Train Status: ट्रेनों में लोगों को कई बार गंदगी के कारण परेशानी का सामना करना पड़ता है. दरअसल, अब गंगा के पानी से रेलयात्रियों की प्यास भी बुझेगी और सफर करने के लिए धुली हुई ट्रेन भी मिलेगी. ट्रेन यात्रियों को गंगा जल पिलाने की लंबित परियोजना की राह खुल गई है. यह सफर अब आसान हो जाएगा. मालदा डिवीजन ने इसके लिए नोटिफाई किया है. इसके लिए टेंडर की प्रक्रिया अपनायी जा रही है. एजेंसी चयनित होने के साथ इसका काम शुरू होगा. इसके लिए 15 करोड़ से ज्यादा का खर्च आएगा. गंगा से पानी लाने के लिए रेलवे बकायदा अपनी जमीन का इस्तेमाल करेगा.
रेलवे यात्रियों को साफ पानी और धुली हुई ट्रेन मुहैया कराएगी. बरारी जाने वाली छोटी लाइन के रास्ते पानी स्टेशन तक लाने के लिए पाइपलाइन बिछायी जायेगी. साथ ही ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जाएगा. इस नई परियोजना के बाद अब भागलपुर रेलवे स्टेशन पर पानी का अभाव नहीं रहेगा. भीषण गर्मी में एक-एक बूंद के लिए कोई भी यात्री नहीं तरसेंगे. मालूम हो कि गर्मी के दिनों में लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. लोगों को गंदगी से भी समस्या होती है. ट्रेनों में गंदगी की शिकायत भी नहीं रहेगी. सफर करने के लिए धुली-धुलाई ट्रेन मिलेगी. यह सब गंगा का पानी पाइपलाइन से संभव होगा. भागलपुर स्टेशन तक लाने की योजना से यह संभव हो सकेगा. इस लंबित परियोजना की राह खुल चुकी है. मंजूरी मिलने के साथ इसको नोटिफाई कर दिया गया है. साथ ही एजेंसी बहाली की भी प्रक्रिया रेलवे की ओर से शुरु की जा रही है.
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इस योजना का टेंडर फाइनल होने के अंतिम चरण में है. मालदा डिवीजन यह काम एजेंसी के माध्यम से करायेगी. एजेंसी चयनित होने के साथ इस पर काम होने लगेगा. यह काम गतिशक्ति यूनिट की ओर से किया जाएगा. गंगा के पानी को ट्रीटमेंट के लिए प्लांट बनेगा. स्टेशन के पूरे परिक्षेत्र में जलापूर्ति होगी. गंगा का पानी को पीने योग्य बनाने के लिए स्टेशन पर ट्रीटमेंट प्लांट बनेगा. बरारी के गंगा घाट से पानी पाइपलाइन के जरिए स्टेशन तक पहुंचायी जायेगी. इसके बाद इस प्लांट में गंगा पानी को ट्रीटमेंट कर स्टेशन के पूरे परिक्षेत्र में टंकी के माध्यम से जलापूर्ति करायी जायेगी.
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15 करोड़ से ज्यादा राशि खर्च होगा. पानी की दिक्कत दूर हो जाएगा. यह परियोजना पर 15 करोड़ से ज्यादा खर्च आयेगा. यह जब पूरी होगी, तो पानी की दिक्कत दूर होगी. इस बार के बजट में परियोजना को प्रावधान में लाया गया था. ऐसे यह 2018 के बजट में ही स्वीकृति के बाद राशि का प्रावधान कर दिया गया था. सतही जलस्रोत पर पानी के लिए निर्भरता बनाने के लिए गंगा से पानी पंप कर इंटकपेल में लेना है. गंगा किनारे बने इंटकवेल से पानी रेलवे के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में लाया जायेगा. यहां जल शोधन तकनीक से पानी का शुद्धिकरण कर सप्लाई के लिए बनायी गयी जनमीनारों में भरा जायेगा. गंगा से पानी लाने के लिए रेलवे ने बकायदा अपनी जमीन इस्तेमाल करेगा. भागलपुर से बरारी जाने वाली छोटी लाइन के रास्ते पानी स्टेशन तक लाना है. ऐसा इसलिए किया था कि शहरी क्षेत्र की सड़क आदि को क्षतिग्रस्त किए बिना योजना जल्द से जल्द पूरी हो सके.
भूजलस्तर में गिरावट और एक-एक कर बोरिंग की जलापूर्ति क्षमता कम होते देख मालदा डिवीजन ने 2017 में गंगा वाटर प्रोजेक्ट का प्रस्ताव रेलवे बोर्ड को दिया था. प्रस्ताव को मंजूर किया गया और 2018 के बजट में इसके लिए 21 करोड़ रुपये स्वीकृत भी किए गए थे. रॉव वाटर इंटेक वेल कम पंप हाउस एवं रॉव वाटर राइजिंग मेन में 2.52 करोड़ रुपये इंटेलवेल का इंटेल पाइप, रॉव वाटर राइजिंग और क्लियर वाटर राइजिंग मेन में 2.72 करोड़ रुपये चहारदीवारी एवं डब्ल्यूटीपी एरिया का रोड व नाला में15.41 लाख रुपये का खर्च किया जाएगा. मालदा रेल डिवीजन के डीआरएम विकास चौबे ने जानकारी दी है कि गंगा नदी के माध्यम से जलापूर्ति सिस्टम के विस्तार कार्य को नोटिफाई कर लिया गया है. एजेंसी चयनित होने के साथ काम शुरू हो जायेगा. स्टेशन के पूरे परिक्षेत्र में गंगा के पानी को शुद्धिकरण कर सप्लाई की जायेगी. मालूम हो कि रेवले की ओर से कई योजना आती है. कई तरह के बदलाव किए जाते है. इसी कड़ी में अब ट्रेन की सफाई के लिए गंगा के पानी का इस्तमाल किया जाएगा.