मिथिला में आर्थिक समृद्धि की राह खोलेगा दो एक्सप्रेस वे, यूपी व नेपाल से बढ़ेंगे बिहार के व्यापारिक संबंध
एक्सप्रेस-वे से यूपी, दिल्ली जाना आसान तो होगा ही पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, शिवहर और सीतामढ़ी लोगों को गोरखपुर जाने में कम समय लगेगा. यह सड़क नेपाल सीमावर्ती जिलों शिवहर, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल आदि होकर सिलीगुड़ी तक जायेगी.
सच्चिदानंद सत्यार्थी,मोतिहारी. यूपी व नेपाल सीमा से बनने वाले दो महत्वपूर्ण एक्सप्रेस-वे से पड़ोसी देश नेपाल के साथ यूपी और उत्तर बिहार में आर्थिक व व्यापारिक समृद्धि आयेगी. एक्सप्रेस-वे के बन जाने के बाद लोगों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे. 1110 किमी के दोनों एक्सप्रेस-वे के निर्माण से आने-जाने में सुविधा के साथ-साथ आर्थिक गतिविधियां भी बढ़ेंगी.
दस किमी लंबा पुल बनेगा
पहला एक्सप्रेस-वे गोरखपुर-सिलीगुड़ी के बीच बनेगा. इसकी लंबाई करीब 520 किमी होगी. इससे गंडक नदी के बैरिया अलपाहा के पास दस किमी लंबा पुल बनेगा. पुल के बन जाने से यूपी, दिल्ली जाना आसान तो होगा ही पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, शिवहर और सीतामढ़ी लोगों को गोरखपुर जाने में कम समय लगेगा. यह सड़क नेपाल सीमावर्ती जिलों शिवहर, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल आदि होकर सिलीगुड़ी तक जायेगी.
रक्सौल से हल्दिया तक जाना होगा आसान
दूसरे एक्सप्रेस-वे से व्यापारिक समृद्धि बढ़ेगी. यह एक्सप्रेस-वे गेटवे ऑफ नेपाल कहेजाने रक्सौल सेनिकल कर मुजफ्फरपुर, सारण, झारखंड होकर पश्चिम बंगाल के हल्दिया ड्राइपोर्ट तक जायेगा. नेपाल के लिए तीसरेदेशों से आने वाला अधिकांश सामान हल्दिया बंदरगाह से रक्सौल लैंड ड्राइपोर्ट पहुंचता है, जो अब सीधे एक्सप्रेस-वेके माध्यम से रक्सौल पहुंचेगा.
आर्थिक रूप से खुशहाल होंगे
वर्तमान में नेपाल जाने वाला सामान ट्रेन व ट्रकों के माध्यम से हल्दिया सी पोट से रक्सौल ड्राइपोर्ट पहुंचता है. इसके बन जानेसेनेपाल-रक्सौल से झारखंड और पश्चिम बंगाल माल भेजने में सहूलियत होगी. इससे बिहार के अलावा झारखंड व पश्चिम बंगाल के लोग आर्थिक रूप से खुशहाल होंगे.
बोले निदेशक
गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेस-वे यूपी के कुशीनगर से पुल हो कर गंडक पार कर बैरिया के अल्पाहा टोले में प्रवेश करेगा, जो पूर्वी चंपारण के वृतिया टोला होते शिवहर, सीतामढ़ी, मधुबनी और सुपौल होते हुए सिलीगुड़ी तक जायेगा. गंडक नदी पुल के सर्वे का काम चल रहा है.
-अमरेश कुमार शर्मा, परियोजना निदेशक, एनएचएआइ