संजीव, भागलपुर: तिब्बत, भूटान और इंग्लैंड जैसे देशों के सैलानियों को लुभानेवाला भागलपुर जिला पर्यटन में एक साल पहले तक बांका से भी पीछे चल गया था. अब टूरिस्ट विजिटिंग के मामले में भागलपुर ने बाजी पलट दी है. कोरोना संक्रमण के सबसे दुरूह काल वर्ष 2020 और 2021 में भागलपुर में भी सैलानियों की विजिटिंग कम हो गयी थी. स्थिति यह थी कि फरवरी 2020 के बाद एक भी विदेशी पर्यटक यहां नहीं आ रहे थे, लेकिन 2022 के अगस्त में भागलपुर में जहां 25 विदेशी पर्यटक आये, वहीं बांका में पांच.
प्राचीन स्थल विक्रमशिला महाविहार और अजगैवीनाथ मंदिर वाले इस प्रमंडलीय मुख्यालय में घरेलू पर्यटकों की संख्या में भी अप्रत्याशित वृद्धि हुई है. यही स्थिति इस प्रमंडल के बांका जिले में भी देखी जा रही है. इस बात का खुलासा बिहार सरकार के पर्यटन विभाग द्वारा जारी टूरिस्ट विजिट डाटा से हुआ है.
भागलपुर जिले में दो ऐतिहासिक स्थल पर्यटकों की सूची में जरूर शामिल होते हैं. दुनिया के सबसे पुराने विश्वविद्यालयों में शामिल विक्रमशिला महाविहार के भग्नावशेष और इसके संग्रहालय में संग्रहित पुरातात्विक वस्तुओं को देखने के लिए पर्यटक पहुंचते हैं. हालांकि, एनएच-80 के ध्वस्त रहने के कारण पर्यटक यहां जाना नहीं चाहते हैं. महर्षि काआश्रम भी पर्यटकों को काफी लुभाता है. दुनिया भर में प्रसिद्ध भगवान वासुपूज्य का नाथनगर स्थित जैन मंदिर भी पर्यटक पहुंचने लगे हैं.
बांका में पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी कई वजहें हैं. यहां पर्यटन के क्षेत्र में काम भी हुआ है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बांका में बौंसी मंदार पर्वत पर रोपवे का उद्घाटन पिछले वर्ष किया था. यह बिहार का दूसरा रोपवे है. महज 80 रुपये के टिकट पर मंदार की ऐतिहासिक पौराणिक और धार्मिक स्थलों के दर्शन की व्यवस्था की गयी है. बांका जिला मुख्यालय से सटे ओढ़नी डैम में जिला प्रशासन के द्वारा नौका विहार शुरू किया गया है. हर दिन सैकड़ों लोग अपने परिवार के साथ डैम पर पहुंच बोटिंग का आनंद लेते हैं.
ओढ़नी जलाशय – कभी प्रवासी पक्षियों का बसेरा ओढ़नी डैम आज पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है. जलाशय के शांत जल में बोटिंग एक अद्भूत एडवेंचर है, जो जम्मू कश्मीर के डल झील जैसा आनंद देता है. फिलवक्त जलक्रीड़ा के लिए यहां पांच मोटर बोट, दो गेट स्कीम के बाद एक बंपर राइड मौजूद है. ओढ़नी जलाशय में पैरासेलिंग, बनाना राइड, जॉर्विंग वेल, डबल डेकर जहाज, काईकिंग, रोरिंग व साइकिलिंग आदि की सुविधा भी जल्द शुरू होगी. खास बात यह भी कि ओढ़नी का सनसेट पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.
मंदार रोपवे – जिले के ऐतिहासिक मंदार पर्वत की खूबसूरती सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करती है. देश व विदेश के पर्यटक यहां पहुंच रहे हैं. ऐतिहासिक व धार्मिक मान्यता होने के कारण मंदार में सफा, जैन व हिंदु धर्मावलंबी अक्सर यहां आते हैं. 21 सितंबर 2021 को मंदार में रोपवे की शुरुआत हो जाने के बाद यहां सैलानियों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. यहां के सफा धर्म मंदिर, लखदीपा मंदिर, मधुसूदन मंदिर, सर्प चिन्ह, सीता कुंड, मंदिरों का भग्नवशेष, शंख कुंड, नरसिंग गूफा, पाताल कुंड, राम झरोखा, जैन मंदिर, चैतन्य पीठ आदि दर्शनीय स्थल हैं. ये सभी मंदार के शिखर पर मौजूद हैं. इसके अलावा मंदार पर्वत की तराई में पापरहरी सरोवर के बीचों बीच अष्टकमल मंदिर भी दर्शनीय स्थल है.
नागी पक्षी आश्रयणी लगातार पर्यटकों को लुभा रहा है. 510 एकड़ में फैली इसकी सुंदरता व इसके चारों तरफ फैली चट्टानें सैलानियों को और अधिक आकर्षित कर रही हैं. शरद ऋतु आते ही साइबेरियन पक्षियों का जमावड़ा शुरू हो जाता है. नागी की सैर करने के लिए नाव व राफ्टर भी मंगाया गया है. पर्यटन के अलावा नागी पक्षी अभ्यारण्य जीव विज्ञान विभाग, वनस्पति विज्ञान विभाग, मृदा विज्ञान विभाग के अलावा भूगर्भ शास्त्रियों के लिए रिसर्च का अध्ययन केंद्र भी बनता जा रहा है.
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भागलपुर
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वर्ष……….घरेलू………विदेशी
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2022……61734……25
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2021……3521……..0
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2020…….108241….54
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बांका
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वर्ष……….घरेलू………विदेशी
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2022………59323……05
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2021……….5729…….0
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2020……….70847…..0