बिहार के विश्वविद्यालयों में हर चार साल बाद स्नातक पाठ्यक्रम में बदलाव किया जाना चाहिए. इस आशय की सिफारिश बिहार उच्चतर शिक्षा परिषद की तरफ से गठित विशेष समिति ने की है. विशेष समिति का मानना है कि विभिन्न विषयों की विषय वस्तु में तेजी से बदलाव हो रहे हैं. लिहाजा बदलाव भी समय पर होने चाहिए.
यह सुझाव विशेष रूप से स्नातक कक्षाओं के लिए दिया गया है. दरअसल प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में स्नातक विषयों में 2003-04 से अभी तक पाठ्यक्रम में अपवाद छोड़ कर किसी तरह के बदलाव नहीं किये गये हैं. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक पाठ्यक्रम बदलाव के संदर्भ में राजभवन गंभीर है.
लिहाजा शिक्षा विभाग और बिहार राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद इस मामले में जल्दी ही अनुशंसाओं को फाइनल रूप देंगे. यह रिपोर्ट मंजूरी के लिए राजभवन भेजी जायेगी. साथ ही एकेडमिक ऑडिट की भी अनुशंसा की है. समिति चाहती है कि वर्तमान जरूरत के मुताबिक पाठ्यक्रम में बदलाव आवश्यक हो गये हैं. पाठ्यक्रमों में बदलाव में कई तकनीकी बाधाएं भी हैं.
पाठ्यक्रम बदलाव में बड़ी बाधा
पटना विश्वविद्यालय को छोड़ कर बिहार के किसी भी विश्वविद्यालय में बोर्ड ऑफ स्टडीज एंड फैकल्टी डेफिनेशन का उल्लेख बिहार विश्वविद्यालय एक्ट में नहीं है. चूंकि बोर्ड ऑफ स्टडीज ही पाठ्यक्रम में बदलाव के लिए सैद्धांतिक तौर पर जवाबदेह होता है. इसलिए पाठ्यक्रम में बदलाव लेने में जवाबदेह लोग रुचि नहीं लेते हैं.
बिहार राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद के उपाध्यक्ष डॉ कामेश्वर झा ने कहा कि लगभग दो दशक से स्नातक कोर्स में बदलाव नहीं हुए हैं. इसलिए प्रदेश के विवि पाठ्यक्रमों में बदलाव जरूरी हो गया है. समिति की अनुशंसा के मद्देनजर सोमवार को पाठ्यक्रम बदलाव की जरूरत से प्रदेश के शिक्षा मंत्री को अवगत कराया गया है.
Posted by: Radheshyam Kushwaha