आनंद तिवारी, पटना. कोरोना संक्रमण का प्रकोप कम होने बाद अब ब्लैक फंगस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. फंगस से पीड़ित मरीजों की दवा नहीं मिलने से परेशानी बढ़ रही है. चिकित्सक फंगस के मरीज को एम्फोटेरेसिन-बी इंजेक्शन लगाने की सलाह दे रहे हैं. लेकिन, इस इंजेक्शन के लिए परिजन भटक रहे हैं.
हालत यह है कि शहर के आइजीआइएमएस में भर्ती मरीज दूसरे राज्यों से संपर्क कर बाहर से इंजेक्शन मंगा रहे हैं. दवा व इंजेक्शन की सप्लाइ ड्रग विभाग की ओर से नहीं की जा रही है. इस तरह के केस शहर के आइजीआइएमएस और एम्स में रोजाना देखने को मिल रहे हैं.
ब्लैक फंगस की पुष्टि होने के बाद मुजफ्फरपुर जिले के निवासी रिजवान अहमद आइजीआइएमएस के इएनटी विभाग में भर्ती हैं, जहां डाक्टरों ने एम्फोटेरेसिन-बी इंजेक्शन लिखा.
जब इंजेक्शन नहीं मिला, तो बेटे मोदसीर अहमद ने अपने रिश्तेदार से संपर्क कर 20 एम्फोटेरेसिन-बी इंजेक्शन हैदराबाद से फ्लाइट से मंगाये. एक इंजेक्शन की कीमत 5500 है, कुल 20 इंजेक्शन करीब एक लाख 10 हजार रुपये है. मोदसीर ने बताया कि जब इंजेक्शन नहीं मिला, तो बाहर पटना के कई प्राइवेट दुकानों पर संपर्क किया गया, जहां कीमत मनमाना बताया गया.
ऐसे में मजबूर बेटे ने हैदराबाद से संपर्क किया. वहीं बेटे का कहना है कि इंजेक्शन लगवाने, पिता की जल्दी सर्जरी करने व उनसे वार्ड में मिलने के लिए लगातार डॉक्टरों से संपर्क किया जा रहा है, लेकिन उनकी फरियाद आइजीआइएमएस में कोई सुनने वाला नहीं है़
ब्लैक फंगस के एक मरीज के इलाज के लिए 150 लिपोसोमल एम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन की जरूरत पड़ती है. मरीज को 25 दिन तक रोजाना छह इंजेक्शन दिये जाते हैं. अगर निर्धारित मात्रा में इंजेक्शन की डोज नहीं दी जाती है, तो उसकी रिकवरी का समय भी बढ़ जाता है. वहीं ब्लैक फंगस के ऑपरेशन के केस में इंजेक्शनों की कमी के चलते दोबारा संक्रमण फैलने से मरीज की जान पर खतरा बना रहता है.
आइजीआइएमएस मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ मनीष मंडल ने कहा कि एम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन की सप्लाइ नहीं होने से मरीज बाहर संपर्क कर रहे हैं. दवा की सप्लाइ ड्रग विभाग नहीं कर रहा है. कई बार संपर्क किया गया है. वहीं इंजेक्शन आने के बाद भी नहीं लग रहा है या अन्य कोई दिक्कत है, तो परिजन मुझे संपर्क करें.
Posted by Ashish Jha