मुजफ्फरपुर. मुजफ्फरपुर सहित उत्तर बिहार के सात जिलों के किसानों के लिए अच्छी खबर है. जल एवं भूमि प्रबंधन संस्थान (वाल्मी) के मिट्टी जांच प्रयोगशाला को छह साल बाद शुरू करने की कवायद चल रही है.
प्रभात खबर के चार अप्रैल के अंक में ‘कभी सात जिलों की मिट्टी की होती थी जांच, आज धूल फांक रहे लैब के उपकरण’ शीर्षक से खबर प्रकाशित होने के बाद वाल्मी के अधिकारियों की बेचैनी बढ़ गयी है.
मिट्टी जांच प्रयोगशाला को छह साल बाद फिर से शुरू करने की नयी मशीन की खरीद और कर्मियों को प्रशिक्षण देने की तैयारी की जा रही है. अभियंता लक्ष्मीकांत ठाकुर ने बताया कि प्रयोगशाला के उपकरण जो बेकार हो चुके है, उनकी जगह पर नये उपकरण की खरीद की जायेगी.
कोटेशन मंगाया गया है. इसी सप्ताह प्रस्ताव सहित कोटेशन वाल्मी निदेशक को भेजा जायेगा. प्रयोगशाला को सुचारू रूप से चलाने के लिए जल्द ही विभाग के कर्मियों को प्रशिक्षण दिलाने की योजना बनी है.
वर्ष 2016 से बंद है प्रयोगशाला. सात जिलों की मिट्टी की जांच करने वाला प्रयोगशाला करीब पांच साल से बंद है. प्रयोगशाला में मिट्टी जांच बंद हो चुकी है. लैब में रखी मशीनों पर धूल जमी है. कई मशीनें खराब हो चुकी हैं. टेक्निशियन का अभाव है.
उस समय वर्ष पूर्व यह गंडक क्षेत्र विकास अभिकरण हुआ करता था. इसमें सात जिले आता था. इसमें गोपालगंज, सीवान, मुजफ्फरपुर, छपरा, वैशाली, पूर्वी और पश्चिमी चंपारण जिला शामिल हैं. इन जिले से रबी और खरीफ सीजन में करीब 28 हजार मिट्टी के नमूना की जांच होती थी. इसके अलावा किसानों को कृषि से संबंधित प्रशिक्षण भी दिया जाता था.
Posted by Ashish Jha