पितृपक्ष 2023: घर बैठे करें गयाजी में श्राद्ध और तर्पण, पर्यटन निगम दे रहा विशेष टूर और ई-पिंडदान पैकेज

हिंदू पंचाग के अनुसार भद्रा शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी से गयाजी में पितृपक्ष महासंगम शुरू होता है. इस मेला में अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए देश-विदेश से लोग पहुंचते हैं. ऐसे में इस बार बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम ने पिंडदान के लिए विशेष टूर और ई-पिंडदान पैकेज की व्यवस्था की है.

By Anand Shekhar | September 13, 2023 2:08 PM
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बिहार के गया में विश्व विख्यात पितृपक्ष मेला इस बार 28 सितंबर से शुरू हो रहा है, जो 14 अक्तूबर तक चलेगा. इस बार भी मेला के दौरा लगभग 10 लाख पिंडदानियों के गया पहुंचने की संभावना है. ऐसे में बिहार राज्य पर्यटन निगम विकास ने इसके लिए स्पेशल टूर पैकेज तैयार किया है. लोग इसकी बुकिंग ऑनलाइन करा सकते हैं. इसके साथ ही वैसे लोग अपने पूर्वजों को मोक्ष दिलाने के लिए पिंड दान करना चाहते हैं, लेकिन किसी कारण से गया जी आने में असमर्थ हैं. उनके लिए ई-पिंडदान पैकेज की भी सुविधा उपलब्ध कराई गई है.

घर बैठे कर सकते हैं पिंडदान

बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम द्वारा लोगों को ई-पिंडदान पैकेज की सुविधा दी जा रही है. इसके तहत गयाजी के पुरोहित विष्णुपद मंदिर, अक्षयवट और फल्गू नदी में पिंडदान करवाएंगे. मंत्रोच्चार से लेकर दान-दक्षिणा एवं पूजा सामग्री समेत सारे विधि-विधान ऑनलाइन होंगे. पिंडदान के सारे कर्मकांड की वीडियो रिकार्डिंग की जाएगी और इसे पेन ड्राइव में कर पंडा ई-पिंडदान पैकेज बुक कराने वाले को उपलब्ध करायेंगे.

ई-पिंडदान पैकेज के लिए खर्च करने होंगे 23000 रुपये

ई-पिंडदान पैकेज के जरिए पिंड दान करने के लिए आपको लगभग 23 हजार रुपये खर्च करने होंगे. यह राशि आपको एकमुश्त जमा करनी होगी. इस शुल्क में पंडित की दक्षिणा एवं पूजन सामग्री के शुल्क को भी शामिल किया गया है. इसकी बुकिंग बिहार राज्य पर्यटन निगम के ट्रैवल ट्रेड अकाउंट पर की जा सकती है. इस पैकेज के माध्यम से देश-विदेश में रहने वाल लोग अपने पिटरों की आत्मा की शांति के लिए बिना गया आए पुजा करा सकते हैं.

पिंडदान के लिए स्पेशल टूर पैकेज

इसके साथ ही पर्यटन निगम ने पितृपक्ष मेला को लेकर पटना, पुनपुन और गया को लेकर पांच तरह के स्पेशल टूर पैकेज बनाये हैं. इन सभी पैकेज के तहत मिलने वाली सुविधाएं और उनके रेट अलग-अलग हैं. इसमें खाना-पीना, होटल, परिवहन, पंडित और पूजन सामग्री का खर्च शामिल है. इसके लिए अलग से पेमेंट नहीं करना पड़ेगा. यह पैकेज 11 हजार रुपये से लेकर 22 हजार रुपये तक के रेंज में उपलब्ध है.

स्पेशल पैकेज टूर

  • पटना- पुनपुन -गया- (पटना एक दिवसीय)

  • लक्जरी फोर स्टार होटल- एक व्यक्ति 16650 – दो व्यक्ति 17300

  • सेमी लक्जरी थ्री स्टार होटल – एक व्यक्ति 15550- दो व्यक्ति 16200

  • बजट एसी होटल – एक व्यक्ति 14450 – दो व्यक्ति 15100

  • पटना- पुनपुन- गया- बोधगया- नालंदा – राजगीर- पटना (एक रात दो दिन)

  • लक्जरी फोर स्टार होटल- एक व्यक्ति 21100 – दो व्यक्ति 21700

  • सेमी लक्जरी थ्री स्टार होटल – एक व्यक्ति 19950- दो व्यक्ति 20600

  • बजट एसी होटल – एक व्यक्ति 18850 – दो व्यक्ति 19500

  • गया का एक दिवसीय पैकेज

  • लक्जरी फोर स्टार होटल- एक व्यक्ति 13450 – दो व्यक्ति 14150

  • सेमी लक्जरी थ्री स्टार होटल – एक व्यक्ति 12400- दो व्यक्ति 13050

  • बजट एसी होटल – एक व्यक्ति 11250 – दो व्यक्ति 11950

  • गया में एक रात दो दिन

  • लक्जरी फोर स्टार होटल- एक व्यक्ति 20400 – दो व्यक्ति 21750

  • सेमी लक्जरी थ्री स्टार होटल – एक व्यक्ति 18200- दो व्यक्ति 19550

  • बजट एसी होटल – एक व्यक्ति 16000 – दो व्यक्ति 17300

  • गया-बोधगया- राजगीर- नालंदा – गया (एक रात दो दिन)

  • लक्जरी फोर स्टार होटल- एक व्यक्ति 18750 – दो व्यक्ति 19400

  • सेमी लक्जरी थ्री स्टार होटल – एक व्यक्ति 17650- दो व्यक्ति 18300

  • बजट एसी होटल – एक व्यक्ति 16550 – दो व्यक्ति 17200

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पिंडदानियों के लिए नि:शुल्क इ-रिक्शों की होगी व्यवस्था

पितृपक्ष मेले में आने वाले पिंडदानियों को बोधगया में मुकम्मल सुविधा उपलब्ध कराने को लेकर नोड वन से महाबोधि मंदिर तक पिंडदानियों के लिए 10 नि:शुल्क इ-रिक्शा की व्यवस्था की जा रही है. इसके आठ ही मेला के दौरान बीटीएमसी की ओर से महाबोधि मंदिर परिसर में पिंडदान करने वालों के लिए उत्तम साफ-सफाई व अन्य सुविधाएं मुहैया करायी जायेगी. आवासन के लिए निगमा मोनास्टरी के साथ ही अन्य कई बौद्ध मठों को भी चिह्नित किया गया है.

28 सितंबर से शुरू हो रहा मेला

17 दिवसीय पितृपक्ष मेला इस बार 28 सितंबर से शुरू हो रहा है. इस मेले का समापन 15 अक्तूबर को होगा. अलग-अलग तिथियों को अलग-अलग वेदी स्थलों पर पिंडदान, श्राद्धकर्म व तर्पण का विधान है. पिंडदान का कर्मकांड करा रहे पंडित भानु कुमार शास्त्री के अनुसार गयाश्राद्ध में मुंडनकर्म का निषेध माना गया है. उन्होंने कहा कि वायु पुराण में यह वर्णित भी है.

गयाजी में क्यों किया जाता है पिंडदान

गयाजी को तीर्थों का प्राण व मंदिरों के शहर के रूप में जाना जाता है. गयाजी तीर्थ की यात्रा करना हिंदुओं का अनिवार्य-धार्मिक कर्तव्य है. इसकी उपेक्षा प्राय: हिंदुुगण नहीं करते. गयाजी तीर्थ को पितरों की मोक्षस्थली भी कहा जाता है. गरुड़ पुराण, पद्म पुराण, कूर्म पुराण, वायु पुराण, नारदिया पुराण सहित कई धार्मिक ग्रंथों में गयाजी की महत्ता का वर्णन मिलता है. गयाजी में श्राद्धकार्य व पिंंडदान-तर्पण करने से प्राणी को जन्म-जन्मांतर से मुक्ति मिल जाती है. उसे विभिन्न योनियों में भटकना नहीं पड़ता और मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है. देवाराधन के लिए हमारी संस्कृति में दैनिक जीवन के अतिरिक्त कई पर्व-त्योहार बनाये गये हैं, किंतु पितरोपासना के लिए वर्ष में 15 दिनों के लिए विशेष पर्व की व्यवस्था की गयी है, जिसे ‘पितृपक्ष ’ के रूप में जाना जाता है और गया क्षेत्र के लिए प्रभास क्षेत्र, पुष्कर क्षेत्र, गयाधाम, कुरुक्षेत्र, प्रयाग व बद्रिकाश्रम जैसे कुछ विशेष तीर्थों की महिमा है.

फल्गु नदी के बाल से होता है पिंडदान

गयाजी में 54 वेदी स्थल मौजूद हैं, जहां देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु अपने पितरों की आत्मा की शांति व मोक्ष प्राप्ति की कामना को लेकर पिंडदान, श्राद्धकर्म व तर्पण का कर्मकांड संपन्न कर रहे हैं. यहां मौजूद प्रमुख वेदियों में विष्णुपद वेदी, धर्मरण्य वेदी, रामशिला वेदी, प्रेतशिला वेदी आदि शामिल हैं. इन वेदियों पर फालू नदी के बालू से पिंड दान होता है. इसके साथ ही सीता कुंड के बालू से भी पिंड दान किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि जब राजा दशरथ का पिंड दान करने के लिए राम, लक्ष्मण और माता सीता गयाजी आयें थे तो उन्होंने फल्गु नदी के बालू से ही पिंड दान किया था.

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