कहलगांव प्रखंड के सलेमपुर सैनी गांव में विजय साह के घर में विवाह के मंगल गीत गूंज रहे थे. गांव में चहल‐पहल थी. बहन, मां, दादी, पिता, चाचा और सभी संबंधी तैयारियों में जुटे थे. पंडाल सज चुका था. खूबसूरत मंडप भी तैयार था. भट्ठियों पर मिठाइयां बन रही थी. हल्दी की रस्म हो रही थी. सगे‐संबंधी विवाह समारोह में शिरकत करने आ चुके थे.
सहेलियां शादी में सजने‐संवरने के लिए अपने लिए परिधान खरीद चुकी थीं. शहनाई की धुन गूंज रही थीं. रविवार को डोली उठने वाली थी, लेकिन इससे पहले शनिवार को विजय साह की बिटिया चांदनी (20) इस दुनिया से ही विदा हो गयी. घर में कोहराम और गांव में अफरातफरी मच गयी. शहनाई की धुन और मंगल गीत की जगह चीत्कार व विलाप गूंजने लगे.
शुक्रवार को परिवार के साथ चांदनी ने खरीदारी भी की थी
पिता विजय साह ने रोते‐कलपते बताया कि रविवार को बेटी की शादी थी. वह बीए पार्ट टू में पढ़ती थी. वह बहुत खुश थी. चांदनी मेरी छह संतान में दूसरी और बेहददुलारी थी. कल ही तिलक की रस्म पूरी कर देर रात पोड़याहाट (झारखंड) से हम लोग लौटे थे. होने वाले दामाद को कई उपहार दिये थे. बेटी ने शुक्रवार को अपने और परिवार के सदस्य के लिए पसंद की खरीदारी की थी. शनिवार की सुबह पंडाल में बन रही मिठाई देखने गया था. तभी दौड़ते हुए छोटा बेटा आया और कहने लगा‐पापा जल्दी चलिए, दीदी हिल‐डोल नहीं रही है.
भागता हुआ घर के अंदर गया तो बेटी अचेत बिछावन पर पड़ी थी. उसकी सांस की डोर थमी सी लग रही थी. उसे लेकर भागते हुए कहलगांव स्थित एक डॉक्टर के यहां पहुंचा. उसने अन्यत्र ले जाने को कहा. कई डॉक्टर से दिखाया. सबने चुप्पी साध ली, यानी कहने के लिए कुछ बचा नहीं था. शहर के एक मौलवी के यहां भी झाड़‐फूक के लिए ले गया. उसने भी न कह दिया. धैर्य का बांध टूट चुका था. बिटिया को घर वापस ले आया. घर वाले ने बताया कि चांदनी सुबह ठीक थी. किसी के नींबू मांगने पर उसने बेड पर से ही कहा था फ्रिज में है और फिर वह सो गयी थी. वह पूरी तरह स्वस्थ्य थी. अचानक क्या हो गया?
बड़े भाई ने दी मुखाग्नि
चांदनी का अंतिम संस्कार शहर के पास श्मशान घाट पर किया गया. उसके बड़े भाई सौरभ ने मुखाग्नि दी. मुखाग्नि देते समय वह चांदनी…चांदनी…कहते हुए दहाड़ मार कर रो उठा. इधर भाई‐बहन प्रियंका, सौरभ, निशा, निगम के आंसू नहीं रूक रहे है.
Posted by: Radheshyam Kushwaha