बिहार के इन छह गांवों को मिला अपने जिले का डाकघर, नये पिन कोड से अब पहुंचेगी चिट्ठी
अब यहां चिट्ठी सीधे अपने डाक घर आयेगी. इन गांवों की चिट्ठी को भोजपुर घूमने की जरूरत नहीं होगी.
बिक्रमगंज. 65 दिनों तक चिट्ठी घूमती रही और जब मिली तो रोहतास व भोजपुर के बीच डाकघर का बंटवारा करा दी. छह गांवों को अपने जिले का डाकघर मिला और नया पिन कोड भी.
यह वाकया बिक्रमगंज प्रखंड की शिवपुर पंचायत का है, जिसके लोगों के संघर्ष ने रंग लाया और पंचायत के छह गांवों शिवपुर, सियारूआ, रमाही टोला, झूमर टोला, वरुणा व मोहनी को अपने जिले का डाकघर मिल गया और नया पिन कोड 802212 मिल गया.
अब यहां चिट्ठी सीधे अपने डाक घर आयेगी. इन गांवों की चिट्ठी को भोजपुर घूमने की जरूरत नहीं होगी. प्राप्त जानकारी के अनुसार बिहार विद्यालय परीक्षा समिति से एक चिट्ठी सांईं बीएड एंड डीएलएड कॉलेज, शिवपुर, बिक्रमगंज के नाम भेजी गयी थी.
चिट्ठी पर तिथि 10 सितंबर, 2018 अंकित है, जो कॉलेज को 15 नवंबर, 2018 को मिली. इस दौरान चिट्ठी भोजपुर व रोहतास के डाकघरों के बीच घूमती रही.
जरूरी चिट्ठी समय पर नहीं मिली, तो संदेश प्राप्त करने वाले ने इसकी खोज शुरू की, तो बिक्रमगंज के डाकघर में पत्र दिखा, लेकिन डाकघर ने यह कह चिट्ठी देने से इन्कार कर दिया कि शिवपुर गांव का डाकघर हसन बाजार (जिला भोजपुर) है.
चिट्ठी वहां जायेगी और वहीं से गांव में भेजी जायेगी. इसके बाद कॉलेज के निदेशक धनंजय सिंह और अन्य ग्रामीणों ने अपने छह गांवों के डाकघर को बदलने के लिए संघर्ष शुरू कर दिया, जिसका नतीजा दो वर्ष बाद निकला और अब ये सभी छह गांव अब अपने बिक्रमगंज डाकघर से जुड़ गये और अपना पिन कोड भी मिल गया.
शाहाबाद से रोहतास जिला 1972 में अलग हुआ, तो बिक्रमगंज प्रखंड की शिवपुर पंचायत के छह गांवों के डाकघर नहीं बदले.
वे हसन बाजार के डाकघर से जुड़े रहे. इसका नतीजा गांव के लोग करीब 48 वर्ष तक भुगतते रहे. किसी भी कार्य के लिए उन्हें हसनबाजार के डाकघर पर निर्भर रहना पड़ता था.
Posted by Ashish Jha