बिहार में संभवत: पहली बार स्थानीय बाजार में गेहूं के दाम घोषित समर्थन मूल्य 2015रुपये से अधिक हैं. खरीद के लिए स्थानीय व्यापारी किसान के दरवाजे पर पहुंच रहे हैं. देश की कुछ बड़ी निर्यातक कंपनियों ने गेहूं खरीद करने के लिए स्थानीय व्यापारियों को वित्तीय मदद भी दी है. दरअसल रूस और यूक्रेन युद्ध की वजह से दुनिया में गेहूं की कमी है. इस कमी को पूरा करने के लिए निर्यातक पूरी ताकत लगा कर गेहूं खरीद करवा रहे हैं. व्यापारियों से अच्छी दर मिलने की वजह से 20 अप्रैल से शुरू हुई खरीद में समर्थन मूल्य पर किसानों ने अभी तक करीब दो हजार टन गेहूं बेचा है.
10 लाख टन के लक्ष्य के विरुद्ध यह खरीदी नगण्य है. पिछले सीजन में करीब साढ़े चार लाख टन गेहूं की खरीद हुई थी. प्रभात खबर की फील्ड रिपोर्ट के मुताबिक गया जिले में कुल खरीद लक्ष्य 37 हजार टन के विरुद्ध अब तक केवल 105 टन खरीद की गयी है. यहां व्यापारी दर दो हजार से 2200 रुपये प्रति क्विंटल है. औरंगाबाद अभी तक केवल 250 क्विंटल खरीद हुई है. यहां गेहूं का बाजार मूल्य 2070 से 2150 रुपये प्रति क्विंटल है. मोतिहारी में बाहर के व्यापारी किसान से प्रति क्विंटल 2050 पर खरीद कर रहे हैं. कमोबेश यही स्थिति अन्य जिलों में है. सीतामढ़ी में जरूर 1950 रुपये में खरीद हुई है.
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गुलाबबाग मंडी (पूर्णिया ) में गेहूं का बाजार मूल्य 22 से 24 सौ रुपये और भागलपुर मंडी में 21 से 23 सौ रुपये है.
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तीन मई तक गेहूं खरीद का एक्चुअल डाटा 1815 टन है.
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तीन मई तक 339 किसानों ने अपना गेहूं समर्थन मूल्य पर बेचा है.
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यूएन के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ)की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के टॉप फाइव गेहूं निर्यातक देशों में रूस 37.3 लाख टन निर्यात करके पहले और 18.1 मिलियन टन निर्यात कर यूक्रेन पांच वे स्थान पर है. चूंकि दोनों देश युद्धग्रस्त हैं. इसलिए उनका निर्यात ठप है. इससे गेहूं की कमी हो गयी है. भारत इसका फायदा उठा कर गेहूं का बड़ा निर्यातक बनने की ओर है.
अब तक समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद उल्लेखनीय नहीं हो सकी है. दरअसल किसान को गेहूं का बाजार मूल्य समर्थन मूल्य से अधिक मिल रहा है. बाजार में गेहूं का बाजार मूल्य अधिक होने की सबसे बड़ी वजह रूस और यूक्रेन का युद्ध है. – विनय कुमार, सचिव ,खाद्य संरक्षण एवं आपूर्ति विभाग