नदियों का जल स्तर घटा, पर अब भी खतरे के निशान के नजदीक
जिले में नदियों का पानी अब सभी जगह पर घट रहा है. लगभग सभी जगहों पर यह खतरे के निशान से नीचे आ चुका है. इसके बावजूद जलस्तर अब भी खतरे के निशान के करीब ही है. हथिदह में सोमवार को भी जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर था.
पटना. जिले में नदियों का पानी अब सभी जगह पर घट रहा है. लगभग सभी जगहों पर यह खतरे के निशान से नीचे आ चुका है. इसके बावजूद जलस्तर अब भी खतरे के निशान के करीब ही है. हथिदह में सोमवार को भी जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर था.
यहां खतरे का निशान 41.76 मीटर है जबकि यहां सोमवार को दोपहर तीन बजे जलस्तर 42.32 मीटर था. इससे एक दिन पूर्व रविवार को जलस्तर 42.39 मीटर था. यहां पर पानी काफी धीमी गति से कम हो रहा है.
सोमवार दोपहर तीन बजे तक के आंकड़ों के मुताबिक गंगा का जलस्तर मनेर में 50.76 मीटर था, यहां खतरे का निशान 52.00 मीटर है. दीघा घाट में खतरे का निशान 50.45 मीटर है जबकि यहां गंगा का जलस्तर 49.52 मीटर है.
गांधी घाट में गंगा में खतरे का निशान 48.60 मीटर है. यहां गंगा का जलस्तर 48.43 मीटर है. गंगा का जलस्तर लगातार कम हो रहा है. इससे पटना शहर पर बाढ़ का खतरा अब टल चुका है. सोन नदी भी खतरे के निशान से नीचे आ चुकी है. सोन नदी इंद्रपुरी में 102.21 मीटर का जल स्तर सोमवार को था.
बाढ़ से बेगूसराय-पटना में सबसे अधिक पशुओं की मौत
बिहार में बाढ़ का प्रकोप कुछ कम हुआ है लेकिन अभी भी 18 जिला में पशुओं के लिये परेशानी खड़ी हुई है. राज्य भी में पांच दर्जन से अधिक दुधारू आदि बड़े पशुओं की मौत हुई है़
यह वह संख्या है जिसमें सरकार ने पशुपालकों को मुआवजा दिया है, अथवा देने की प्रक्रिया जारी है़ सबसे अधिक 23 पशुओं की मौत बेगूसराय में हुई है़ पटना जिला का दूसरा नंबर है. यहां दस पशुओं की जान बाढ़ ने ली है़
राहत शिविरों में रह रहे 5658 पशु हो गये बीमार
बाढ़ का असर पशुओं के स्वास्थ्य पर भी पड़ता दिख रहा है. बाढ़ प्रभावित इलाकों और बाढ़ राहत शिविरों में रह रहे हजारों पशु अब तक बीमार हो चुके हैं. सोमवार शाम तक के आंकड़ों के मुताबिक बीते करीब 10 दिनों में इन शिविरों और इनके बाहर 5658 पशुओं का इलाज किया जा चुका है.
बाढ़ आने के बाद दियारा इलाके के लोग जिले के 17 आपदा राहत केंद्रों या शिविरों में पनाह लिये हुए हैं. उनके साथ बड़ी संख्या में पशु भी आये हैं. इन केंद्रों पर आये पशुओं के स्वास्थ्य को देखते हुए जिला प्रशासन के द्वारा पशु चिकित्सकों की तैनाती की गयी.
हर केंद्र पर दो डॉक्टर और दो स्टाफ तैनात हैं. दो शिफ्टों में इनकी ड्यूटी लगती है. इलाज करने वाले डॉक्टरों का कहना है कि इन दिनों बरसात के कारण पशु बीमार हो रहे हैं.
Posted by Ashish Jha