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बिहार के इस मंडल कारा में क्षमता से दोगुने कैदी, कोविड-19 से बचाव के प्रयास बनी चुनौती

मंडल कारा छपरा में क्षमता से दुगुने सजायफ्ता व विचाराधीन बंदियों के होने के कारण खास कर पुलिस बंदियों को आवासन की परेशानी हो रही है.

छपरा (सदर). मंडल कारा छपरा में क्षमता से दुगुने सजायफ्ता व विचाराधीन बंदियों के होने के कारण खास कर पुलिस बंदियों को आवासन की परेशानी हो रही है. कारा प्रशासन ने वर्तमान में उपलब्ध 25 पुरुष वार्डों व पांच महिला वार्डों में खासकर पुरुष बंदियों की संख्या बढ़ने से बंदियों को रात में वार्डों में सोने को लेकर हो रही परेशानी की व्यवस्था को लेकर परेशान हैं. वहीं शौचालय आदि को लेकर भी बड़ी संख्या के कारण बंदियों को परेशानी हो रही है.

कारा प्रशासन से प्राप्त सूचना के अनुसार मंडल कारा में 1625 बंदी है. जबकि कारा की क्षमता 826 बंदियों की है. पांच महिला वार्डों में 62 महिला बंदियों की रखने की क्षमता है. महिला बंदियों की संख्या 60 है व उनके साथ रहने वाले बच्चों की संख्या 15 है. परंतु पुरुष बंदियों की संख्या ज्यादा होने के कारण वार्डों में बंदियों को अधिक संख्या में रखने की कारा प्रशासन की भी मजबूरी दिख रही है.

अब कोविड-19 को लेकर 28 फरवरी के बाद गिरफ्तार बंदियों को गोपालगंज, दलसिंहसराय आदि जिलों में नहीं भेजा जा रहा है. ऐसी स्थिति में वर्तमान में बंदियों की संख्या बढ़ने के बीच बुनियादी जरूरतों खास कर गर्मी के मौसम में रात में बंदियों के सोने की समस्या को पूरी तरह से मानदंड के अनुकूल बनाये रखना कारा प्रशासन के लिए चुनौती साबित हो रहा है.

वहीं कोरोना के दूसरे दौर के शुरू होने के अंदेशा के बीच बंदियों की बढ़ी संख्या व वार्डों की कमी कारा प्रशासन के लिए कोविड-19 से बचाव के प्रयास के लिए चुनौती साबित हो सकती है. न्यायालय में पेशी के दौरान आये कुछ बंदियों का कहना था कि जगह के आभाव में येन-केन प्रकारेण रात गुजारनी पड़ती है. वहीं शौचालय की सीमित क्षमता के कारण भी नित्य क्रिया में परेशानी होती है.

30 से 32 फीसदी बंदी शराब के मामले में हैं बंद

मंडल कारा छपरा में 1625 बंदियों में लगभग 500 से 510 तक बंदी उत्पाद अधिनियम के तहत विभिन्न थाना क्षेत्रों से गिरफ्तार होकर जिला पुलिस एवं उत्पाद पुलिस के द्वारा भेजे गये है, जिससे वर्तमान में बंदियों की संख्या ज्यादा हो गयी है. उधर बंदियों की संख्या बढ़ने के कारण कारा प्रशासन द्वारा सुरक्षा को लेकर जहां विशेष चाक-चौबंद व्यवस्था की गयी है व निगरानी तेज कर दी गयी है.

वहीं भोजन तथा पेयजल आदि की व्यवस्था को बनाये रखने के लिए कारा प्रशासन हर संभव प्रयास का दावा कर रहा है. कारा प्रशासन का कहना है कि वार्ड की संख्या सीमित है. ऐसी स्थिति में बंदियों की संख्या बढ़ने के बावजूद जो भी बंदी आते हैं, उन्हें व्यवस्थित ढंग से रखने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है. वहीं भोजन, पेयजल आदि के लिए अतिरिक्त व्यवस्था की गयी है. जबकि महिला बंदियों के बच्चों के पढ़ाई लिखाई के साथ खेलकूद के लिए पालनाघर आदि की व्यवस्था भी की गयी है.

मंडल कारा के लगभग डेढ़ सौ बंदियों की हुई नि:शुल्क जांच

रोटरी क्लब सारण के सौजन्य से मंडल कारा छपरा परिसर में नि:शुल्क स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन किया गया. इस दौरान डेंटल, मेडिसिन, चर्म रोग, स्त्री रोग व शिशु रोग के चिकित्सकों द्वारा बंदियों का नि:शुल्क इलाज किया गया. जिसमें चिकित्सक के रूप में डॉ पार्थ सारथी, डॉ श्यामल किशोर, डॉ नताशा, डॉ आरके शर्मा, डॉ अर्चना ने इलाज किया.

काराधीक्षक के अनुसार कारा के 21 बंदियों की दांत, 36 बंदियों के चर्म रोग, पांच बंदियों, स्त्री रोग वाले 26 महिला बंदियों तथा शिशु रोग विशेषज्ञ चिकित्सक द्वारा महिला बंदियों के 11 बच्चे व नेत्र रोग विशेषज्ञ द्वारा 50 बंदियों के आंख का इलाज नि:शुल्क किया गया. रोटरी के अमरेंद्र कुमार सिंह आदि सदस्यों की देख-रेख में इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था.

क्या कहते है काराधीक्षक

काराधीक्षक ने कहा कि मनोज कुमार सिन्हा मंडल कारा में वर्तमान में बंदियों की संख्या बढ़ी है. ऐसी स्थिति में 25 पुरुष वार्डों में खासकर पुरुष बंदियों की संख्या बढ़ने के कारण सोने के समय शारीरिक दूरी का अनुपालन कराने में परेशानी हो रही है. अन्य बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए हर संभव व्यवस्था की जा रही है. परंतु वार्ड की संख्या तत्काल बढ़ाना संभव नहीं दिखता. इन बंदियों में 30 से 32 फीसदी उत्पाद अधिनियम के तहत गिरफ्तार बंदी है.

posted by Ashish Jha

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