पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में बिहार के दो अभ्यर्थियों को कथित तौर पर धमकी देने और उनके साथ बदसलूकी को लेकर दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। इस घटना से राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है. बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के नेताओं ने इस घटना की निंदा की एवं तत्काल कार्रवाई की मांग की. बता दें कि बिहार के दोनों छात्र सीआईएसएफ की नौकरी के अभ्यर्थी थे.
BJP शासित राज्यों में…
तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि पश्चिम बंगाल देश के हर नागरिक के लोकतांत्रिक अधिकारों में विश्वास करता है और वह कभी किसी का उत्पीड़न नहीं होने देगा. वहीं, राज्यसभा के पूर्व सदस्य कुणाल घोष ने कहा, ‘‘ हमारी सरकार सभी का स्वागत करती है. ऐसा (संभावित उम्मीदवारों के उत्पीड़न जैसा) कुछ भी नहीं है, किसी भी भारतीय के लिए ऐसा कुछ नहीं होना चाहिए.’’ घोष ने कहा कि भाजपा शासित राज्यों में पश्चिम बंगाल के प्रवासी श्रमिकों के उत्पीड़न और बुरी तरह मारपीट तक की खबरें भी आती रही हैं लेकिन न तो तृणमूल कांग्रेस और न ही राज्य सरकार ने विरोध दर्ज करने के सिवा कभी ऐसे मुद्दों को तूल दिया.
बिहार पुलिस ने बंगाल पुलिस को लिखा था पत्र
सिलीगुड़ी पुलिस आयुक्त कार्यालय के एक अधिकारी ने बताया कि बिहार के इन दो व्यक्तियों के उत्पीड़न, उन्हें डराने-धमकाने और उन पर हमला करने के आरोप में बृहस्पतिवार रात रजत भट्टाचार्य और गिरिधारी राय को गिरफ्तार किया गया. बिहार के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) संजय सिंह ने पश्चिम बंगाल के अपने समकक्ष को पत्र लिखकर उनसे वीडियो में नजर आ रहे विद्यार्थियों को समुचित सुरक्षा मुहैया कराने का अनुरोध किया. सिंह ने पश्चिम बंगाल पुलिस से इस मामले की जांच की अद्यतन सूचना भी देने को कहा है.
‘बांग्ला पोक्खो’ ने किया आरोपियों का बचाव
बंगाली पहचान के लिए मुहिम चलाने वाले संगठन ‘बांग्ला पोक्खो’ के महासचिव गर्ग चटर्जी ने दावा किया कि दोनों युवकों के पास फर्जी आवास प्रमाण पत्र थे. उन्होंने एक वीडियो संदेश में आरोप लगाया कि राज्य के बाहर के युवाओं को पश्चिम बंगाल का फर्जी आवास प्रमाणपत्र जारी करने का रैकेट पिछले तीन साल से चल रहा है, फलस्वरूप स्थानीय लोग बीएसएफ, सीआरपीएफ और सीआईएसएफ जैसे केंद्रीय बलों में नौकरियों के वास्ते आवेदन करने से वंचित रह जाते हैं. चटर्जी ने सिलीगुड़ी की बुधवार की उक्त घटना का जिक्र करते हुए दावा किया कि स्थानीय लोग युवाओं के दस्तावेजों का सत्यापन करने गये थे और उन्होंने उनके साथ कोई धक्का-मुक्की नहीं की, बल्कि युवा उनसे बहस करते रहे.