फॉग सेफ डिवाइस से लैस की गयीं बिहार से गुजरनेवाली सभी ट्रेनें, लोको पायलटों को दिये गये ये निर्देश

कोहरे में ट्रेनों के सुरक्षित परिचालन के लिए जहां एक ओर पूर्व मध्य रेलवे के तमाम ट्रेनों के इंजनों में ''फॉग सेफ डिवाइस'' लगाया गया है. वहीं दूसरी ओर कड़ाके की ठंड में रेल ट्रैक के फ्रैक्चर होने कि तुरंत जानकारी के लिए रेल ट्रैक पर रेल कर्मियों से लगातार पेट्रोलिंग कराया जा रहा है.

By Prabhat Khabar News Desk | December 28, 2023 5:30 PM

पटना. घने कोहरे में ट्रेनों के सुरक्षित परिचालन के लिए जहां एक ओर पूर्व मध्य रेलवे के तमाम ट्रेनों के इंजनों में ”फॉग सेफ डिवाइस” लगाया गया है. वहीं दूसरी ओर कड़ाके की ठंड में रेल ट्रैक के फ्रैक्चर होने कि तुरंत जानकारी के लिए रेल ट्रैक पर रेल कर्मियों से लगातार पेट्रोलिंग कराया जा रहा है. जंक्शन के लोको लॉवी में रखे एफएसडी को ड्यूटी पर जाने के दौरान लोको पायलट को देने की व्यवस्था है. इसके डिस्प्ले मशीन को लोको पायलट की ओर से इंजन के अंदर केबिन में अपने सामने व डिवाइस के एंटीना को इंजन के ऊपर लगाया जाता है. केवल की मदद से एंटीना को डिवाइस मशीन से जोड़ दिया जाता है.

500 मीटर पहले ही डिवाइस से मिलेगी सिंग्नल की स्थिति

जानकारी के अनुसार जीपीएस की मदद से लोको पायलट को करीब 500 मीटर पहले ही डिवाइस से आगे सिग्नल की स्थिति, रेलवे स्टेशन अथवा फाटक आदि की जानकारी मिलती है. जीपीएस आधारित फॉग सेफ डिवाइस लोको पायलटों को आगे आने वाली सिग्नल की चेतावनी देता है, जिससे लोको पायलट ट्रेन की स्पीड को नियंत्रित करते हैं. ड्यूटी ऑफ करने पर लोको पायलट एफएसडी को चार्जिंग के लिए लोको लॉबी को सौंप देते हैं. एफएसडी दो घंटा रिचार्जिंग के बाद तकरीबन 10 से 12 घंटे तक काम करता है.

ट्रैक पर फॉग मैन की तैनाती

इस संबंध में जनसंपर्क अधिकारी अशोक कुमार ने बताया कि सभी ट्रेनों में यह सुविधा उपलब्ध करवा दी गयी है. इसके अतिरिक्त फॉग मैन भी तैनात किये जा रहे हैं, जो कुहरे में रेल फ्रैक्चर से बचाव एवं समय पर इसकी पहचान हेतु उच्चाधिकारियों की निगरानी में रेलकर्मियों द्वारा निरंतर पेट्रोलिंग की जा रही है. इससे एक ओर जहां संरक्षा में वृद्धि होगी वहीं कोहरे के बावजूद समय-पालन बनाए रखने में मदद मिलेगी.

नियंत्रण कक्ष को देनी होगी कुहासा होने की सूचना

सभी स्टेशन मास्टरों तथा लोको पायलटों को निर्देश दिया गया है कि कुहासा होने पर इसकी सूचना तत्काल नियंत्रण कक्ष को दी जाये. इसके बाद दृश्यता की जांच वीटीओ (विजुविलिटी टेस्ट ऑब्जेक्ट) से करें. दृश्यता बाधित होने की स्थिति में लोको पायलट ट्रेन के ब्रेक पावर, लोड और दृश्यता की स्थिति के आधार पर गाड़ी की गति को नियंत्रित करें. लोको पायलटों को निर्देश दिया गया है कि कुहासा होने पर वे गाड़ियों को नियंत्रित गति से चलाएं. समपार फाटक पर तैनात गेटमैन व आम लोगों तक ट्रेन गुजरने की सूचना मिल सके इसके लिए चालक समपार फाटक के पहले से लगातार हॉर्न दें. ताकि यह पता चल सके कि समपार फाटक से ट्रेन गुजरने वाली है.

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किये गये है कई बदलाव

सिग्नलों की दृश्यता को बढ़ाने के लिए सिग्नल साइटिंग बोर्ड, फॉग सिग्नल पोस्ट, ज्यादा व्यस्त समपार के लिफ्टिंग बैरियर आदि को एक विशेष रंग काला व पीला रंग से रंगकर उसे चमकीला बनाया गया है. सिग्नल के पहले रेल पटरी पर सफेद पेंट से निशान बनाया गया है, ताकि लोको पायलट कुहासे वाले मौसम में सिग्नल के बारे में अधिक सतर्क हो जाये.

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