पटना. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक का नाम आज बिहार के गांव गांव में किसी राजनेता और अभिनेता से अधिक प्रसिद्ध हो चुका है. एक एंग्री यंग मैन वाली उनकी सख्त छवि जहां कुछ लोगों को बेहद पसंद आ रही है, वहीं कुछ लोगों को वो खल भी रहे हैं. उनके तेवर का असर नवनियुक्त और पुराने शिक्षकों के साथ-साथ अभिभावकों के ऊपर भी दिखता है. केके पाठक प्रधानाध्यापक से लेकर शिक्षक तक को मैनेजमेंट का पाठ पढ़ा देते हैं. कभी कभी गुस्से में तो कभी कभी प्यार से स्कूलों की स्थिति बेहतर करने का निर्देश देते हैं. ध्वस्त हो चुकी व्यवस्था को सुधारने के लिए एक व्यक्ति ही काफी है, इस बात को केके पाठक ने बहुत हद तक सही साबित कर दिया है.
केके पाठक का खौफ शहर से गांव तक
एक जमाना था जब मां बच्चों से कहा करती थी कि सो जाओ वर्ना गब्बर आ जायेगा, आज कुछ ऐसी ही स्थिति स्कूल शिक्षकों के साथ है, समय पर आओ पढ़ाओ, वर्ना पता नहीं कब केके पाठक आ जायेंगे. केके पाठक का खौफ राजधानी पटना से लेकर सदूर गांवों में भी देखने को मिल रहा है. स्कूलों में न केवल पढ़ाई हो रही है, बल्कि बच्चों की उपस्थिति भी बेहतर हुई है. केके पाठक कब किस स्कूल में निरीक्षण करने पहुंच जाएं, यह किसी को भी नहीं पता होता है. वह अचानक किसी भी जिले के किसी भी स्कूल में धावा बोल देते हैं. उनके आदेश के बाद कई शिक्षक निलंबित हुए तो अनुपस्थित रहनेवाले लाखों बच्चों के नाम सरकारी स्कूल में काट दिए गए हैं. आइये याद करते हैं केके पाठक के वे 10 कड़े फैसले, जिससे बिहार में पटरी पर लौटी शिक्षा व्यवस्था…
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‘मिशन दक्ष’ की शुरुआत
बिहार में केके पाठक के आदेश पर मिशन दक्ष की शुरुआत की गई है. इसके तहत 10 हजार शिक्षकों को पढ़ाई में कमजोर 50 हजार बच्चों को गोद लेना है. इसमें हाईस्कूल के दसवीं और 12वीं के सभी शिक्षकों को शामिल किया गया है. योजना के तहत उन्हें अपने विद्यालय के आसपास के किसी प्राथमिक या मध्य विद्यालय के बच्चों को गोद लेना है. इन शिक्षकों को विद्यालय में कक्षा के बाद या दोपहर के समय किसी वक्त समय निकालकर इन बच्चों को पढ़ाकर आगे बढ़ाना है. मिशन दक्ष अभियान की शुरुआत हो गई है.
स्कूलों में 75 फीसदी उपस्थिति अनिवार्य
केके पाठक ने बिहार सरकार के सभी स्कूलों में 75 फीसदी उपस्थिति को अनिवार्य कर दिया है. इससे यह हुआ कि जो छात्र-छात्राएं बाहर रहकर कोचिंग कर रहे थे. उन्होंने घर लौटना शुरू कर दिया. फिर अब स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति बढ़ने लगी है. हालांकि, कुछ जगह इसका विरोध भी देखने को मिल रहा है.
छुट्टियों पर रोक लगाकर
केके पाठक ने बिहार में शिक्षकों की छुट्टियों में कटौती कर कड़ा संदेश दिया. त्योहारों पर स्कूलों में 23 छुट्टियां थीं जिन्हें कम करके 11 कर दी गई. वहीं रक्षा बंधन की छुट्टी खत्म कर दी गई. वहीं इस मामले पर सियासत भी खूब हुई. गिरिराज सिंह से लेकर अमित शाह तक ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जमकर हमला बोला था. बाद में कुछ छुट्टियों को बहाल कर दिया गया.
शौचालय का खासा ध्यान
अगर किसी विद्यालय में शौचालय में गंदगी पाई जाती है तो केके पाठक सख्त तौर पर प्रधानाध्यापक को चेतावनी देते हैं. इतना ही नहीं स्कूल में किसी भी तरह की कुव्यवस्था को वह बर्दाश्त नहीं कर रहे.
गायब रहने वाले शिक्षकों के वेतन में कटौती
बिना कोई जानकारी स्कूल से गायब रहने वाले शिक्षकों के वेतन में कटौती की जा रही है. इसके साथ ही इन शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया जा रहा है कि आखिर वो बिना सूचना वे स्कूल क्यों नहीं आ रहे.
गांव के स्कूलों में पढ़ाना सेवा शर्त में शामिल
केके पाठक ने कुछ दिन पहले सभी नवनियु्क्त बीपीएससी शिक्षकों से कहा कि आपलोगों ने मेरिट साबित कर दिया है. अब गांव के बच्चों को आगे बढ़ाना होगा. आपलोगों को गांव में ही पढ़ाना होगा, जिन्हें गांव में पढ़ाना पसंद नहीं उनके लिए यह नौकरी नहीं है. उन्होंने ग्रामीण स्कूलों में पदस्थापना को सेवा शर्त बताया है.
विकास कोष में जमा राशि खर्च करने के आदेश
केके पाठक ने आदेश देते हुए कहा है कि विद्यालयों में छात्र कोष व विकास कोष में जमा 1200 करोड़ राशि खर्च नहीं हुई तो उसे वापस सरकारी खजाने में जमा कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि यह अंतिम मोहलत है, क्योंकि शिक्षा विभाग पहले भी संबंधित राशि को खर्च करने का निर्देश दे चुका है.
15 दिनों से अधिक अनुपस्थित रहने पर छात्र के नाम काटने के आदेश
केके पाठक के आदेश पर अब स्कूल में 15 दिन से अधिक अनुपस्थित रहने पर नाम काटने के आदेश दिए गए हैं. अब तक 20 लाख से अधिक बच्चों के नाम काट दिए हैं. इस एक्शन के बाद से बच्चों में अब अनुपस्थिति कम हो गई है.
तबादले और प्रतिनियुक्ति पर रोक
शिक्षकों के तबादले और प्रतिनियुक्ति पर रोक लगाकर केके पाठक ने लापरवाह शिक्षकों के मंसूबे पर पानी फेर दिया. माध्यमिक शिक्षा निदेशक कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव के अनुसार आरडीडीई और डीईओ कार्यालय से बड़ी संख्या में शिक्षक का ट्रांसफर और प्रतिनियुक्ति की जाती है, जिसके चलते स्कूलों में पठन-पाठन और कार्यालय कार्य बुरी तरह से प्रभावित होता है.
बच्चों को जमीन पर पढ़ाने को लेकर चेतावनी
केके पाठक अगर किसी स्कूल में बच्चों को जमीन पर पढ़ते देखते तो उसके लिए प्रधानाध्यापक को फटकार लगाई जाती है और जल्द से जल्द बेंच और डेस्क की व्यवस्था करने के लिए कहा जाता है.