किताब उत्सव का आज अंतिम दिन, लालू प्रसाद करेंगे शिरकत, जानिए कौन सी पुस्तक का होगा विमोचन..
अंतिम दिन पहले सत्र में दोपहर तीन बजे ‘नीतीश कुमार: अंतरंग दोस्तों की नज़र से’ पुस्तक के लेखक उदयकांत मिश्र नीतीश कुमार के आंदोलनकारी छात्र नेता से शीर्ष राजनेता बनने की कहानी बतायेंगे.
श्रीकृष्ण विज्ञान केंद्र में आयोजित छह दिवसीय किताब उत्सव के पांचवें दिन बुधवार को चार सत्रों में कार्यक्रम आयोजित हुए. कार्यक्रम में मनोज भक्त के उपन्यास ‘शालडुंगरी का घायल सपना’ और प्रतिमा चौहान के कविता संग्रह ‘युद्ध में जीवन” का विमोचन हुआ. वहीं ‘चाणक्य के जासूस’ उपन्यास के लेखक त्रिलोकनाथ पांडेय से युगल किशोर ने ‘कथाभूमि पाटलिपुत्र’ विषय पर बातचीत की. अंतिम सत्र में काव्य संध्या आयोजित हुई. ‘किताब उत्सव’ का समापन गुरुवार को होगा. अंतिम दिन पहले सत्र में दोपहर तीन बजे ‘नीतीश कुमार: अंतरंग दोस्तों की नज़र से’ पुस्तक के लेखक उदयकांत मिश्र नीतीश कुमार के आंदोलनकारी छात्र नेता से शीर्ष राजनेता बनने की कहानी बतायेंगे. वहीं, दूसरे सत्र में ‘समकालीन कला परिदृश्य में बिहार’ विषय पर परिचर्चा होगी. इसके बाद किताब उत्सव के समापन सत्र में पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद वरिष्ठ समाजवादी नेता शिवानंद तिवारी की किताब ‘सड़क से संसद तक’ का विमोचन करेंगे.
राजकमल प्रकाशन समूह द्वारा श्रीकृष्ण विज्ञान केन्द्र में आयोजित किताब उत्सव के पांचवें दिन चार सत्रों में कार्यक्रम हुआ. कार्यक्रम में मनोज भक्त के उपन्यास ‘शालडुंगरी का घायल सपना’ और प्रतिमा चौहान के कविता संग्रह ‘युद्ध में जीवन’ का लोकार्पण हुआ. वहीं ‘चाणक्य के जासूस’ उपन्यास के लेखक त्रिलोकनाथ पांडेय से युगल किशोर ने ‘कथाभूमि पाटलिपुत्र’ विषय पर बातचीत की। अंतिम सत्र में काव्य संध्या का आयोजन हुआ. ‘शालडुंगरी का घायल सपना’ उपन्यास के लोकार्पण सत्र में सुधीर सुमन के साथ बातचीत में लेखक मनोज भक्त ने कहा, “हमारे समाज में महिलाओं सबसे ज्यादा लड़ना पड़ता है, वे सबसे कठिन वक्त में आगे बढ़ती है, वे सबसे ज्यादा कुर्बानी देती है लेकिन फिर भी इतिहास में उनको कम जगह मिलती है।” मनोज भक्त का यह उपन्यास झारखंड में विकास की विडम्बना और राजनीति के विद्रूप का आईना है. लेखक ने इस क्षेत्र को एक सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता के तौर पर बहुत क़रीब से देखा है. इस उपन्यास में आदिवासी-संघर्ष और उनकी सांस्कृतिक चेतना को कुचलने की त्रासदी के साथ समानान्तर चल रहे प्रतिरोध की कथा दर्ज है.
दूसरे सत्र में ‘चाणक्य के जासूस’ उपन्यास के लेखक त्रिलोकनाथ पांडेय से युगल किशोर ने ‘कथाभूमि पाटलिपुत्र’ विषय पर बातचीत की. इस दौरान त्रिलोकनाथ पांडेय ने कहा, “साहित्य इतिहास का गुलाम नहीं है. साहित्य रचना के लिए इतिहास के सहारे की जरूरत नहीं होती. साहित्य जब लोगों के दिमाग में बस जाता है तो वही इतिहास बन जाता है.” आगे उन्होंने कहा, “इतिहास कहता है कि ऐसा हुआ, वहीं साहित्य कहता है कि ऐसा होना चाहिए था. साहित्य हो या इतिहास उसके टिके रहने की यही शर्त है कि वह बने रहने के लायक हों. यही कारण है कि अपनी रचनाओं के कारण तुलसी आज भी बने हुए हैं.” अपनी रचना प्रक्रिया पर बात करते हुए उन्होंने कहा, “मानव मन की संरचना बहुत जटिल होती है. साधु व्यक्ति के मन में भी कामनाएं उमड़ती है और कुटिल व्यक्ति के अंदर भी भावनाएं और करुणा मौजूद होती है. इसलिए साहित्यकार को कभी सरल व्यक्तित्व को लेकर रचना नहीं करनी चाहिए. उसे जटिल से जटिल पात्र रचने चाहिए जिसमें हर तरह के गुण मौजूद हों.”
अगले सत्र में प्रतिमा चौहान के कविता संग्रह ‘युद्ध में जीवन’ का लोकार्पण भावना शेखर ने किया. इस दौरान मंच पर आलोकधन्वा, रामधारी सिंह दिवाकर, रवीन्द्र भारती और ज्योति परिहार उपस्थित रहीं. लोकार्पण के बाद प्रतिमा चौहान ने अपने इस संग्रह से कुछ कविताओं का पाठ किया. कार्यक्रम का अंतिम सत्र में काव्य संध्या आयोजित हुई जिसमें अंचित, बालमुकुंद, चन्द्रबिंद सिंह, गुंजन उपाध्याय पाठक, नताशा, प्रत्युषचन्द्र मिश्र, राजेश कमल, शहंशाह आलम, उपांशु आदि कवियों ने अपनी कविताओं से समां बाँधा.
लालू प्रसाद करेंगे शिवानंद की किताब का लोकार्पणकल 28 सितंबर 2023 को किताब उत्सव के अंतिम दिन कार्यक्रम के पहले सत्र में 03:00 बजे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जीवनी ‘नीतीश कुमार : अंतरंग दोस्तों की नज़र से’ के लेखक उदयकान्त मिश्र नीतीश कुमार के एक आंदोलनकारी छात्रनेता से शीर्ष राजनेता बनने की कहानी बताएंगे। वहीं दूसरे सत्र में ‘समकालीन कला परिदृश्य में बिहार विषय पर परिचर्चा होगी, जिसमें विनय कुमार, अजय पांडेय और अनीस अंकुर बतौर वक्ता मौजूद रहेंगे. इसके बाद किताब उत्सव के समापन सत्र में पूर्व-मुख्यमंत्री और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव वरिष्ठ समाजवादी नेता शिवानंद तिवारी की किताब ‘सड़क से संसद तक’ का लोकार्पण करेंगे.