबाद, रोहतास और लखीसराय है.
फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में ही इन जिले के बालू घाटों की बंदोबस्ती की जा रही है, लेकिन स्थाई बंदोबस्ती जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट के बाद ही की जाएगी. कैबिनेट ने पटना और वैशाली जिले में जननायक कर्पूरी ठाकुर छात्रावास निर्माण के लिए बिहार राज्य पुल निर्माण निगम से प्राप्त द्वितीय पुनरीक्षण प्राक्कलन की कुल नौ करोड़ 49 लाख की प्रशासनिक स्वीकृति दी गयी है. दरभंगा जिला के केवटी प्रखंड के बाढ़ पोखर में अन्य पिछड़ा वर्ग कन्या आवासीय प्लस टू उच्च विद्यालय भवन के निर्माण के लिए कुछ सात करोड़ 12 लाख की प्रशासनिक स्वीकृति दी गयी. कैबिनेट ने बिहार सांख्यिकी सेवा नियमावली 2021 की स्वीकृति दी गयी है.
Posted by: Radheshyam Kushwaha