15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Agriculture: केले के पौधे में पनामा रोग के इलाज पर TMBU में होगा रिसर्च, मिला 30 लाख का प्रोजक्ट

विवि के इस प्रोजेक्ट को डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (डीएसटी) के अंतर्गत साइंस एंड टेक्नोलॉजी रिसर्च बोर्ड (एसईआरबी) नई दिल्ली ने स्टेट यूनिवर्सिटी रिसर्च एक्सीलेंस (स्योर) के तहत चयन किया है. पीजी बॉटनी विभाग के शिक्षक डॉ विवेक कुमार सिंह का इस प्रोजेक्ट के लिए चयन किया गया है.

भागलपुर: तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में केला के पौधे में होने वाले पनामा रोग के उपचार पर रिसर्च होगा, ताकि रोग को रोका जा सके. वहीं, सीमांचल में ज्यादा से ज्यादा किसान केला की खेती से जुड़े सकें. विवि के इस प्रोजेक्ट को डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (डीएसटी) के अंतर्गत साइंस एंड टेक्नोलॉजी रिसर्च बोर्ड (एसईआरबी) नई दिल्ली ने स्टेट यूनिवर्सिटी रिसर्च एक्सीलेंस (स्योर) के तहत चयन किया है. पीजी बॉटनी विभाग के शिक्षक डॉ विवेक कुमार सिंह को प्रोजेक्ट के लिए चयनित किया गया है. विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान ने इस प्रोजेक्ट के लिए 30 लाख रुपये की स्वीकृत दी है. डॉ सिंह को ईमेल से प्रोजेक्ट का स्वीकृति पत्र प्राप्त हुआ है. उन्हें तीन साल में इस प्रोजेक्ट को पूरा करना है.

जैविक मिश्रण से किया जायेगा उपचार

डॉ विवेक ने बताया की उन्होंने केला के पौधे में होने वाले पनामा रोग का उपचार सूक्ष्म जीवों के माध्यम से करने के लिए प्रस्ताव रिसर्च एजेंसी को भेजा था. इसके तहत ट्राईकोडर्मा फंगस, वर्मी कंपोस्ट व मशरूम के अपशिष्ट पदार्थों का जैविक विधि से मिश्रण तैयार किया जायेगा. जरूरत पड़ने पर जैविक पदार्थ से जोड़ा जायेगा. इसमें औषधि पौधे हो सकते हैं. इसी मिश्रण से केला के पौधे में होने वाले पनामा रोग का उपचार किया जायेगा. इसकी पहल सबसे पहले नवगछिया के इलाकों से किया जायेगा. फिर बाद में इस उपचार का प्रयोग राज्य स्तर पर भी किया जायेगा.

Also Read: बीआरएबीयू: स्नातक द्वितीय वर्ष परीक्षा 15 मई से, प्रवेश पत्र जारी, पांच जिलों में 46 केंद्रों पर परीक्षा
नवगछिया में सर्वे करने पर परेशान दिखे किसान

डॉ विवेक ने बताया कि विभाग के छात्रों के साथ नवगछिया के कई इलाकों का सर्वे किया गया था. यहां केला की खेती करने वाले किसानों से उनकी समस्या पर बात की गयी. किसानों ने बताया कि केला के पौधे में रोग हाेने से केला सुख-सुख कर गिर रहा है. किसान केला की खेती करने से बच रहे हैं. उन्होंने बताया कि सर्वे के दौरान केला के पौधे में लगे रोग के कुछ सैंपल लेकर आये थे. यहां लैब में जांच करने पर पता चला कि मिट्टी में ही फंगस है.

कृषि के क्षेत्र में एक नयी क्रांति आयेगी

बताया की इस पहल से केला के किसान पनामा रोग के कारण बर्बाद हो रहे फसल को अब बचा पायेंगे. इससे केला के उत्पादन स्तर में भी व्यापक वृद्धि होगी. उन्हें मुनाफा भी अधिक होगा. नवगछिया के केला किसानों को इस उपचार से बड़ी राहत मिलेगी. उपचार का तरीका जैविक है. सरकार भी जैविक विधि से खेती को बढ़ावा दे रही है. इस प्रोजेक्ट पर काम करने के बाद निकट भविष्य में बड़े प्रोजेक्ट के लिए भी स्वीकृति मिल सकती है.

Also Read: कटिहार: पहले दहेज़ के लिए किया प्रताड़ित फिर ब्याह लाया दूसरी पत्नी, अब पीट-पीट कर ले ली पहली पत्नी की जान
रिसर्च के क्षेत्र में टीएमबीयू का नाम देश में होगा : वीसी

वीसी प्रो जवाहर लाल ने कहा कि रिसर्च के क्षेत्र में एक बार फिर से टीएमबीयू का नाम देश स्तर पर होगा. विवि के इस रिसर्च प्रोजेक्ट से केला किसानों को काफी फायदा होगा. उनकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा. विवि को रिसर्च प्रोजेक्ट मिलने पर खुशी जाहिर करते हुए वीसी ने शिक्षक डॉ विवेक कुमार सिंह को शुभकामना दी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें