कोरोना वायरस के खिलाफ जंग लड़ने के लिये ये पांच उपकरण जरूरी, जानिए क्या हैं सबसे मजबूत सुरक्षा कवच

कोरोना को हराने के लिए विश्व भर में एक बड़ी जंग चल रही है. इसमें अभी तक तो सफलता किसी भी देश को नहीं मिली है, लेकिन कोरोना को रोकने में मजबूत कवच जरूर बहुत हद तक काम कर रहे हैं. जिसमें पीपीई किट, सैनिटाइजिंग स्प्रे , वेंटिलेटर, मास्क और एंबुलेंस ऐसे उपकरण शामिल हैं, जो कोरोना को फैलने से रोकने में मदद कर रहे हैं और लोगों को सुरक्षित भी रख रहे हैं.

By Radheshyam Kushwaha | April 8, 2020 9:38 AM

गया. कोरोना को हराने के लिए विश्व भर में एक बड़ी जंग चल रही है. इसमें अभी तक तो सफलता किसी भी देश को नहीं मिली है, लेकिन कोरोना को रोकने में मजबूत कवच जरूर बहुत हद तक काम कर रहे हैं. जिसमें पीपीई किट, सैनिटाइजिंग स्प्रे , वेंटिलेटर, मास्क और एंबुलेंस ऐसे उपकरण शामिल हैं, जो कोरोना को फैलने से रोकने में मदद कर रहे हैं और लोगों को सुरक्षित भी रख रहे हैं. इनका उपयोग आज के वक्त में बहुत जरूरी हो गया है. कोरोना के मजबूत वार से बचाने के लिए इन सुरक्षा कवचों का होना बहुत जरूरी भी है.

01-पीपीई किट

पीपीई किट यानी पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट्स. नाम से ही स्पष्ट है कि ऐसा उपकरण, जिससे संक्रमण से खुद को बचाने में मदद मिले. कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज में लगे डॉक्टर, नर्स, कंपाउंडर और मेडिकल स्टॉफ को सिर से पांव तक वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए कई तरह की चीजें पहननी होती हैं. किट में आम तौर पर मास्क, ग्लव्स, गाउन, एप्रन, फेस प्रोटेक्टर, फेस शील्ड, स्पेशल हेलमेट, रेस्पिरेटर्स, आई प्रोटेक्टर, गोगल्स, हेड कवर, शूकवर, रबर बूट्स होते हैं. इन्हें पहनने से इलाज कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों में मरीज से वायरस नहीं फैल पाता है. पीपीई किट के इस्तेमाल के बाद उसका सही तरीके से निस्तारण करना चाहिए, ताकि उससे कि सी दूसरे को संक्रमण नहीं फैले. यह किट चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों के लिए सुरक्षा कवच है. मगध मेडिकल में लगभग 400 किट मौजूद हैं.

2-वेंटिलेटर

वेंटिलेटर को सरल भाषा में समझें, तो यह एक मशीन है, जो ऐसे मरीजों की जिंदगी बचाती है, जिन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही है या वे खुद सांस नहीं ले पा रहे हैं. कई बीमारियां ऐसी हैं, जिनकी वजह से फेफड़े अपना काम नहीं कर पाते हैं. ऐसे मरीजों को कृत्रिम रूप से सांस देने के लिए वेंटिलेटर का उपयोग किया जाता है. इस बीच डॉक्टर इलाज के जरिये फेफड़ों को दोबारा काम करने लायक बनाते हैं. वेंटिलेटर दो प्रकार के होते हैं. एक मैकेनिकल वेंटिलेशन और दूसरा नॉन इनवेंसि व वेंटिलेशन. मैकेनिकल वेंटिलेटर के ट्यूब को मरीज की सांस नली से जोड़ दिया जाता है, जो फेफड़े तक ऑक्सीजन ले जाता है. दूसरे प्रकार के वेंटिलेटर को सांस नली से नहीं जोड़ा जाता है, बल्कि मुंह और नाक को कवर करते हुए एक मास्क लगाया जाता है, जिसके जरिये इस प्रक्रिया को किया जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना से पीड़ित मरीजों में वायरस फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है, जिससे सांस लेना बहुत मुश्किल हो जाता है. शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने लगती है. इसलिए वेंटिलेटर की आवश्यकता होती है. मगध मेडिकल कॉलेज में 10 वेंटिलेटर की सुविधा उपलब्ध है.

3-एबुंलेंस

किसी भी मरीज को सही वक्त पर अस्पताल पहुंचाने में एंबुलेंस की सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती है. मौत की आगोश में जाती जिंदगी को बचाना ही एंबुलेंस का काम होता है. कोरोना की चपेट आयी दुनिया में अभी एंबुलेंस की जरूरत और भी बढ़ गयी है. जिले में भी एंबुलेंस दिन रात इस सेवा में लगे हैं. लोगों को सही समय पर अस्पताल और क्वारेंटिन सेंटर पहुंचाने में इनकी सबसे अहम भूमिका है. जिले में अभी सभी एंबुलेंस हाई अलर्ट पर हैं. प्रखंडों से लेकर मुख्यालय तक सभी फील्ड में घूम रहे हैं. जहां से भी मरीज को इलाज के लिए मगध मेडिकल या क्वारेंटिन सेंटर ले जाना है, अधिकारी का आदेश मिलते ही एंबुलेंस उनकी सेवा में पहुंच जा रहे हैं. एंबुलेंस को विशेष तौर पर तैयार किया गया है, ताकि वायरस का फैलाव न हो सके.

4-सैनिटाइजिंग स्प्रे

शहर की सड़कों से लेकर मकान और दुकान को सैनिटाइज करने के लिए सड़क पर हर रोज नगर निगम की गाड़ियां दिख रही हैं. विभिन्न प्रकार के केमिकल, ब्लीचिंग पाउडर और पानी का उपयोग करते हुए इसे तैयार किया जाता है. इसके बाद प्रेशर के साथ इसका छिड़काव किया जाता है. यह कोरोना के वायरस को तो खत्म नहीं कर सकता, लेकिन किसी दूसरे प्रकार के विषाणु, मच्छर और मक्खियों को पनपने नहीं देता. सड़क की दीवारों से लेकर नालियों और दूसरी हर जगह पर इसका छिड़काव किया जा रहा है. नगर निगम में सैनिटाइजिंग स्प्रे गाड़ी व फॉगिंग मशीन लगभग 60 की संख्या में उपलब्ध हैं.

5-मास्क

किसी भी प्रकार के विषाणु का संक्रमण सबसे अधिक मुंह से होता है. यह दूसरों को भी संक्रमित करता है. लोग खुद भी संक्रमित हो जाते हैं. कोरोना जैसी जानलेवा बीमारी से बचने के लिए मास्क एक उपयोगी हथियार है. चिकित्सक से लेकर स्वास्थ्यकर्मियों को इसे पहने रहने की सख्त हिदायत है. इसके साथ ही फील्ड में काम कर रहे पुलिसकर्मी, प्रशासन के अधिकारी, निगमकर्मी और मीडियाकर्मियों को भी मास्क पहने रहने की नसीहत दी जा रही है. ऐसा इसलिए, क्योंकि ये सभी पूरे दिन काम कर रहे हैं, और कभी भी संक्रमित हो सकते हैं. मास्क संक्रमण को फैलने से रोकने का सबसे कारगर उपाय है. बीमार लोगों को भी मास्क पहने रहना चाहिए, ताकि वे किसी और को बीमार न कर दें.

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