बिहार में ऑक्सीजन की कमी नहीं, निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन टैंक नहीं, सप्लाई में बॉटलिंग प्लांट बड़ी बाधा

राज्य में ऑक्सीजन की कमी नहीं है, लेकिन सप्लाइ में सबसे बड़ी बाधा यहां कम बॉटलिंग प्लांट का होना है. इसी के कारण अब भी इसकी किल्लत बनी हुई है. यह किल्लत खासकर पटना में ज्यादा है.

By Prabhat Khabar News Desk | April 29, 2021 12:51 PM

कौशिक रंजन, पटना. राज्य में ऑक्सीजन की कमी नहीं है, लेकिन सप्लाइ में सबसे बड़ी बाधा यहां कम बॉटलिंग प्लांट का होना है. इसी के कारण अब भी इसकी किल्लत बनी हुई है. यह किल्लत खासकर पटना में ज्यादा है.

पटना में चार बॉटलिंग प्लांट चौबीस घंटे चालू हैं, जिनकी अधिकतम उत्पादन क्षमता छह हजार 600 जंबो सिलिंडर(करीब दो लाख लीटर) रोजाना है. जबकि, पटना की रोजाना डिमांड सात हजार 500 जंबो सिलिंडर(करीब साव दो लाख लीटर) है.

इस वजह से राज्य सरकार द्वारा सभी अस्पतालों खासकर निजी अस्पतालों के लिए सात-आठ घंटे का स्टॉक दिया जा रहा है. इसकी मॉनीटरिंग करने के लिए सभी बॉटलिंग प्लांट पर मजिस्ट्रेट की तैनाती कर दी गयी है. समुचित वितरण के लिए डीडीसी के अधीन एक कोषांग का भी गठन किया गया है.

प्रचुर मात्रा में आपूर्ति

बिहार में अब ऑक्सीजन की प्रचुर मात्रा में आपूर्ति जमशेदपुर, बोकारो, दूर्गापुर समेत अन्य प्लांटों से होने लगी है. इन्हें ढोने के लिए पर्याप्त संख्या में क्राइजॉनिक टैंकर की भी व्यवस्था कर दी गयी है. कॉम्फेड के छह-छह टन के लिक्विड नाइट्रोजन ढोने वाले टैंकरों को क्राइजॉनिक टैंकर में तब्दील कर दिया गया है.

इसके अलावा ऑयल कंपनी से 20 टन की क्षमता वाला जंबो क्राइजॉनिक टैंकर भी मिल गया है. इसके अलावा कुछ अन्य क्राइजॉनिक टैंकरों का भी इंतजाम हो गया है. इन सभी टैंकरों से लगातार लिक्विड ऑक्सीजन की ढुलाई भी हो रही है. परंतु समस्या यह है कि बिहार में एक तो ऑक्सीजन बॉटलिंग प्लांट काफी कम हैं, जो हैं भी उनकी क्षमता भी काफी सीमित है.

इन प्लांटों में तरल ऑक्सीजन को गैस में तब्दील करके इन्हें सिलिंडर में भरा जाता है. फिर यही सिलिंडर अस्पतालों में सप्लाइ किये जाते हैं. लिक्विड ऑक्सीजन को माइनस 185 डिग्री सेंटीग्रेड पर ही एक स्थान से दूसरे स्थान पर ढोया जा सकता है. इसे गैस के रूप में बहुत दूर तक नहीं ढोया जा सकता है.

निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन टैंक नहीं

राज्य के एम्स, पीएमसीएच जैसे कुछ बड़े अस्पतालों में तो ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट लगे हैं, जिनमें सीधे लिक्विड ऑक्सीजन डालकर इन्हें गैस के रूप में परिवर्तित कर वहीं उपयोग किया जा सकता है. परंतु राज्य में अन्य किसी अस्पताल खासकर किसी निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन टैंक नहीं हैं.

इस वजह से इनमें बड़ी संख्या में ऑक्सीजन को स्टोर करके रखने की कोई व्यवस्था नहीं है. ये सभी अस्पताल ऑक्सीजन सिलिंडर पर ही पूरी तरह से निर्भर रहते हैं. सभी निजी अस्पतालों में कोविड बेडों की संख्या बढ़ने के कारण ऑक्सीजन की डिमांड भी काफी बढ़ गयी है, परंतु इनमें ऑक्सीजन टैंक नहीं हैं, इसलिए इन्हें ऑक्सीजन सिलिंडर की सप्लाइ की जाती है. इस वजह से भी खाली सिलिंडरकी मांग काफी बढ़ गयी है.

Posted by Ashish Jha

Next Article

Exit mobile version