अनुपम कुमार, पटना. बिहार पर्यटन के क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों से लगातार आगे बढ़ रहा है. पिछले पांच वर्षों में यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या में 50% की वृद्धि हुई है. वर्ष 2014 में यहां आनेवाले पर्यटकों की संख्या 2.33 करोड़ थी, जो कि वर्ष 2019 में बढ़ कर 3.50 करोड़ हो गयी है. इस दौरान देशी पर्यटकों की संख्या में 50% वृद्धि हुई है और यह 2.25 करोड़ से बढ़कर 3.39 करोड़ हो गयी है.
वहीं, विदेशी पर्यटकों की संख्या में 31% का इजाफा हुआ है और यह 8.3 लाख से बढ़कर 10.9 लाख हो गयी है. 2018 में घरेलू पर्यटकों को आकर्षित करने में बिहार का 14वां स्थान और विदेशी पर्यटकों के लिहाज से नौवां स्थान था. पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राज्य में आठ परिपथ बनाये गये हैं. वर्ष 2020-21 में राज्य के पर्यटन विकास की विभिन्न योजनाओं पर 145 करोड़ रुपये खर्च किये गये.
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बौद्ध परिपथ
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जैन परिपथ
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रामायण परिपथ
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शिव शक्ति परिपथ
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सूफी परिपथ
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सिख परिपथ
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गांधी परिपथ
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पारिस्थितिकी परिपथ
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पर्यटन स्थलों पर लग्जरी होटल की कमी
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एक्सप्रेस हाइवे की कमी
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चीनी, जापानी, कोरियन जैसे बहुभाषाविद् टूरिस्ट गाइड की कमी
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अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट और ग्लोबल एयर कनेक्टिविटी की कमी
बांका. जिले में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं. यहां मंदार रोपवे, ओढ़नी जलाशय, बदुआ डैम, भदरिया स्थित बौद्धकालीन स्थल व चांदन जलाशय सहित अन्य जगहों को पर्यटन के रूप में विकसित किया जा रहा है. 21 सितंबर को बांका पहुंचकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंदार में रोपवे का उद्घाटन व ओढ़नी जलाशय को मॉडल लुक देने की योजना को हरी झंडी दी.
ओढ़नी जलाशय को इको टूरिज्म के रूप में विकसित किया जायेगा. वहीं अमरपुर के भदरिया गांव स्थित चांदन नदी में निकले में बौद्धकालीन अवशेष की खुदाई की बात भी कही. राज्य सरकार के निर्देश पर बांका के पर्यटन को विश्व स्तर पर उभारने के लिए लगातार कई प्रयास किये जा रहे है. साथ ही विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेले का अधिकतर हिस्सा बांका जिले में ही पड़ता है. इस श्रावणी पथ को आगे चलकर बौद्ध सर्किट में जोड़ने की भी योजना है.
जिला मुख्यालय से 12 किमी दूर पर स्थित ओढ़नी जलाशय को इको टूरिज्म के रूप में विकसित किया जा रहा है. इस जलाशय के बीच में करीब तीन एकड़ एक आइलैंड है, जो आकर्षण का केंद्र है. जलाशय पर आइबी निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया है. जलाशय में मोटर बोटिंग व वाटर स्कूटर का आनंद लेने के लिए रोजाना सैलानी पहुंच रहे है. जलाशय तीन ओर से पहाड़ों से घिरा हुआ है.
मंदार पर्वत इन दिनों काफी सुर्खियां बटोर रहा है. रोपवे के बाद यहां बड़ी संख्या में सैलानी पहुंच रहे हैं. इस पर्वत का क्षेत्र काफी आकर्षक और भव्य है. पौराणिक, ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टिकोण से यह क्षेत्र काफी महत्वपूर्ण है. मकर-संक्रांति पर यहां भव्य मेला लगता है. हिंदुओं के लिए यह पर्वत भगवान विष्णु का पवित्र आश्रय स्थल है, तो जैन धर्म के तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य से जुड़ा हुआ है.
आदिवासियों के लिए यह सिद्धि क्षेत्र है, जहां वे 13 जनवरी को रात भर राम-लक्ष्मण की साधना करते हैं. यह सबसे बड़ा संताली मेला है, जहां प्रतिवर्ष रातभर के लिए एक लाख से अधिक लोग (सफा संप्रदाय के अनुयायी) आते हैं.
मंदार पर्वत से करीब दो किमी सबलपुर गांव के पास कामधेनु मंदिर मंदार आने वालों के लिए एक दर्शनीय स्थल है. इसके परिसर में शिव गंगा की चारों तरफ सीढ़ियों और चहारदीवारी के कार्य सहित अन्य मंदिरों, पार्क और चौड़ी सड़क का निर्माण पर्यटन विभाग ने कराया है. इस स्थल से मंदार शिखर का दर्शन अद्भुत स्वरूप में होता है और संपूर्ण पर्वत एक ही शिला से निर्मित विशाल शिवलिंग जैसा दिखता है.
60 के दशक में सिंचाई के लिए बनाया गया चांदन जलाशय इन दिनों सैलानियों को आकर्षित कर रहा है. बौसी बाजार से 23 किमी दूर जंगलों से घिरा यह डैम प्राकृतिक सौंदर्य का अनूठा उदाहरण है. इन दिनों यहां बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षियों ने भी डेरा डाल रखा है. यहां पर सिंचाई विभाग ने सौंदर्यीकरण के कार्य के साथ-साथ पार्क, आइबी व अन्य चीजों का निर्माण कराया गया है.
वर्ष देशी विदेशी कुल
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2014 2.25 करोड़ 8.3 लाख 2.33 करोड़
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2015 2.80 करोड़ 9.2 लाख 2.89 करोड़
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2016 2.85 करोड़ 9.2 लाख 2.89 करोड़
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2017 3.24 करोड़ 10.8 लाख 3.35 करोड़
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2018 3.36 करोड़ 10.9 लाख 3.47 करोड़
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2019 3.39 करोड़ 10.9 लाख 3.50 करोड़
Posted by Ashish Jha