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इस बार बशिष्ठ बाबू नहीं देंगे मकर संक्रांति पर ‘सियासी दही-चूड़ा भोज’, जानिये क्या बताया कारण

मकर संक्रांति के मौके पर प्रतिवर्ष होनेवाले सियासी दही-चूड़ा भोज के आयोजन से कई दलों में मिठास घुलती है तो कई दलों में आलू-दम के स्वाद से तीखापन भी तय कर जाता है.

By Prabhat Khabar News Desk | December 31, 2020 10:28 AM

पटना. जदयू के प्रदेश अध्यक्ष बशिष्ठ नारायण सिंह इस बार मकर संक्रांति के अवसर पर 14 जनवरी को दही-चूड़ा के भोज का आयोजन अपने आवास पर नहीं करेंगे.

इसका कारण कोरोना संक्रमण से बचाव बताया जाता है. गौरतलब है कि बशिष्ठ नारायण सिंह हर साल मकर संक्रांति के अवसर पर दही-चूड़ा के भोज का आयोजन करते थे.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, तेजस्वी यादव सहित सभी दिग्गज इसमें शामिल होते रहे हैं.

पिछले 15 वर्षों में बिहार की सियासत में आनेवाले बदलाव को जानने समझने का यह एक बड़े मौके के रूप में माना जाता रहा है.

मकर संक्रांति के मौके पर प्रतिवर्ष होनेवाले सियासी दही-चूड़ा भोज के आयोजन से कई दलों में मिठास घुलती है तो कई दलों में आलू-दम के स्वाद से तीखापन भी तय कर जाता है.

राजनीति विश्लेषकों को भी मानना है कि बिहार भले ही ठंड से ठिठुर रहा हो, परंतु राज्य में मकर संक्रांति के मौके पर होने वाले भोज को लेकर सियासत गर्म रहती है.

मकर संक्रांति पर ‘सियासी दही-चूड़ा भोज’ की तैयारी काफी जनवरी आते ही शुरु हो जाती है, परंतु अंतिम क्षण तक कौन नेता किस दल के भोज में शामिल होगा, इसको लेकर संशय बना हुआ रहता है.

इस भोज को लेकर कतरनी चूड़ा का स्टॉक जुटाया जाता है, तो दही और गया की तिलकुट की व्यवस्था की जाती है.

वैसे, कभी इस भोज के लिए चर्चित रहे राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद यादव के आवास पर इस साल भी चूड़ा-दही के भोज का आयोजन नहीं हो रहा है.

वहीं लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) भी दही-चूड़ा भोज का आयोजन नहीं कर रही है. वैसे अन्य दलों ने अब तक इसकी विविधवत घोषणा नहीं की है.

Posted by Ashish Jha

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