लॉक डाउन: दिल्ली-कोलकाता से आये यात्री शहर में फंसे, छोटे-छोटे बच्चे हो रहे परेशान
पीएम के आह्वान पर सभी वर्ग के लोग देश हित में खड़ा दिखा और सभी अपने घर में कैद रहकर जनता कर्फ्यू का समर्थन किया
कटिहार. बिहार के कटिहार में कोरोना वायरस की कहर देखते हुए सरकार के आह्वन पर रविवार को जनता कर्फ्यू का पूरा असर रहा. पूरे दिन शहर में चारों तरफ सन्नाटा पसरा रहा. लोगों की माने तो यह कटिहार में पहली बार हुआ था. जब इस तरह का माहौल देखने को मिला. इससे पहले भी कई दल द्वारा हड़ताल का आह्वान किया गया था. लेकिन जो बंदी रविवार के दिन दिखायी पड़ी, इस तरह की बंदी आज तक किसी ने नहीं देखी थी. प्रधानमंत्री के आह्वान पर हर तबका उनके साथ देश हित में खड़ा दिखा और सभी अपने घर में कैद रहे, जबकि गली कूचे हो या शहर का कोई भी सड़क कि सभी सड़क पर लोग चलते फिरते नजर नहीं आये. हर कोई प्रधानमंत्री के इस आह्वान पर जनता कर्फ्यू का भरपूर समर्थन दिया. शहर के छोटे-मोटे दुकान हो या बड़े प्रतिष्ठान हर दुकानदार और व्यापारी ने अपना काम पूरी तरह से बंद रखा. शहर के छोटे-मोटे चाय, नाश्ते की दुकान, पान की दुकान हो या राशन की दुकान या अन्य जरूरतों के समान सभी दुकान और प्रतिष्ठान में ताला लटके रहे.
जबकि शनिवार के दिन ही चेंबर ऑफ कॉमर्स ने सभी व्यापारियों से प्रधानमंत्री के इस जनता कर्फ्यू के आह्वान पर सफल बनाने की अपील की थी. जिसके आलोक में व्यापारी वर्ग ने भी इनका पूरा साथ दिया और सभी ने अपना अपना प्रतिष्ठान बंद रखा. कुछ व्यपारियों से बात होने पर उन्होंने बताया कि जनता कर्फ्यू का एकमात्र मकसद देश के हित में है. इसलिए हम सभी व्यापारी अपने प्रधानमंत्री और अपने देश के हित के लिए हमेशा तैयार है और तैयार रहेंगे. व्यापारियों ने कहा कि भले ही व्यपार में करोड़ों की क्षति हुई हो. लेकिन यह फैसला पूरे देश हित के लिए है. जिस पर हर किसी ने समर्थन किया है. रविवार को जनता कर्फ्यू के कारण दिन में कोई भी बस या कोई भी वाहन नहीं चला. शहर के सही चौक पर स्थाई ऑटो स्टैंड पूरी तरह से सन्नाटा पसरा रहा. स्टैंड पर एक भी ऑटो नजर नहीं आये, जबकि सभी ट्रेन के बंद रहने के कारण सुबह आने वाली ट्रेनें से उतरने वाले यात्री को घर जाने के लिए काफी परेशान होना पड़ा, जबकि कटिहार शहर के अलावा पूर्णिया, अररिया, किशनगंज, जलालगढ़, मालदा, आदि जगह जाने के लिए यात्रियों को कोई भी सवारी गाड़ी नहीं मिलने से उन्हें कटिहार स्टेशन पर ही रुक जाना पड़ा. यात्री प्लेटफार्म से निकलकर बाहर सवारी गाड़ी ढूंढते रहे.
इस दौरान कोई भी सवारी गाड़ी नहीं मिली. कटिहार जंक्शन का हर प्लेटफार्म में सन्नाटा पसरा हुआ था, जबकि स्टेशन पर चलने वाले सभी खाने पीने के स्टॉल भी बंद पड़े हुए थे. मिरचाईबाड़ी स्थित बस स्टैंड पर बस तो लगी हुई थी. लेकिन बस का परिचालन नहीं हो रहा था. बाहर से आने वाले लोग कटिहार जंक्शन से पैदल ही बस स्टैंड की तरफ बस पकड़ने के लिए भले ही पहुंचे. लेकिन सभी निराश होना पड़ा और सभी को फिर पुनः कटिहार जंक्शन ही आना पड़ा . शहर में कोई भी रिक्शा, टोटो, ऑटो का परिचालन भी नहीं हो रहा था. जनता कर्फ्यू के कारण पूरा शहर खामोश की मुद्रा में रहा. अस्पताल में रही आपातकालीन सेवा बहाल स्वास्थ विभाग की ओर से जनता कर्फ्यू में आपातकालीन सेवा पूरी तरह से बहाल रहा. बाहर से कोई भी मरीज सदर अस्पताल अपना जांच कराने के लिए नहीं पहुंचे.
जनता कर्फ्यू के कारण अस्पताल में सन्नाटा पसरा रहा. रविवार होने की वजह से अस्पताल में ओपीडी की सेवा भले ही बंद रही. लेकिन अन्य रविवार के दिन के मामले में 22 मार्च का रविवार का दिन इतिहास के पन्ने पर दर्ज हो गया. प्रधानमंत्री के आह्वान पर जनता कर्फ्यू में हर कोई इस कर्फ्यू को सफल बनाने में अपनी भूमि का निभाता नजर आया. अन्य रविवार के दिन सदर अस्पताल में मरीजों की भीड़ रहती थी. लेकिन इस रविवार के दिन पूरा अस्पताल सुनसान दिखाई पड़ रहा था. आपातकालीन सेवा में चिकित्सक अस्पताल में मौजूद थे, जो इमरजेंसी मरीजों को सेवा दे रहे थे. जबकि दूसरी तरफ लेबर रूम की सेवा भी बहाल थी. सभी एंबुलेंस चल चल रहे थे. हालांकि सदर अस्पताल के अंदर मेडिकल स्टोर भले ही खुले थे. लेकिन बाजार के कुछ मेडिकल स्टोर को छोड़कर सारे मेडिकल स्टोर बंद पड़े हुए थे.