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बिहार में 28 प्रतिशत सड़क किनारे फुटपाथ नहीं, ट्रैफिक कंट्रोल के लिए तैनात होंगे 500 सिपाही

राज्य में 28 प्रतिशत सड़कों से फुटपाथ गायब है. 40 प्रतिशत फुटपाथ ऐसे है, जहां किसी ना किसी कारण से अतिक्रमण कर लिया गया है. ऐसे में सड़कों पर पैदल चलने वालों की परेशानी बढ़ी है और वह सड़क दुर्घटनाओं के शिकार भी अधिक हो रहे है.

पटना. राज्य में सड़कों की लंबाई लगातार बढ़ने से गाड़ियों की रफ्तार भी बढ़ी हैं. परिवहन विभाग की समीक्षा में पाया गया है कि राज्य में 28 प्रतिशत सड़कों से फुटपाथ गायब है. 40 प्रतिशत फुटपाथ ऐसे है, जहां किसी ना किसी कारण से अतिक्रमण कर लिया गया है. ऐसे में सड़कों पर पैदल चलने वालों की परेशानी बढ़ी है और वह सड़क दुर्घटनाओं के शिकार भी अधिक हो रहे है. जिलों से मिली रिपोर्ट के बाद विभागीय स्तर पर एक बार फिर सड़कों से अतिक्रमण हटाने के लिए दिशा-निर्देश भेजा गया है.

जिलों को भेजा गया निर्देश , चिन्हित करें फुटपाथ

परिवहन विभाग ने सड़क सुरक्षा से जुड़े सभी विभागों को इस बात के लिए आगाह किया है कि सड़क निर्माण में लोगों के लिए ऐसी व्यवस्था जरूर करें, ताकि वह सुरक्षित पैदल चल सकें. विभाग ने सभी जिलों को दिशा – निर्देश भेजा है कि जहां फुटपाथ नहीं है. उन सड़क के किनारे फुटपाथ बनाया जाये. साथ ही, शहरी इलाकों में जेबरा क्रासिंग एवं फुटपाथ की पूर्ण व्यवस्था करें.

शहरी इलाकों में फुटपाथ की सबसे अधिक कमी

समीक्षा में पाया गया है शहरों में सड़कों का चौड़ीकरण तेजी से किया गया है, लेकिन फुटपाथ के नाम पर जगह नहीं छोड़ा गया है. पैदल लोग नहीं चल सकते है. हालात यह है कि भीड़-भाड़ वाले इलाके लोगों और गाड़ियों से बच कर खुद लोगों को चलना पड़ता है. जहां फुटपाथ बने है. उन जगहों को किसी ना किसी तरह से अतिक्रमित कर लिया गया है. स्कूल, कॉलेज, हास्पिटल के आस-पास भी फुटपाथ नहीं है. जहां लोग किनारे -किनारे चल सकें.

फुटपाथ को लेकर साइनेज की है कमी

सड़कों पर साइनेज लगाने की रफ्तार काफी कम है. वहीं, जितने साइनेज लगे है. उन साइनेज में पैदल पथ के लिए कहीं नहीं दर्शाया गया है. इस कारण से पैदल चलने वालों को यह समझ में नहीं आता है, कि सड़क के किस किनारे पर उन्हें चलना है. विभाग ने जिलों को निर्देश दिया है कि पैदल पथ को लेकर साइनेज लगाने की रफ्तार तेज करें और फुटपाथ को अतिक्रमण मुक्त कराएं.

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यातायात व्यवस्था में सुधार के लिए सिपाहियों को मिली जिम्मेदारी

बिहार में यातायात व्यवस्था को बेहतर करने और ओवरलोडिंग वाहनों पर पूर्ण रूप से अंकुश लगाने के लिए एनएच – एसएच और ग्रामीण सड़कों पर 500 चलंत दस्ता सिपाहियों की तैनाती करने का निर्णय लिया गया है. मंगलवार को इसको लेकर परिवहन विभाग ने अधिसूचना भी जारी कर दिया है. विभागीय जानकारी के अनुसार, अभी तक चलंत दस्ता सिपाही मुख्यालय स्तर पर पर नियुक्त थे. मुख्यालय से ही इनके वेतनादि का भुगतान भी किया जाता था. इस कारण विलंब होने की आशंका बनी रहती थी.अब चलंत दस्ता सिपाहियों को जिला परिवहन कार्यालय में पदस्थापन करने से वेतन का भुगतान तो सुगम होगा.

सबसे अधिक दस्ता पटना में तैनात

उन्होंने बताया कि आवश्यकतानुसार जिला एवं चेकपोस्ट पर भी प्रतिनियुक्ति की जा सकेगी. वर्तमान में बिहार में 38 जिला परिवहन कार्यालय और छह चेकपोस्ट कार्यरत हैं. चेकपोस्ट 24 घंटे कार्यरत रहता है. परिवहन विभाग ने सर्वाधिक 40 चलंत दस्ता सिपाहियों की प्रतिनियुक्ति पटना जिले में की है. इसके बाद मुजफ्फरपुर में 24, गया व पूर्णिया में 18-18 चलंत सिपाही लगाये गये हैं. इसके अलावा परिवहन विभाग के बलथरी, कर्मनाशा, दालकोला, रजौली, मोहनिया, डोभी चेकपोस्ट के साथ मुख्यालय में भी 18-18 चलंत सिपाही पदस्थापित किये गये है.

अप्रैल से लेकर नवंबर तक 23.60 करोड़ का जुर्माना, दस इ-रिक्शा जब्त

यातायात नियमों का उल्लघंन करने पर पटना में अप्रैल से लेकर नवंबर तक दो लाख चौबीस हजार एक सौ सत्रह वाहनों पर 23.60 करोड़ रुपये का जुर्माना किया गया है. सबसे अधिक 20.98 करोड़ रुपये वैसे वाहन चालकों पर किया गया है, जो बिना हेलमेट के बाइक चला रहे थे. इसके अलावा रेड लाइट जंप करना, तेज गति से वाहन चलाने, ट्रिपल लोड बाइक चलाना, बिना सीट बेल्ट के चारपहिया वाहन चलाना आदि को लेकर जुर्माना किया गया है. इधर, मंगलवार को ट्रैफिक एसपी पूरण झा के नेतृत्व में कई इलाकों में अभियान चलाया गया और दस को जब्त कर लिया गया है.

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