पटना. पटना एम्स में करीब पांच महीने बाद इमरजेंसी व ट्रॉमा सेंटर को सभी गंभीर मरीजों के खोल दिया गया. 23 अगस्त से यहां मरीजों को भर्ती किया जा रहा है. लेकिन तीन दिन के अंदर ही यहां के सभी ट्रॉमा व इमरजेंसी के बेड फुल हो गये हैं.
ऐसे में अस्पताल की इमरजेंसी में इलाज कराने आये करीब 100 से ज्यादा मरीज दो दिन के अंदर वापस लौट गये हैं. इनमें कुछ मरीज सड़क दुर्घटना के तो कई मरीज किडनी, लिवर रोग से ग्रसित थे. वर्तमान में यहां कुल 85 बेड इमरजेंसी व ट्रॉमा वार्ड में हैं, जहां गंभीर मरीजों का इलाज किया जा रहा है.
सड़क दुर्घटना और गंभीर रोग से ग्रसित मरीज एम्स में भर्ती होने के लिए अपने परिजनों के साथ पहुंचे. लेकिन शुक्रवार को इमरजेंसी व ट्रॉमा के सभी 85 बेड फुल होने से कुछ गैलरी तो कुछ गेट पर कई घंटे तक इंतजार करने के बाद करीब एक दर्जन मरीज वापस चले गये.
इस दौरान मरीज के परिजन इमरजेंसी के डॉक्टरों के साथ ही अधिकारियों के पास गये, लेकिन बेड खाली न होने की वजह से उन्हें भर्ती करने से मना कर दिया. यहां तक कि परिजन स्ट्रेचर पर ही इलाज करने की बात करते रहे, लेकिन डॉक्टरों ने स्ट्रेचर पर देखने से मना कर दिया.
डॉक्टरों का कहना है कि इमरजेंसी में जितने बेड हैं उतने ही मरीजों को इलाज किया जाता है. बाकी को वेटिंग दे दी जाती है. पटना एम्स के निदेशक डॉ पीके सिंह बताते हैं कि 23 अगस्त से एम्स का इमरजेंसी व ट्रॉमा सेंटर सभी मरीजों के लिए खोल दिया गया. इमरजेंसी खुलते ही मरीजों की भीड़ बढ़ गयी और वर्तमान में यहां सभी बेड फुल हो गये हैं. एक भी बेड खाली नहीं है.
Posted by Ashish Jha