गेरुआ रंग, तेजाब व मिट्टी मिलाकर कारोबारी पुराने आलू को बना रहे नया, जानें कैसे बेचा जा रहा बाजार में जहर

पांच किलो नया आलू का रेट 220 रुपये है, जबकि यह आलू बाजार में 150-180 रुपये का पांच किलो मिल रहा है. सस्ते दाम होने के कारण लोग आसानी से खरीद भी लेते हैं. राजेंद्र आश्रम में एक आलू विक्रेता हर दिन नया आलू लाकर बेच रहा था. उसकी पोल पहचान रखने वाले व्यक्ति ने खोल दी.

By Prabhat Khabar News Desk | November 14, 2023 5:27 PM

गया. बाजार में इन दिनों नया आलू के नाम पर जहर लोगों को खुलेआम बेचा जा रहा है. हालांकि, पहचानने वाले लोग खरीदने से परहेज कर रहे हैं. पांच किलो नया आलू का रेट 220 रुपये है, जबकि यह आलू बाजार में 150-180 रुपये का पांच किलो मिल रहा है. सस्ते दाम होने के कारण लोग आसानी से खरीद भी लेते हैं. राजेंद्र आश्रम में एक आलू विक्रेता हर दिन नया आलू लाकर बेच रहा था. उसकी पोल पहचान रखने वाले व्यक्ति ने खोल दी. आलू के दुकानदार ने उस व्यक्ति से आलू वापस लेकर पैसा लौटा दिया.

प्रतिदिन बिक रहा पांच से सात टन केमिकल वाला आलू

जानकारों का कहना है कि यह खेल बड़े पैमाने पर हो रहा है. गड्ढे की खुदाई कर उसमें पुराने आलू को डाल दिया जाता है. उसमें ऊपर से गेरुआ रंग, मिट्टी व तेजाब का घोल बनाकर डाला जाता है. उसके बाद पुराना आलू नया की तरह दिखने लगता है. लेकिन, खासियत यह है कि उसका छिल्का खत्म या फिर मोटा ही रह जाता है. उसे आसानी से छिला नहीं जा सकता है. तेजाब व गेरुआ रंग के साथ मिट्टी के मिश्रण वाले आलू खाने में भी खराब लगता है. 80 हजार होल्डिंग वाले गया शहर में एक घर में अगर एक किलो आलू खर्च होता है, तो 80 टन आलू की खपत हर दिन होती होगी. इसमें पांच से सात टन आलू केमिकल वाला भी बिक जा रहा है.

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सब्जी व अन्य खाद्य पदार्थों में हो रहा केमिकल का उपयोग

सब्जी व अन्य खाद्य पदार्थों को ताजा रखने के लिए खुलेआम सब्जी बाजार व अन्य दुकानों में केमिकल का उपयोग किया जाता है. मार्केट में सब्जियों के पहुंचते ही दुकानदार खरीद करने के बाद उसके उपचार में जुट जाते हैं. ताकि, सब्जियां दो दिनों तक ताजा ही दिखे. इसमें रंग के साथ केमिकल पानी में डाल कर धोया जाता है. इतना ही नहीं, हरी व लाल साग को उसके अनुकूल रंग व केमिकल को पानी में मिलाकर धोया जाता है. यह पूरी तौर से शरीर के लिए हानिकारक होता है. ताजी सब्जियों के रंग को देख कर लोग चाव से खरीदते हैं. जिला खाद्य संरक्षा अधिकारी मुकेश कश्यप ने बताया कि सब्जियों की जांच के लिए जल्द ही मशीन हर जिले को उपलब्ध कराने की योजना पर काम विभाग में चल रहा है. अब तक सिर्फ खाद्य पदार्थों की जांच की जाती है. जल्द ही सब्जी व आलू आदि की जांच शुरू की जायेगी. आलू में तेजाब, रंग व मिट्टी मिलाकर नया बनाना बहुत ही खतरनाक है.

शरीर को पहुंचाता है काफी नुकसान

सब्जियों को केमिकल से धोने के बाद पूरी तौर से शरीर के लिए जहर ही हो जाता है. पुराने आलू में गेरुआ रंग, तेजाब व मिट्टी के घोल मिला कर नया बनाने के बाद पूरी तौर से शरीर के लिए हानिकारक है. इस तरह के आलू लीवर के साथ शरीर के कई अंगों को नुकसान पहुंचाता है. ज्यादा दिनों तक इस तरह के आलू का सेवन करने के बाद लोग गंभीर बीमारी का शिकार हो सकते हैं.

  • डॉ एनके पासवान, मेडिसिन विभाग, मगध मेडिकल अस्पताल

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