आरफीन, भागलपुर. टीएमबीयू के कुछ विभाग बंद होने के कगार पर हैं. कुछ ऐसे विभाग हैं, जहां पिछले कुछ साल में रिसर्च वर्क शुरू नहीं हुआ है. विवि का आंकड़ा बता रहा है कि उन विभागों में छात्रों ने नामांकन तक नहीं लिया है. हालांकि नामांकन के लिए उन विभागों से हर बार अधिसूचना जारी की जाती है. उन विभागों के अधिकारियों ने कहा कि विभाग नामांकन लेने को तैयार है, लेकिन छात्र-छात्राएं ही नहीं आते हैं.
पीजी हिंदी विभाग में एक वर्षीय पत्रकारिता डिप्लोमा कोर्स में पिछले दो साल से छात्रों ने नामांकन नहीं लिया. ऐसे में कोर्स बंद होने के कगार पर है. पिछले दो साल में नामांकन के लिए आवेदन निकाला गया, लेकिन तीन से चार छात्र ही नामांकन के लिए आवेदन किये. ऐसे में नये कोर्स की शुरुआत नहीं की गयी. राजभवन के निदेशानुसार कोर्स में कम से कम 10 छात्रों का नामांकन होना जरूरी है.
पीजी बॉटनी विभाग में केंद्र सरकार से नया शोध प्रोजेक्ट नहीं भेजा गया है. ऐसे में शोध कार्य पूरी तरह से बंद है. टीएमबीयू के पूर्व प्रतिकुलपति प्रो एके राय के नाम से शोध कार्य के लिए एक-दो प्रोजेक्ट सेंटर में आया था. इसमें बाढ़, एनटीपीसी के आपसी सहयोग से ठोस कचरा प्रबंधन के प्रोजेक्ट, वर्मी कंपाेस्ट पर कार्य हो रहा है. इसके बाद सेंटर में रिसर्च का कोई दूसरा प्रोजेक्ट नहीं आया है.
सेंटर फॉर रिजनल स्टडी में शोध कार्य बंद है. दो-तीन साल से शोध का नया प्रोजेक्ट आया ही नहीं है. इसरो से एक प्रोजक्ट आया था, इसमें पर्यावरण में सीओ टू की कितनी मात्रा है पता कर इशरो को रिपोर्ट सौंपनी थी. बिहार स्तर पर कार्य हुआ, लेकिन झारखंड स्तर पर रिसर्च नहीं हो सका. ऐसे में इशरो ने शेष रिसर्च के साढ़े चार लाख वापस ले लिया.
टीएमबीयू के पीजी पर्शियन विभाग में नामांकन के लिए छात्र नहीं मिल रहे हैं. विभाग में एक शिक्षक व दो से तीन कर्मचारी कार्यरत हैं. विवि से विभाग पर लाखों रुपये खर्च किये जा रहे हैं. शिक्षकों का दावा है कि स्कूली स्तर से लेकर कॉलेजों तक पर्शियन पढ़ाई के लिए छात्र नहीं आ रहे हैं. विभाग तो नामांकन लेने को तैयार है.
पीजी हिंदी के हेड प्रो योगेंद्र ने कहा कि नये सत्र में पत्रकारिता कोर्स में नामांकन लिया जायेगा. पार्ट थ्री का रिजल्ट आ चुका है. कोर्स में नामांकन के लिए आवेदन निकाला जा रहा है. अच्छे कोर्स को बंद नहीं होने दिया जायेगा.
पद सृजन को लेकर अटका मामला सेंटर में कार्यरत कर्मियों का विवि में पद सृजन नहीं करने से सरकार की ओर से नया प्रोजेक्ट नहीं आया है. ऐसे में पिछले दो साल से सेंटर में काम आगे नहीं बढ़ रहा है.
विवि से सेवानिवृत्त हो चुके शिक्षक डॉ पांडे ने कहा कि शोध कार्य के लिए इशरो से तीन साल का समय दिया गया था. उनके स्तर से शोध का एक पार्ट समय रहते कर लिया गया, इसके बाद वह रिटायर हो गये. दूसरे शिक्षक आये, तो रिसर्च के काम को आगे नहीं बढ़ाया.
पूर्व प्रभारी कुलपति प्रो लीला साहा ने कहा था कि विभाग में छात्र नामांकन नहीं कराते हैं. ऐसे में विभाग को बंद नहीं किया जा सकता है. कॉलेजों में पर्शियन के छात्र हैं. वहां केंद्र बना शिक्षक पढ़ाई करायेंगे.
Posted by Ashish Jha