हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के साथ काम कर रहे हैं बिहार के ये बच्चे, सॉफ्ट रोबोटिक टूल किट प्राजेक्ट में दे रहे सहयोग
साॅफ्ट रोबोटिक्स पर काम कर रहे अमेरिका स्थित विश्व की प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने अपने प्रोजेक्ट सहयोगी के रूप में गया के +2 जिला स्कूल को चुना है.
गया. साॅफ्ट रोबोटिक्स पर काम कर रहे अमेरिका स्थित विश्व की प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने अपने प्रोजेक्ट सहयोगी के रूप में गया के +2 जिला स्कूल को चुना है.
हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने इस प्रोजेक्ट के लिए देश के कुल 10 विद्यालयों का चयन किया है. इनमें +2 जिला स्कूल बिहार से एकमात्र चयनित स्कूल है. स्कूल में बने अटल टिकरिंग लैब (एटीएल) में हार्वर्ड विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने शुक्रवार को प्रोजेक्ट को लेकर प्रशिक्षण शुरू किया.
प्रशिक्षण 27 फरवरी तक चलेगा. इस प्रशिक्षण सत्र में हार्वर्ड विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ साॅफ्ट रोबोटिक टूल किट के लिये चयनित प्रोजेक्ट की बारीकियों की जानकारी देंगे. शुक्रवार को प्रशिक्षण सत्र का उद्घाटन जिला शिक्षा पदाधिकारी मो. मुस्तफा हुसैन मंसूरी, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी माध्यमिक शिक्षा आनंद कुमार, जिला स्कूल के प्राचार्य डाॅ सुदर्शन शर्मा ने किया.
पहले दिन प्रशिक्षकों ने विद्यार्थियों को साॅफ्ट रोबोट इंट्रोडक्शन दिया. 27 फरवरी तक हर रोज सॉफ्ट रोबोट के अलग-अलग विषयों पर विद्यार्थियों को प्रशिक्षण दिया जायेगा. इस प्रशिक्षण के बाद विद्यार्थियों की परीक्षा भी होगी. इसमें क्वालिफाइ करने वाले विद्यार्थी अगले चरण में हार्वर्ड विश्वविद्यालय के साथ काम करेंगे.
सॉफ्ट रोबोटिक टूल किट प्रोजेक्ट प्रशिक्षण के लिये कुल 13 विद्यार्थियों को शामिल किया गया है. एटीएल इंचार्ज देवेंद्र सिंह ने बताया कि इस प्रोजेक्ट के तहत लैब में साॅफ्ट रोबोटिक टूल किट तैयार करना है. 23 मार्च को प्रोजेक्ट हार्वर्ड विश्वविद्यालय को सौंप भी देना है.
उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट के लिये 15 विद्यार्थियों को शामिल किया है. सॉफ्ट रोबोटिक टूल किट के संबंध में देवेंद्र सिंह ने बताया कि इसमें उन उपकरणों का निर्माण किया जायेगा जो सॉफ्ट रोबोट तैयार करने में कारगर हों. इन उपकरणों की मदद से लचीले काम करने वाले रोबोट तैयार किया जा सकेंगे.
साधारण परिवारों से आते हैं अधिकतर बच्चे
एटीएल लैब में हार्वर्ड के साथ प्रशिक्षण ले रहे ये बच्चे बहुत ही साधारण परिवार से आते हैं. किसी के पिता गेट-ग्रिल का काम करते हैं तो किसी के कपड़ा बिनाई का. ये बच्चे ऐसे परिवार से हैं जहां औसत शिक्षा और औसत नौकरी ही बड़ी उपलब्धि के समान है. लेकिन, इन बच्चों की प्रतिभा आैसत से कहीं ऊपर है. उन्हें एक मौका चाहिए था. यह मौका उन्हें नीति आयोग के सहयोग से चलने वाले अटल टिकरिंग लैब व हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने दे दिया.
सॉफ्ट रोबोट के निर्माण को लेकर दुनिया भर में जो शोध चल रहे हैं, ये बच्चे अब उनका हिस्सा है. आने वाले कई वर्षों के बाद जब दुनिया सॉफ्ट रोबोटिक मोड पर काम करेगी, उस वक्त जब इस प्रोजेक्ट के इतिहास की चर्चा होगी तो उसमें गया जिला, जिला स्कूल व इन बच्चों का नाम भी शामिल होगा. ये बच्चे इसलिए भी खुश हैं क्योंकि उनके परिवार ने उन्हें सपोर्ट किया है. उनका परिवार भी चाहता है कि बच्चे उनका और उनके जिले का नाम रोशन करे.
Posted by Ashish Jha