पटना में बनेगा विश्व का चौथा पावर म्यूजियम, बिहार की धरोहर देखने दुनिया से आयेंगे लोग

यह म्यूजियम कॉम्प्लेक्स लगभग 5.5 एकड़ में बनेगा. इसका निर्माण बिहार स्टेट पावर होल्डिंग लिमिटेड करायेगी. निर्माण की जिम्मेदारी रोडिको कंसल्टेंट्स को दी गयी है.

By Prabhat Khabar News Desk | December 15, 2020 7:37 AM

सुबोध कुमार नंदन, पटना के करबिगहिया थर्मल पावर स्टेशन परिसर में वर्ष 2023 तक विश्व का चौथा और देश का पहला पावर म्यूजियम कॉम्प्लेक्स बन कर तैयार हो जायेगा. यह म्यूजियम कॉम्प्लेक्स लगभग 5.5 एकड़ में बनेगा. इसका निर्माण बिहार स्टेट पावर होल्डिंग लिमिटेड करायेगी. निर्माण की जिम्मेदारी रोडिको कंसल्टेंट्स को दी गयी है.

उल्लेखनीय है कि छह मेगावाट उत्पादन करने वाले इस पावर स्टेशन को 1984 में बंद कर दिया गया था. यह प्रोजेक्ट मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक है. 2018 में बिहार कैबिनेट में करबिगहिया थर्मल पावर स्टेशन को पहले एनर्जी पार्क बनाने पर विचार हुआ था.

उसके बाद इसे पावर म्यूजियम कॉम्प्लेक्स बनाने का प्रस्ताव पारित हुआ था. मिली जानकारी के अनुसार इस म्यूजियम कॉम्पलेक्स का निर्माण कार्य अगले साल मार्च से शुरू होगा और 2023 तक यह बन कर तैयार हो जायेगा. इस पर लगभग 200 करोड़ रुपये खर्च होंगे. इसके बनने के बाद बिहार की धरोहर देखने दुनिया से लोग आयेंगे.

राजभवन, और अस्पतालों को होती थी बिजली सप्लाइ

इलेक्ट्रिकल सुपरिटेंडेंट इंजीनियर नंद शर्मा ने बताया कि करबिगहिया थर्मल पावर स्टेशन लगभग 90 साल पुराना है. इस यूनिट की स्थापना 1930 में हुआ था. पटना इलेक्ट्रिक सप्लाइ कंपनी हुआ करती थी.

एक यूनिट पटना और दूसरा यूनिट कोलकाता इलेक्ट्रिक सप्लाइ कंपनी थी, जो मूल रूप से इंग्लैंड की कंपनी थी. यह पावर स्टेशन राज्य सरकार 1910 के तहत निबंधित था. यह पावर स्टेशन अपने आप में छोटा था, लेकिन काफी अहम था. यहां से तैयार बिजली पटना नगर क्षेत्र में सप्लाइ होती थी.

खासकर राजभवन, ऑल इंडिया रेडियो (आकाशवाणी) और अन्य प्रमुख सुविधाओं के लिए स्थानीय अस्पतालों पटना एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन को बिजली की सप्लाइ होती थी. बिहार सरकार ने अक्तूबर, 1984 में इस थर्मल पावर स्टेशन को बंद कर दिया. करबिगहिया थर्मल पावर स्टेशन से शुरुआती दौर से पांच मेगावाट बिजली का उत्पादन होता था.

बाद में 1.5 लीटर का इजाफा हुआ. इसके बाद यहां छह मेगावाट बिजली का उत्पादन यूनिट बंद होने तक होता रहा. उत्पादन का मुख्य साधन कूलिंग वाटर था. वाटर के लिए परिसर में ही शक्तिशाली बोरिंग लगा था और कोयला रेलवे के माध्यम से यहां लगभग हर दिन पहुंचता था.

लगभग पांच एकड़ क्षेत्र में फैला यह थर्मल पावर स्टेशन में पांच यूनिट बने थे. यह बिहार के सबसे पुराने पावर प्लांट में से एक है. विशालकाय टावर को कूलिंग टावर कहा जाता है, जिसकी ऊंचाई लगभग 42 मीटर है.

पटना इलेक्ट्रिक सप्लाइ कंपनी का रजिस्ट्रेशन रद्द होने के बाद 1976 में इसे बिहार राज्य विद्युत बोर्ड ने टेकओवर कर लिया और इसके कर्मचारी को भी टेकओवर किया. कंपनी का नाम पटना इलेक्ट्रिक सप्लाइ अंडरटेकिंग (पेसू) हो गया, लेकिन यूनिट चलाने की जिम्मेदारी पटना इलेक्ट्रिक सप्लाइ कंपनी के कर्मचारी को एक साल तक मिला.

बहरहाल, थर्मल पावर प्लांट की कूलिंग टावर और जर्जर इमारतें अब भी क्षेत्र में देखी जा सकती है. विद्युत बोर्ड कैंटीन में कबाड़ हो चुके सामान से सजाया गया है. इसमें थर्मल पावर स्टेशन में इस्तेमाल की जाने वाली चाय की केतली को भी प्रदर्शित किया गया है.

करबिगहिया थर्मल पावर हाउस को औपचारिक रूप से करबिगहिया पावर हाउस के रूप में जाना जाता था. नया ग्रिड सब स्टेशन का निर्माण पावर हाउस परिसर में किया गया है. इस ग्रिड की जिम्मेदारी दो महिला इंजीनियर और नौ महिला ऑपरेटर संभालती हैं. यहां की सुरक्षा का जिम्मा भी महिला सुरक्षाकर्मियों के हाथ में ही है.

पुराने पावर स्टेशन की जगह बनेगा

  • 1930 में हुआ था करबिगहिया थर्मल पावर स्टेशन का निर्माण

  • 5.5 एकड़ में फैला था यह थर्मल पावर स्टेशन

  • कूलिंग टावर की ऊंचाई लगभग 42 मीटर और गोलाई 30 मीटर थी

  • पांच टारबाइन और पांच बायलर थे

  • छह मेगावाट थी बिजली उत्पादन क्षमता

  • 1984 से बंद है यह पावर स्टेशन

यह विश्व का चौथा पावर म्यूजियम होगा

कला संस्कृति विभाग के उपनिदेशक (संग्रहालय) अरविंद महाजन ने बताया कि करबिगहिया पावर म्यूजियम के एरिया का विस्तार को देखते हुए इसे विश्व का चौथा और देश का पहला पावर म्यूजियम कहा जा सकता है. फिलहाल विश्व में शंघाई (चीन), परमत्ता (आॅस्ट्रेलिया) व सिडनी (आॅस्ट्रेलिया) में पावर म्यूजियम है. जहां तक देश का सवाल है, तो अभी तक किसी भी राज्य में पावर म्यूजियम नहीं है.

प्रदर्शित होंगे डीसी मॉडल और पुराने उपकरण

यहां प्राचीन काल से लेकर अब तक बिजली उत्पादन व उसके उपयोग को क्रमिक रूप में दिखाया व बताया जायेगा. इसमें आेपन थियेटर बनेगा, जहां थ्री डी के जरिये पावर जेनरेशन के इतिहास व समय-समय पर पावर सेक्टर में आये बदलाव से अवगत कराया जायेगा. म्यूजियम भवन में पावर जेनरेशन से संबंधित उपकरण के मॉडल और पुराने उपकरण को विभिन्न जगहों से एकत्र पर प्रदर्शित किया जायेगा.

Posted by Ashish Jha

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