भागलपुर: TMBU के स्टूडेंट्स पढ़ाई के साथ-साथ रिसर्च करने जायेंगे बांग्लादेश, जल्द साइन होगा एमओयू

एमओयू साइन होने के बाद दोनों विश्वविद्यालय संयुक्त रूप से रिसर्च पर काम शुरू कर सकेंगे. टीएमबीयू के पीजी मनोविज्ञान विभाग में आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में भाग लेने आयी डॉ रौनक आरा परवीन ने गुरुवार को कुलपति प्रो जवाहर लाल के आवास पर मिल कर एमओयू का प्रस्ताव रखा.

By Prabhat Khabar News Desk | May 12, 2023 3:34 AM

भागलपुर: तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय व बांग्लादेश के राजशाही स्थित वीरेंद्र यूनिवर्सिटी के बीच रिसर्च, पठन-पाठन व कल्चरल एक्सचेंज आदि को लेकर जल्द एमओयू होगा. एमओयू साइन होने के बाद दोनों विश्वविद्यालय संयुक्त रूप से रिसर्च पर काम शुरू कर सकेंगे. टीएमबीयू के पीजी मनोविज्ञान विभाग में आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में भाग लेने आयी वीरेंद्र यूनिवर्सिटी बांग्लादेश के समाजशास्त्र विभाग की शिक्षिका डॉ रौनक आरा परवीन ने गुरुवार को कुलपति प्रो जवाहर लाल के आवास पर मिल कर एमओयू का प्रस्ताव रखा.

एक समारोह में साइन किया जायेगा एमओयू

डॉ परवीन ने कहा कि वीरेंद्र यूनिवर्सिटी बांग्लादेश के कार्यकारी कुलपति प्रो आसिफ मुसद्दी, एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर व बोर्ड ऑफ मेंबर ने टीएमबीयू के साथ एमओयू का प्रस्ताव भेजा है. उधर, टीएमबीयू के कुलपति प्रो जवाहर लाल ने कहा कि एमओयू साइन होने के बाद दोनों विश्वविद्यालय के शोधार्थी किसी विषय में संयुक्त रूप से रिसर्च कर सकेंगे. एमओयू के प्रस्ताव में फैकल्टी एक्सचेंज, स्टूडेंट एक्सचेंज, ज्वाइंट रिसर्च एक्सचेंज व कल्चरल एक्सचेंज जैसी बातें हैं. उन्होंने कहा कि प्रस्ताव का अवलोकन किया जा रहा है. इसके बाद वीरेंद्र यूनिवर्सिटी के कुलपति को टीएमबीयू आमंत्रित किया जायेगा. एक समारोह के दौरान दोनों विश्वविद्यालय के बीच एमओयू साइन किया जायेगा.

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फैकल्टी एक-दूसरे के यहां जाकर क्लास लेंगे

एमओयू साइन होने के बाद दोनों विश्वविद्यालय के अच्छे फैकल्टी एक-दूसरे के यहां जाकर क्लास लेंगे. दोनों विश्वविद्यालय के बीच स्टूडेंट एक्सचेंज भी होगा. यहां के छात्र वीरेंद्र यूनिवर्सिटी व वहां के छात्र टीएमबीयू आ सकेंगे. एमओयू से आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक व सांस्कृतिक क्षेत्र में आ रहे बदलाव पर अगर दोनों देश के छात्र एक साथ शोध करेंगे, तो मिल का पत्थर साबित होगा. वीसी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में स्पष्ट निर्देश है कि विदेशों के विश्वविद्यालय से भी एमओयू करें, ताकि रिसर्च का दायरा व्यापक हो और शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार आ सके.

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