पटना. थाना पुलिस हो या राजस्व कर्मचारी, अब सीमा विवाद की आड़ में अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकेंगे. जमीन संबंधी विवादों को खत्म करने के लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की मेहनत जमीन पर दिखने लगी है.
त्रिसीमाना (सीमांकन चिह्न) स्थापित कर गांव-मौजा की सीमा रेखा खींच दी गयी है. अब किसा गांव-मौजा की जमीन कहां खत्म होती है यह त्रिसीमाना से पता चल जायेगा.
राज्य में अब तक यह पता नहीं चलता था कि किस गांव की सीमा कहां खत्म हो रही है, दूसरा गांव कहां से शुरू है. ऐसे में ग्राम पंचायत की योजनाओं के क्रियान्वयन अथवा आपराधिक घटना होने पर अक्सर सीमा विवाद की स्थिति पैदा हो जाती थी.
राज्य के 20 जिलों के 5130 मौजों में भूमि सर्वेक्षण का काम चल रहा है. इसी कड़ी में तीन-चार गांवों के मिलान बिंदु पर मान्यूमेंट स्थापित किया जा रहा है.
गांवों की सीमारेखा का निर्धारण करने वाले इसी मान्यूमेंट को ‘ त्रिसीमाना’ नाम दिया गया है. ये त्रिसीमाना जमीन की नापी में मुस्तकिल का भी काम करेगा.
त्रिसीमाना को सीमेंट और लोहे की छड़ से बनाया गया है. इसकी ऊंचाई 75 सेमी है. भवन निर्माण विभाग ने इसकी कीमत 850 रुपये तय कर दी है.
ढुलाई खर्च अलग से है. अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने इटीएस के साथ प्रिज्म ढ़ोने वाले को दैनिक आधार पर मजदूरी देने का आदेश दिया है.
Posted by Ashish Jha