मनोज मिश्र, डुमरिया (गया). गया जिले के नक्सलग्रस्त इलाके में अब केसर की खेती हो रही है. छकरबंधा पंचायत मुख्यालय से सात किलोमीटर की दूरी पर स्थित तारचुआं गांव में तीन किसानों के द्वारा 15 कट्ठे में इसकी खेती शुरू की गयी है. तारचुआं निवासी व छकरबंधा पंचायत के पूर्व मुखिया हरिहर सिंह भोक्ता, ईश्वरी सिंह भोक्ता व देवकुमार सिंह भोक्ता के द्वारा खेती की जा रही है.
इनलोगों ने कहा कि यहां की मिट्टी काफी उपजाऊ है. जल जीवन हरियाली व जल छाजन के द्वारा कई डैम का निर्माण हो जाने से सिंचाई के साधन भी हो गये हैं. पारंपरिक खेती से उतना लाभ नहीं मिल पाता था.
उन्होंने आमस प्रखंड के एक प्रगतिशील किसान से मुलाकात की, तो केसर की खेती करने की सलाह दी. उन्हीं से तकनीकी सीखने के बाद बीज मंगवाया व खेती करनी शुरू की. किसानों ने बताया कि अभी 15 कट्ठे में खेती की जा रही है. लाभ मिला तो आगे बड़े पैमाने पर खेती करेंगे.
पूर्व मुखिया श्री भोक्ता ने बीज की कीमत और पैदावार की जानकारी देते हुए कहा कि केसर का बीज लगभग 70-75 हजार रुपये किलो मिलता है और लगभग चार से पांच महीने में तैयार हो जाता है.
नवंबर-दिसंबर में इसकी बुआई आलू की तरह मेड़ बना कर की जाती है. मार्च से अप्रैल तक यह तैयार हो जाता है. उन्होंने कहा कि पहली बार इसकी खेती इस क्षेत्र में की जा रही है. यदि मुनाफा सही रहा, तो आगे भी खेती होगी. इसके अलावा अन्य लोगों को भी प्रेरित किया जायेगा.
उन्होंने बताया कि केसर का भाव बाजार में एक से डेढ़ लाख रुपये प्रति किलो हो सकता है. किसान हरिहर सिंह ने बताया कि केसर के लिए वातावरण में नमी काफी जरूरी है. वैसे इस क्षेत्र के लिए अनुकूल नहीं है. उन्होंने कहा कि इसका तेल भी निकाला जाता है और अंकुरण कर भी प्रयोग में लिया जा सकता है.
Posted by Ashish Jha