कोरोना काल में धान के तर्ज पर गेहूं खरीद का भी बना रिकार्ड, बिहार में अब तक 23 हजार एमटी से अधिक हुई खरीद

कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप में भी सहकारिता विभाग ने गेहूं की खरीद में रिकार्ड कायम कर लिया है. सरकार ने गेहं की खरीद में यह रिकार्ड बनाया है. अब तक 23 हजार एमटी से अधिक खरीद हो चुकी है.

By Prabhat Khabar News Desk | May 10, 2021 9:39 AM

अनुज शर्मा, पटना. कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप में भी सहकारिता विभाग ने गेहूं की खरीद में रिकार्ड कायम कर लिया है. सरकार ने गेहं की खरीद में यह रिकार्ड बनाया है. अब तक 23 हजार एमटी से अधिक खरीद हो चुकी है. खरीद केंद्र अभी बीस दिन से अधिक दिन खुलने हैं. यह उपलब्धि इसलिए बड़ी है क्योंकि करीब एक दशक से राज्य में गेहूं की सरकारी खरीद 16 हजार एमटी से अधिक नहीं हो पा रही थी.

इस साल गेहूं के उत्पादन में 10 लाख एमटी की वृद्धि हुई है. 65 लाख एमटी उत्पादन होने से गेहूं की अधिक से अधिक खरीद पर जोर है. राज्य की जरूरत को पूरा करने के लिए राज्य को 25 लाख एमटी गेहूं की जरूरत होती है. इसके मुकाबले सरकारी खरीद 16 हजार एमटी के आसपास रहती आ रही थी.

इससे जन वितरण प्रणाली की गेहूं की मांग पूरी नहीं हो पाती थी. इस बार यह तस्वीर बदलने जा रही है. खरीद की पिछले सालों से तुलना करें तो इस बार परिणाम उत्साह जनक हैं. सहकारिता विभाग की सूचना के अनुसार नौ मई की सुबह तक चार हजार से अधिक सोसाइटी पर 23037 एमटी गेहूं की खरीद की जा चुकी थी. 3900 से अधिक किसान अपना गेहूं सरकार को बेच चुके थे.

सरकार के लिये यह इसलिये भी महत्वपूर्ण कि कि अन्य बीते सालों में सब सामान्य रहता था तब बीस हजार एमटी के नीचे खरीद होती थी. इस बार कोविड में यह रिकार्ड टूटा है. खाद्य एवं आपूर्ति सचिव विनय कुमार ने मीडिया को बताया कि अभी तक गेहूं की नाममात्र की खरीद होती थी. खरीद 15- 16 हजार एमटी से ऊपर नहीं हो पाती थी. राज्य को जनवितरण प्रणाली के लिये ही 25 लाख टन गेहूं की जरूरत है.

इस कारण बदली खरीद की तस्वीर

सहकारिता सचिव बंदना प्रेयषी ने एक मई को धान ही तर्ज पर गेहूं की खरीदारी की आधिकारिक घोषणा की. खरीदारी का लक्ष्य एक लाख से बढ़ाकर सात लाख एमटी करने और खरीद 31 मई तक जारी रखने की जानकारी दी. किसानों को अलग से रजिस्ट्रेशन की जरूरत को खत्म किया गया.

कृषि विभाग के पोर्टल पर पंजीकृत रैयत और गैर रैयत किसानों को आजादी दी गयी कि वे वे किसी भी चयनित पैक्स या व्यापार मंडल में एमएसपी (1975 रुपये प्रति क्विंटल) पर गेहूं बेचें. खरीद में पैसे की कमी न हो इसके लिये पैक्सों को 140 करोड़ रुपये आवंटित कर दिये गये. किसान सलाहकारों से पंचायतवार सूची तैयार करायी जा रही है.

पटरी पर आयी खरीद प्रक्रिया

कोरोना के कारण जीवन पटरी पर उतरा तो खरीद प्रक्रिया भी शुरू होने से पहले लडखड़ाती दिखी. पैक्स और व्यापार मंडल खरीद के पहले सप्ताह में एक किलो भी गेहूं नहीं खरीद सके थे. अधिकांश क्रय केंद्र बंद थे. सहकारिता विभाग एजेंसियों का चयन भी नहीं कर सका है.

सरकारी गेहूं की खरीद 1975 रुपये प्रति क्विंटल की दर से 15 मई तक होनी थी लक्ष्य एक लाख मीटरिक टन तय हुआ था लक्ष्य के साथ रैयत किसानों से 150 , गैर रैयत से 50 क्विंटल तक ही गेहूं खरीद कर भुगतान 48 घंटे के भीतर करने के आदेश दिये गये थे. खरीद शुरू करने की तारीख पहले 15 अप्रैल रखी गयी फिर से इसे बढ़ाकर 20 अप्रैल कर दिया गया. इसमें भी 22 अप्रैल तक खरीद शुरू नहीं हो पायी थी. विभाग मात्र 200 एजेंसी का चयन कर पाया था.

सहकारिता विभाग के सचिव बंदना प्रेयषी ने कहा कि सहकारिता पदाधिकारी और चार अन्य पदाधिकारियों की मृत्यु हो चुकी है. इन विपरीत परिस्थितियों के बावजूद धान की तरह गेहूं का लक्ष्य प्राप्त करेंगे. खरीद केंद्रों पर सभी जरूरी साधन उपलब्ध हैं. कोविड प्रोटोकाल का भी पालन कराया जा रहा है.

Posted by Ashish Jha

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