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ट्रक भाड़ा में हुआ इजाफा, सावधान…बढ़ सकते हैं अनाज के दाम

डीजल की लगातार कीमत बढ़ने से ट्रक का भाड़ा पांच हजार रुपये से दस हजार रुपये तक बढ़ गया है. इसका असर जल्द ही अनाज की कीमतों पर देखने को मिलेगा.

पटना .डीजल की लगातार कीमत बढ़ने से ट्रक का भाड़ा पांच हजार रुपये से दस हजार रुपये तक बढ़ गया है. इसका असर जल्द ही अनाज की कीमतों पर देखने को मिलेगा. कारोबारियों की मानें, तो आने वाले दिनों में खाने की चीजों की कीमत में पांच रुपये प्रति किलो तक का इजाफा हो सकता है. यानी आने वाले दिनों में आम लोगों की जेब पर सीधा असर पड़ेगा.

कारोबारियों से मिली जानकारी के अनुसार अधिकांश खाद्य सामग्री दूसरे प्रदेशों से पटना की मंडी में आती हैं. राजस्थान से सरसों, चना दाल और लाल मिर्च, मध्य प्रदेश से दलहन, प्याज और गेहूं, महाराष्ट्र से दाल, चीनी और प्याज, छत्तीसगढ़ से चावल, यूपी से चीनी, केरल से गर्म मसाले, पश्चिम बंगाल से चावल, आलू और प्याज और दिल्ली से ड्राइ फ्रूट और चावल आता है. वहीं गुलाब बाग मंडी (पूर्णिया) से गेहूं, केला और मकई, सासाराम और बक्सर से चावल, भागलपुर से चूड़ा और चावल और उत्तर बिहार से चीनी आती है.

फल-सब्जी के भी बढ़ेंगे दाम

बिहार राज्य खाद्यान्न व्यवसायी संघ के महामंत्री नवीन कुमार ने बताया कि ट्रक के किराये में पांच से दस हजार रुपये तक की बढ़ोतरी हो चुकी है. पश्चिम बंगाल से पटना का ट्रक भाड़ा 45 हजार रुपये था. वह बढ़कर 50 हजार रुपये हो गया है. मध्य प्रदेश से आने वाले ट्रक का भाड़ा 50 हजार से बढ़कर 60 हजार रुपये तक हो गया है. कारोबारियों की मानें, तो भाड़ा बढ़ने से आने वाले दिनों में खाद्य सामग्रियों के साथ फल और सब्जी के दाम पर असर देखने को मिलेगा. सरकार को ध्यान देने की जरूर है.

सरसों तेल और रिफाइंड की कीमत पांच रुपये बढ़ी

सरसों तेल और रिफाइंड तेल की कीमतों में एक बार फिर पांच रुपये से अधिक की बढ़ोतरी हुई है. फिलहाल सरसों तेल 140 रुपये से लेकर 165 रुपये प्रति लीटर तक बिक रहा है. वहीं, रिफाइंड तेल 140 रुपये से लेकर 170 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गया है. पहले ऐसी उम्मीद जतायी जा रही थी कि खाद्य तेलों में आयी तेजी मार्च-अप्रैल में कम हो जायेगी. लेकिन, अब ऐसी उम्मीद कम ही नजर आ रही है. एक बार फिर पाम ऑयल महंगे होने के बाद सरसों और रिफाइंड तेल महंगे होते नजर आ रहे हैं.

बिहार राज्य खुदरा विक्रेता महासंघ के अध्यक्ष रमेश चंद्र तलरेजा का कहना है कि इस साल खाद्य तेल के अधिक उत्पादन करने वाले देशों में कोविड-19 और बारिश के असर से उत्पादन घट गया है. इससे अंतरराष्ट्रीय दाम आसमान छू रहे हैं. दामों को काबू में लाने के लिए संगठन ने सरकार से खाद्य तेल पर लगने वाले पांच फीसदी जीएसटी को हटाने की मांग रखी थी, लेकिन सरकार ने ऐसा करने के बजाय और ज्यादा बोझ उपभोक्ताओं पर डाल दिया. इससे महंगे तेल और भी महंगे हो गये हैं. इसके अलावा ट्रक भाड़ा बढ़ने का असर भी खाद्य पदार्थों के दामों पर पड़ रहा है.

Posted by Ashish Jha

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