300 बेडवाले आरा सदर अस्पताल के कई विभागों में डॉक्टर नहीं, पटना रेफर हो रहे इएनटी, न्यूरोलॉजी और यूरोलॉजी के मरीज
सदर अस्पताल आरा आइएसओ से मान्यता प्राप्त अस्पताल है. जिले का सबसे बड़ा अस्पताल होने के कारण दूर-दाराज व ग्रामीण क्षेत्रों से मरीज इलाज कराने के लिए आते हैं, लेकिन सदर अस्पताल के कई विभागों में डॉक्टर नहीं होने के कारण मरीजों को काफी परेशानी होती है.
आरा. सदर अस्पताल आरा आइएसओ से मान्यता प्राप्त अस्पताल है. जिले का सबसे बड़ा अस्पताल होने के कारण दूर-दाराज व ग्रामीण क्षेत्रों से मरीज इलाज कराने के लिए आते हैं, लेकिन सदर अस्पताल के कई विभागों में डॉक्टर नहीं होने के कारण मरीजों को काफी परेशानी होती है.
सदर अस्पताल में न्यूरोलॉजी, यूरोलॉजी और इएनटी विभाग बिना डॉक्टर के ही चल रहे हैं, जिससे यहां इन विभागों में इलाज कराने आनेवाले मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
इन विभागों के मरीजों को यहां के जेनरल डॉक्टर या तो पटना रेफर करते हैं या उन्हें प्राइवेट क्लिनिकों में जाकर दिखाना पड़ता है.
पहले सदर अस्पताल में इएनटी के डॉक्टर थे, लेकिन उनके निधन के बाद यहां एक डॉक्टर की पोस्टिंग हुई थी, जो नौकरी छोड़कर चले गये. उसके बाद से यह पद काफी दिनों से रिक्त है. अभी तक कोई डॉक्टर नहीं आया है.
वहीं यूरोलॉजी तथा न्यूरोलॉजी में भी डॉक्टरों का पद रिक्त है. ठंडे के दिनों में ब्रेन हैमरेज के मरीज काफी आते हैं.
ऐसी स्थिति में डॉक्टरों को प्राथमिक उपचार करने के बाद हायर सेंटर पर भेजना मजबूरी हो जाता है. ब्रेन से संबंधित बीमारी पकड़ में नहीं आती, जिसके लिए डॉक्टरों को पीएमसीएच रेफर करना पड़ता है.
वहां पर इस विभाग के डॉक्टर हैं. नहीं तो मरीजों को मजबूरन प्राइवेट अस्पतालों में जाना पड़ता है. यही, स्थिति यूरोलॉजी में भी है.
पीत के थैली में पथरी तथा मूत्र रोग से संबंधित रोगों के लिए यूरोलॉजी का होना जरूरी है. सदर अस्पताल में इस विभाग के भी डॉक्टर नहीं है. सदर अस्पताल में कुछ गिने चुने स्पेशलिस्ट डॉक्टर हैं, जिनके भरोसे अस्पताल चल रह है.
बोले सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ ललितेश्वर प्रसाद झा ने कहा कि इसको लेकर मुख्यालय को लिखा गया है. सरकार के आदेश के बाद आगे की कार्रवाई की जायेगी. सरकार द्वारा चयन कर डॉक्टर को भेजा जाता है. हमलोगों से जो भी बन पड़ता है मरीजों की सेवा के लिए करते हैं.
Posted by Ashish Jha