प्रह्लाद कुमार, पटना. राज्यभर में मुख्यमंत्री नल जल योजना पार्ट टू में पानी की बर्बादी रोकने के लिए मशीनें लगायी जायेंगी. पीएचइडी ने 56,079 वार्डों में ऑटोमेटिक लेबल कंट्रोलर को लगाने का निर्णय लिया गया है, ताकि टंकी में पानी भरने और खाली होने पर मोटर अपने ही समय से बंद हो जाये.
विभाग ने इस सेंसर को लगाने के लिए सभी ठेकेदारों को दिशा-निर्देश भेजा है और जनवरी तक इसे पूरा करने का निर्देश भी दिया है, ताकि टंकी भरते खुद- ब- खुद मोटर बंद हो जाये.
नल जल जलापूर्ति योजना के तहत सभी पंप में फ्लो मीटर लगाया जायेगा. इससे योजना के तहत पानी की धार को देखा जायेगा.
किसी भी वार्ड या घर में योजना में निर्धारित फ्लो से कम पानी पहुंचेगा, तो सेंसर काम करेगा. इसके बाद मीटर में पानी का फ्लो शो करने लगेगा और इसकी निगरानी के लिए तैयार ऑनलाइन एप में इसकी रीडिंग शुरू हो जायेगी.
विभाग के मुताबिक इसे ठीक नहीं करने पर मोटर पर असर पर पड़ेगा. इसलिए इसे तुरंत ठीक कर पानी का फ्लो ठीक करना होगा.
हर घर नल का जल योजना के तहत बोरिंग एवं पाइपलाइन की डिजाइन आगामी 30 वर्षों को देखकर की गयी है, ताकि लोगों को हर मौसम में पानी मिल सके.
पानी की क्वालिटी और पानी का फ्लो वर्षों तक एक तरह का रहे. इसको देख कर बोरिंग लगायी गयी है.
बोरिंग के समय पानी की क्वालिटी रिपोर्ट विभाग को अलग से भेजी गयी है. जब विभाग से अनुमति मिल जाती है, तो इंजीनियर स्थल निरीक्षण करते हैं. इसके बाद ही बोरिंग होती है.
लोग विभाग नल जल योजना के तहत काम की जांच थर्ड पार्टी से जांच करा रहा हैं. रिपोर्ट के बाद जहां भी काम खराब किया गया है. उस वार्ड के ठेकेदार पर कार्रवाई की जा रही है.
अभी तक सैकड़ों ठेकेदारों पर कार्रवाई हुई है और जुर्माना लगाया गया है. इसके बाद में वहां के खराब काम को दोबारा से ठीक किया गया है.
साथ ही,जल चौपाल योजना से आम लोगों को जोड़ा जा रहा है. चौपाल में पानी की बर्बादी और नल जल योजना में क्या करना है. पानी को कैसा बचाना है. इसको लेकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है.
Posted by Ashish Jha