बीहट. बरौनी खाद कारखाने में कई स्टेज का ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है. ट्रायल के दौरान खाद बनकर हाथ में आते ही अधिकारियों और कर्मचारियों में खुशी की लहर है. वहीं लोगों को अब बहुत जल्द कारखाना का उद्घाटन प्रधानमंत्री के हाथों होने की संभावना जग गयी है. इस बीच, कारखाने से यूरिया का उत्पादन शुरू तो हुआ, लेकिन उसकी गुणवत्ता मानक अनुरूप नहीं के कारण उसका डिस्पैच फिलहाल कैंसिल कर दिया गया.
मिली जानकारी के अनुसार टेक्निकल कमी के कारण यूरिया का उत्पादन दोषपूर्ण होने के कारण उक्त फैसला लेने के लिए हर्ल कारखाना को मजबूर होना पड़ा. जानकारी के अनुसार जबतक उत्पादन में मानक के अनुरूप गुणवत्ता नहीं आयेगी तबतक प्रोडक्ट बिक्री के लिए बाहर नहीं भेजा जा सकेगा और तैयार प्रोडक्ट को री-साइकलिंग की प्रक्रिया से गुजरना होगा. इस फैसले के कारण विगत चार दिनों से यूरिया की पहली खेप की लोडिंग करने आयी बेगूसराय की रॉयल हावर्ड इंटरप्राइजेज की ट्रक को बैरंग वापस होना पड़ा.
इस संबंध में विभाग के अधिकारी की बात मानें तो कमीशनिंग की प्रक्रिया अभी तो चल ही रही है, जल्द ही हम गुणवत्ता के साथ मानक अनुरूप यूरिया का उत्पादन करने में सक्षम होंगे. यहां सिर्फ रासायनिक खाद ही नहीं बनेगा, बल्कि स्थानीय सांसद गिरिराज सिंह के प्रयास से लोकल फोर वोकल अभियान के तहत फैक्ट्री के बाहर निर्मित जैविक खाद खरीद कर उसकी भी मार्केटिंग करेगा, इससे स्वरोजगार के आयाम बढ़ेंगे.
336 एकड़ में बन रहे बरौनी खाद कारखाने के निर्माण कार्य पर पहले 7043 करोड़ रूपये खर्च होना था. लेकिन कोरोना और अतिवृष्टि सहित अन्य कारणों से कार्य पूरा नहीं हो सकने के कारण प्रक्कलित राशि बढकर 8387 करोड़ रुपये हो गयी. नेचुरल गैस पर आधारित इस कारखाना से प्रत्येक दिन 3850 मैट्रिक टन नीम कोटेड यूरिया (प्रत्येक वर्ष 12.70 लाख एमटी) तथा 22 सौ टन अमोनिया का उत्पादन होगा. जिसमें भूगर्भीय जल की जगह गंगाजल का उपयोग होगा.
हर्ल कारखाना से यूरिया को बिहार सहित अन्य प्रदेशों में रेल मार्ग से भेजने के लिए पूर्व-मध्य रेलवे सोनपुर के गति शक्ति कार्गो टर्मिनल के लिए अनुबंध किया जा चुका है. इस दिशा में रेलवे द्वारा कारखाना परिसर में 4.2 किलोमीटर रेलवे ट्रैक पर रेल इंजन व मालगाड़ी द्वारा ट्रैक की टेस्टिंग कार्य भी पूरा कर लिया गया है. इसके अलावा रेलवे साइटिंग कार्यालय के लिए कर्मियों को भी नियुक्त किया जा चुका है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पूरे देश में वन नेशन वन फर्टिलाइजर स्कीम का उद्घाटन करने के बाद हर्ल कारखाना से उत्पादित खाद अपना यूरिया की बजाय अब भारत ब्रांड के नाम से उसकी बिक्री होगी. मौजूदा दौर में देश में उर्वरकों को विभिन्न नामों से बेचा जाता है, इससे किसानों को खरीदारी करने में काफी दिक्कत होती है. किसान हमेशा इस समस्या में उलझे रहते हैं कि कौन सा उर्वरक उनकी फसल के लिए बेहतर है.
हर्ल कारखाना लगभग बनकर उत्पादन की मुहिम पर खड़ा है. लेकिन कारखाना अभी भी वोकल फोर लोकल नहीं बन पाया है. जबकि उत्पादन के लिए बैग की स्ट्रीचिंग,लोडिंग-अनलोडिंग सहित अन्य काम के लिए लोकल मजदूर लिए जा सकते थे. लेकिन इस काम के लिए गुजरात से आयी चौधरी इंटरप्राइजेज द्वारा करीब तीन-चार सौ मजदूरों को बाहर से लेकर आने की खबर से एकबार फिर स्थानीय मजदूरों में आक्रोश है. हालांकि इस बात से इत्तफाक नहीं रखते हुए कंपनी और प्रबंधन का कहना है कि हर्ल में लोकल मजदूरों को काम में तरजीह दी गयी है.