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बिहार के हॉकी खिलाड़ियों के लिए खुशखबरी, पटना में बनेंगे हॉकी के दो टर्फ मैदान, जानें क्या होगी सुविधा

बिहार में हॉकी का एक भी एस्ट्रो टर्फ मैदान नहीं है. इस वजह से खिलाड़ियों की ट्रेनिंग के लिए सेंटर भी नहीं है. पटना के हॉकी खिलाड़ियों का कहना है कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट केवल एस्ट्रो टर्फ पर आयोजित किए जाते हैं. बिहार में यह सुविधा नहीं होने की वजह से उनकी प्रैक्टिस प्रभावित होती है

बिहार के हॉकी खिलाड़ियों के लिए खुशखबरी. अब उन्हें एस्ट्रो टर्फ मैदान पर ट्रेनिंग लेने के लिए दूसरे राज्यों में नहीं जाना होगा. पटना में जल्द ही दो एस्ट्रो टर्फ मैदान बनने जा रहा है. राजधानी के फिजिकल एजुकेशन कॉलेज राजेंद्र नगर और एकलव्य स्पोर्ट्स स्कूल शास्त्री नगर के खेल मैदान पर एस्ट्रो टर्फ लगेगा. दोनों मैदान के लिए बिहार राज्य खेल प्राधिकरण ने प्रस्ताव तैयार कर लिया. बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के महानिदेशक रविंद्रन शंकरन ने बताया कि प्रस्ताव को बिहार के विकास आयुक्त और शहरी विकास आयुक्त के पास भेजा जाएगा.

25 करोड़ रुपये होंगे खर्च

रविंद्रन शंकरन ने बताया कि दोनों टर्फ मैदान को बनाने में लगभग 25 करोड़ रुपये खर्च होंगे. उन्होंने बताया कि दोनों मैदान पर फ्लडलाइट की भी व्यवस्था होगी और अंतराष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं उपलब्ध करायी जाएंगी.

शानदार रहा है बिहार में हॉकी का इतिहास

बिहार और झारखंड जब एक था तो बिहार की हॉकी टीम मजबूत मानी जाती थी. कई खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बिहार का नाम रोशन किया है. वर्ष 1928 के एम्सटर्डम ओलिंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम में बिहार के जयपाल सिंह मुंडा शामिल थे. वर्ष 1980 मास्को ओलिंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय टीम में भी बिहार के जफर इकबाल थे. झारखंड से अलग होने के बाद पटना निवासी अजीतेश रॉय वर्ष 2008-09 में भारतीय हॉकी टीम के कप्तान थे. बिहार में जन्में विवेक सागर प्रसाद टोक्यो ओलिंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय टीम के सदस्य थे. द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित छपरा के रहने वाले हरेंद्र सिंह ने भारतीय हॉकी टीम के कोच रह चुके हैं. वर्तमान में वह अमेरिका की हॉकी टीम के कोच हैं.

बिहार में नहीं है एस्ट्रो टर्फ

वर्तमान समय में बिहार में हॉकी का एक भी एस्ट्रो टर्फ मैदान नहीं है. इस वजह से खिलाड़ियों की ट्रेनिंग के लिए सेंटर भी नहीं है. पटना के हॉकी खिलाड़ियों का कहना है कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट केवल एस्ट्रो टर्फ पर आयोजित किए जाते हैं. बिहार में यह सुविधा नहीं होने की वजह से उनकी प्रैक्टिस प्रभावित होती है. राष्ट्रीय टूर्नामेंट में जब बिहार के खिलाड़ी खेलने जाते हैं तो पहले या दूसरे राउंड में ही बाहर हो जाते हैं. उनहोंने बताया कि दानापुर कैंट में एस्ट्रो टर्फ का हॉकी मैदान है लेकिन उस पर केवल आर्मी के खिलाड़ियों को खेलने की अनुमति है.

यह होगा फायदा

एस्ट्रो टर्फ मैदान बनने से बिहार में हॉकी का विकास तेजी से होगा. हॉकी बिहार के महासचिव मुस्ताक अहमद ने प्रभात खबर से बातचीत में बताया कि बिहार में एस्ट्रो टफ का मैदान बनने से खिलाड़ियों को विशेष फायदा होगा. राष्ट्रीय टूर्नामेंट में खेलने से पहले बिहार के खिलाड़ी दूसरे प्रदेशों में जा कर ट्रेनिंग लेते हैं. टर्फ का मैदान बनने के बाद यह परेशानी दूर हो जाएगी. वे राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं की तैयारी पूरी तरह कर पाएंगे. हॉकी के पूर्व खिलाड़ी और कोच योगेश कुमार ने बताया कि टर्फ लगने के बाद बिहार में हॉकी का माहौल बदल जाएगा.

डिप्टी सीएम की विशेष रुचि

हॉकी के एस्ट्रो टर्फ लगाने में बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी प्रसाद यादव की विशेष रुचि है. बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के महानिदेशक रविंद्रन शंकरन ने बताया कि डिप्टी सीएम तेजस्वी प्रसाद यादव का निर्देश है कि जल्द से जल्द हॉकी टर्फ मैदान का निर्माण कराया जाए.

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