बिहारः सीतामढ़ी में बाघ से इंसानों की रक्षा के लिए खड़ी की गई बेचारी बकरी, जानें क्या है पूरा मामला..
Tiger News in Bihar बिहार के सीतामढ़ी में बाघ का आतंक बढ़ गया है. वन विभाग की टीम पिछले 14 दिन से बाघ को ढूंढ रही है,लेकिन उसे अभी तक सफलता नहीं मिली है.
Tiger News in Bihar. ‘इंसानों की रक्षा की खातिर बेचारी बकरी को खड़ा कर दिया गया है. पिछले दो-तीन दिनों से सोशल मीडिया पर ‘बाघ के लिए खड़ी बेचारी बकरी’ खूब शेयर किया जा रहा है. दरअसल सीतामढ़ी जिले में 17 दिनों से बाघ की दहशत कायम है. इसी संदर्भ में प्रमुख समाजसेवी व गांव विकास मंच के अध्यक्ष नागेंद्र प्रसाद सिंह का यह पोस्ट खूब पसंद किया जा रहा है. सिंह ने पोस्ट में बाघ के सामने बकरी की बेहद मार्मिक प्रस्तुति की है. लिखा है कि नेपाल के जंगल से सीतामढ़ी में घुस आया बाघ दो महिलाओं को बुरी तरह जख्मी कर दिया है. दो घोड़ों और तीन सुअरों को मारकर खा लिया है.
वाल्मीकि टाइगर्स रेंज एवं तिरहुत प्रमंडल के अधिकारी और कर्मचारी साजो सामान के साथ रिहायशी इलाके में छिपे बाघ को ढूंढने में लगे हुए हैं. अंतिम हथियार के रूप में बेचारी बकरी को बाघ के लिए खड़ा कर दिया है. गरीबों की झोपड़ियों में पलने बढ़ने वाली है बकरी ‘बकरी पालन उद्योग’ के रूप में विकसित हो रही है. न जाने कितनी घातक बीमारियों में बकरी का दूध इंसान के जीवनरक्षक दवा के रूप में देखा जा रहा है.
महात्मा गांधी ने बकरी दूध के फायदे को न केवल अाजमाया, बल्कि खुद आजमाया भी. अब जहां बाघ जैसे हिंसक जानवर से इंसानों को बचाने के लिए सरकारी तंत्र को कोई तरीका नहीं नजर आ रहा है, तो इस बकरी को उसके हवाले करने की तैयारी की गयी है. बाघ जैसे ताकतवर जानवर की सुरक्षा के लिए तो कानून बने हुए हैं. यह बेचारी बकरी अपने बच्चे के लिए संग्रहित दूध को इंसानों को देकर उसका जीवन बचाती है. वही इंसान उसे मार कर अपने को हृष्ट-पुष्ट बनने का ख्वाब देखता है. जब बाघ सामने आता है, तो इसी बकरी को मुहाने पर खड़ा कर देता है.