भागलपुर में मिला बेहद दुर्लभ प्रजाति के तीन उल्लू, माता लक्ष्मी की सवारी माना जाता है यह पक्षी
नवगछिया में बाबा बिशु राउत ओवर ब्रिज के पास स्थित एक बगीचे में पेड़ के नीचे से वन विभाग की टीम ने दुर्लभ प्रजाति के तीन उल्लू को बारमद किया है. ये तीन उल्लू गंभीर रूप से घायल हैं.
Bhagalpur: नवगछिया में बाबा बिशु राउत ओवर ब्रिज के पास स्थित एक बगीचे में पेड़ के नीचे से वन विभाग की टीम ने दुर्लभ प्रजाति के तीन उल्लू को बारमद किया है. ये तीन उल्लू गंभीर रूप से घायल हैं. वन विभाग को उल्लू के बारे में स्थानीय ग्रामीणों ने सूचना दी थी.
सुंदर वन अस्पताल भेजा गया
फिलहाल वन विभाग की टीम ने तीनों घायल उल्लुओं का रेस्क्यू कर प्राथमिक उपचार कराने के लिए सुंदर वन अस्पताल भागलपुर भेज दिया है. वन विभाग के पदाधिकारियों ने बताया कि बरामद तीनों उल्लू को बार्न उल्लू के नाम से जाना जाता है. ठंड में इस इलाके में इस पक्षी को अक्सर देखा जाता है. रेसक्यू टीम ने वन रक्षी अमन कुमार,वनपाल पूनम कुमारी मौजूद रही.
यूरोपियन देशों में पाया जाता बार्न उल्लू
बता दें कि भारत में करीब 30 प्रजाति के उल्लू हैं. कानूनी रूप से सभी संरक्षित है. लेकिन अमेरिकन बार्न उल्लू भारत में बहुत कम मिलता है. यह ध्रुविय और मरूस्थल रिजन में नही मिलता है. इंडोनेशिया, पैसेफिक आइजलैंड और हिमालय के उतरी एशिया क्षेत्र में. बिहार में एक साल के भीतर यह दूसरा अवसर है जब अमेरिकन प्रजाति का उल्लू मिला है. पिछले साल यह सुपौल में मिला था.
क्या है बार्न आउल की पहचान
अमेरिकन बार्न आउल का फेस स्कायर होता है. फेस उजला होता है, जिसका रंग लाल बादामी, काला और घूसर होता है. यह मुख्य रूप रात में एक्टिव होता है.ग्रेट ब्रिटेन और पैसेफिक आइजलैंड में दिन में भी एक्टिव रहता है. यह मीडियम साइज का होता है. हल्का पीला कलर में नजर आता है. लम्बी पंख और पूछ छोटी होती है. 80 से 95 सेंटीमीटर तक पंख फैलाता है.
हिंदू धर्म की मान्यता के मुताबिक, उल्लू को लक्ष्मी का सवारी माना जाता है. दीपावली में पूजा की जाती है. उल्लू के बारे में ऐसी मान्यता है कि दुर्दिन को मिटाता है और अच्छे दिनों को लाता है. उल्लू के साथ बहुत सारे सगुन और अपसगुन जुड़े हैं.